लर्निंग मशीन मॉडल से उपग्रह चित्रों के माध्यम से स्वचलित रूप से होगी असुरक्षित कुओं/बोरवेल की पहचान
असुरक्षित बोरवेल/खुले कुओं से दर्घटनाएं रोकने जिले में बनाया गया विषेश जीआईएस एप
नरसिंहगढ एसडीएम श्री अंशुमन राज ने की अभिनव पहल
जल संसाधन का प्रबंधन भी होगा
जिले के पिपलिया रसोडा गांव में विगत माह खुले बोरवेल में गिरने से एक बच्ची के हुए निधन के बाद इस तरह के घटना की पुनरावृर्ति न हो इसके लिए एहतियाती एदम उठाए गए है। कलेक्टर श्री हर्ष दीक्षित के निर्देशन में समूचे जिले में असुरक्षित कुओं एवं बोरवेल का सर्वेक्षण कराया गया। असुरक्षित कुओं एवं बोरवेल की जानकारी एकत्रित कर आवश्यक सुरक्षात्मक कदम उठाने के लिए नरसिंहगढ के अनुविभागीय राजस्व अधिकारी श्री अंशुमन राज ने अभिवन पहल की है। श्री राज द्वारा एक विषेश जीआईएस आधारित एप विकसित किया गया है। इस उन्नत तकनीक की सहायता से मैदानी अमले ने मात्र दो सप्ताह के भीतर जिले के सभी उपखण्डों में 22 हजार से अधिक बोरवेल एवं कुओं की जियो टैगिंग एवं फोटोग्राफी करने में सफलता हासिल की।
एआई आधारित लर्निंग मशीन का विकास:
इस सर्वेक्षण से प्राप्त डेटा के आधार पर एक एआई आाधारित लर्निंग मशीन का विकास किया गया है। विकसित किए गए लर्निंग मशीन मॉडल का मुख्य उद्देश्य उपग्रह चित्रों के माध्यम से स्वचालित रूप से कुओं/बोरवेल की पहचान करना है। इस अनुठे मॉडल को संभवतः प्रदेश में पहली बार विकसित किया गया है।
इसके अनेक फायदे है-
आपदा निवारण
यह मॉडल खुले और असुरक्षित कुओं की पहचान करके दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करता है, जिससे भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सकता है।
जल संसाधन प्रबंधन
इस मॉडल का उपयोग करके, जल संसाधनों का अधिक कुशलता से प्रबंधन किया जा सकता है, जिससे जल संरक्षण में सहायता मिलती है।
समय और संसाधनों की बचत
इस मॉडल के जरिए, पटवारियों और अन्य सरकारी कर्मचारियों को हर एक कुएं और बोरवेल का फिजिकल निरीक्षण करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे समय और संसाधनों की बचत होती है।
सतत विकास की ओर कदम
इस तरह के इनोवेटिव समाधान पर्यावरण संरक्षण और जल सुरक्षा के क्षेत्र में सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होते हैं।
कलेक्टर श्री हर्ष दीक्षित बताते है कि विगत दिनों हुई दुर्घटना के पश्चात प्रशासन ने जिले में आपदा निवारण के लिए ठोस कदम उठाए हैं। इस सर्वेक्षण से प्राप्त डेटा का उपयोग न केवल भूमि रिकॉर्ड को अपडेट करने में, बल्कि भूजल अनुसंधान में भी किया जा सकेगा।