कबीर मिशन समाचार जिला सीहोर जावर से संजय सोलंकी की रिपोर्ट।
सीहोर जिले का चिंतामन गणेंश मंदिर और सलकनपुर धाम, आस्था के बड़े केन्द्र के रूप में देश दुनियॉं में प्रसिद्ध हैं। इन दोनों प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के साथ ही अब देवबड़ला भी धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित हो रहा है। यहॉं आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह नेवज नदी के उदगम स्थल और घने जंगलों में होने के कारण यहॉ का प्राकृतिक वातावण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा हैं।
देवबड़ला सीहोर जिले की जावर तहसील के ग्राम बीलपान के घने जंगलों की बीच विंध्याचल पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। देवबड़ला का मालवी में अर्थ है जंगल, अर्थात घने जंगलों में देवों की भूमि। पुरात्व की दृष्टि से यह क्षेत्र अमूल्य धरोहर है। देवबडला में खुदाई के दौरान 11वीं 12 शताब्दी के परमार कालीन शिव मंदिर और अन्य मंदिर मिले हैं।
खुदाई में शिव मंदिर के साथ ही 20 से अधिक प्रतिमाएं भी मिली हैं। इनमें मूर्तियों में ब्रमदेव, विष्णु, गौरी, भैरव, नरवराह, लक्ष्मी, योगिनी, जलधारी, नंदी, और नटराज की प्रतिमाएं शामिल हैं। इस अमूल्य धरोहर को सहेजने का कार्य किया जा रहा है। पुरातत्व विभाग द्वारा वर्ष 2015 में यहॉ खुदाई शरू की गई। मई 2016 में शिव मंदिर के पुर्ननिर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया। यह मंदिर 51 फिट उंचा है और इस मंदिर का कार्य पूर्ण हो चुका है।
दूसरे मंदिर का निर्माण अभी चल रहा है। इन मंदिरों को मूल स्वरूप देने के लिए मंदिर के अवशेषों को जोड़ने में चूना, गुड़, गांद, उड़द, मसूर, जैसे प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग किया गया है। यहॉं के मंदिर आक्रमण अथवा प्राकृतिक आपदा के कारण नष्ट हुए हैं।
यह स्थान भोपाल तथा इंदौर से 115 किलो मीटर दूर है। भोपाल या इंदौर मध्य आष्टा नगर से देवबड़ला के लिए सड़क मार्ग से जा सकतें हैं। सीहोर जिला मुख्यालय से इसकी दूरी 75 किलोमीटर है।