मध्यप्रदेश। झाबुआ। पेटलावद में 2015 में एक भयावह ब्लास्ट हुआ था, जिसमें 78 लोगों की मौत हुई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। आज पेटलावद ब्लास्ट की आठवीं बरसी है, जिस पर श्रद्धांजलि चौक पर सुबह से लोग दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं। चुनावी साल होने से राजनीतिक पार्टियों से जुड़े कार्यकर्ता पदाधिकारी भी बड़ी संख्या में पहुंचकर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। वहीं स्कूली छात्र-छात्राओं, सामाजिक संस्थाओं एवं दिवंगतों के परिजनों के द्वारा भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई है।
2015 में हुए इस ब्लास्ट में कुल 78 लोगों की मौत हुई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। ब्लास्ट का मुख्य आरोपी राजेंद्र कासवा ब्लास्ट में मारा गया था एवं अन्य आरोपी बरी हो चुके हैं। लेकिन आज भी ब्लास्ट पीड़ितों का दर्द खत्म नहीं हुआ है, शासन द्वारा ब्लास्ट पीड़ितों के लिए की गई घोषणाएं आज भी अधूरी है.. उल्लेखनीय है कि ब्लास्ट वाली घटना इतनी भयावह थी कि हर किसी का मन पसीज जाता है। परंतु यहां पर चुनाव के वक्त राजनीतिक पार्टियों अपनी अपनी रोटीया सेकने में लगी हुई हैं। आज भी ब्लास्ट मैं जिन लोगों ने अपनी जान गवाही उनका परिवार आज भी उपेक्षा का शिकार ही हो रहें हैं
मध्य प्रदेश के झाबुआ ज़िले के पेटलावद में 12 सितंबर 2015 की सुबह धमाका होता है। 78 लोगों की मौत और 300 से अधिक लोग घायल होते है। वजह बताई गई कि जिलेटिन-डेटोनेटर के साथ रखे गैस सिलेंडर के फटने से धमाका हुआ। सरकार ने न्यायमूर्ति आर्येन्द्र कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में जांच आयोग बनाई। जिसकी रिर्पोट आयोग ने 11. 12. 2015 को जमा हुई पर 9 साल बाद भी उसे न ही विधानसभा के पटल पर नहीं रखा गया और न आज तक उसकी रिर्पोट सामने नहीं आई। यह बड़ा आश्चर्यजनक है कि पूरे घटनाक्रम में अब तक मात्र थाना अधिकारी शिवजी सिंह की रिटायरमेंट के पहले ₹1600 की एक वेतन वृद्धि रोकी गई।
जबकि थाना अधिकारी ने स्पष्ट आरोप लगाया कि उन्हें मोहरा बनाया जा रहा है। कल पेटलावद ब्लास्ट की आठवीं बरसी थी। सिर्फ़ पेटलावद नहीं 2008 से 2021 तक सरकार ने 7 जांच आयोग बनाए। जिसमें से छ: आयोग की रिपोर्ट प्राप्त होने के 5 साल से 13 साल के बाद भी विधानसभा के पटल पर नहीं रखी गई। जबकि जांच आयोग अधिनियम की धारा 3(4) के तहत उसे 6 माह के अंदर विधानसभा के पटल पर रखना चाहिए ।