पहले बड़े बुजुर्ग ही नशीले वस्तुओं के सेवन का शौक रखते थे लेकिन तथा कथित विकास के दौर के साथ ही क्या बच्चे, क्या बूढे, छात्रः, छात्राओं के साथ महिलाएं भी नशीली वस्तुओं के सेवन मे पीछे नहीं है नशा खोरी बड़ने का प्रमुख कारण शहर शहर, गावं गावं, गली मुहल्लों मे संचालित दुकानों में आसानी से उपलब्धता को माना जा रहा है वर्तमान में नई पीढ़ी के युवाओं को गली चौराहों मे सिगरेट के धुएँ का छल्ला उड़ते हुए देखा जा सकता है एक तरफ़ सरकारी स्कूलों में तंबाकू गुटखा निषेध सप्ताह मानते हैं।
दूसरी ओर सरकार द्वारा शराबबंदी और नशा मुक्ति अभियान को लेकर करोड़ों रुपये खर्च कर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है वही दूसरी ओर शहर शहर, गावं गावं मे धड़ल्ले से अवैध रूप से राजश्री शराब गाजा और सिगरेट मुहैया करा कर धंधा किया जा रहा है आसानी से उपलब्ध हो ने के चलते आम लोग राशन अनाज बेचकर नशा के दल दल में फस कर ग्रह स थी तबाह कर रहे हैं राजश्री गुटखा, शराब, सिगरेट के साथ ही ग्रामीण सहित शहरी क्षेत्र में गाजा का व्यापार चरम पर है, गांजे के कारोबारी जेब मे रखकर पुड़िया की डिलेवरी ग्राहकों तक पहुँचा रहे हैं।
नाबालि गो के साथ युवा पीढ़ी इस मकड़जाल में बुरी तरह फस चुकी है समाज के लिए चिंता का विषय है इस क्षेत्र में प्रतिदिन नशीली वस्तुओं के कारोबारी करोड़ों रुपये का व्यापार कर मोटी कमाई कर रहे हैं समय रहते क्षेत्र के बुद्धिजीवी पत्रकारो, वकीलों, गुरुओ समाज के जो संगठन हैं सभी को अभियान मे भाग लेकर युवा पीढ़ी को बचाया जा सकता है अकेली सरकार और जनप्रतिनिधियों की जवाबदारी नहीं है समाज की भी है बद्री प्रसाद कौरव जनरल सेकेट्ररी मप्र ऑल इंडिया बेक वर्ड क्लासेस फेडरेशन मप्र