नौकरी और शादी के बाद बदलते तेवर
लेख आज एक सवाल मेरे मन में अचानक उठा शायद वो सही नहीं लगेगा कुछ लोगों को, और मुझे ये भी नहीं पता कि वो कितना किसके लिए न्यायचित होगा
…..क्या ये सही है …?कि पिछले 20 सालों से, अपना परिवार मां, पापा, भाई, बहन हमारे साथ हमसे कहीं ज्यादा संघर्ष कर रहे हैं और शादी के बाद हम उनसे किनारा कर लेते हैं क्यों..? क्या इसलिए की उन्होंने तुम्हे पढ़ा लिखा कर इतना ज्यादा समझदार बना
दिया कि अब वो आपके साथ अच्छा नहीं लगते, या नौकरी के बाद मिली पत्नी की वजह से आप ऐसे कर रहें …? अधिकतर सुना गया है कि शादी के बाद लड़के अपने माता पिता से अलग हो जाते, शायद समाज पत्नी पर ये सब थोपना चाहता है, कि पत्नी की वजह से लड़का
बदल गया, यदि पत्नी ऐसा सोचती भी है, हालांकि सब पत्नियां ऐसा नहीं सोचती ,कुछ अपवाद हो सकते हैं, तुम अपनी पत्नी को समझा भी तो सकते हो,कि मेरे परिवार के बिना मेरा कोई आस्तित्व नहीं है, मुझे इस पद तक उन्होंने इसलिए नहीं पहुंचाया था कि मैं इस पद पर जाकर उनको भूल जाऊंगा ,उनके संघर्ष
, उनके प्यार को उनके विश्वास को उनके गर्व को, समाज को बताते हुए फुले नहीं समाते कि मेरा बेटा उस चीज की तैयारी कर रहा, है वो एक दिन बहुत बड़ा करेगा और हमें इस जीवन से मुक्त करेगा, हम सुख के दिन जिएंगे, हमारे संघर्षों को एक दिन विराम देगा,और जब समय आता है नौकरी वाला फिर समाज उड़ाता है उनके मजाक
और देता है ताने, और माता पिता दूसरे बच्चों को देते हैं सलाह की बेटा तू कभी ऐसा मत करना आगे जाकर, क्या मानसिकता बनती होगी उस छोटे बच्चे की जब आपका नाम लेकर उसे बोला जाता है बेटा तू कभी ऐसा मत करना,आपको अपनी आने वाली पीढ़ी के बारे में भी सोचना होगा यदि समाज में ऐसा होगा तो समाजl
आगे अपने बच्चों को पढ़ाने लिखाने के लिए बहुत कुछ विचार करेगा,क्या आप अपनी पत्नी को इतनी सी बात नहीं समझा सकते, यदि आप इतना अपनी पत्नी को नहीं समझा सकते और यदि आप खुद उन्हें अपने साथ नहीं चाहते तो, व्यर्थ है आपका जीवन और आपकी तमाम उपलब्धियां….. शोधार्थी राकेश मोहन उमरचा