राजस्थान लेख

भारत में व्यवस्था परिवर्तन के 75 वर्ष बाद में यदि हम जागृत नहीं हो पाये तो बने रहो गुलाम, कुछ नहीं हो सकता- ओजस्वी

चितौड़गढ़ 10 जुलाई कबीर मिशन समाचार राजस्थान।

असमानता के झाल में जब कोई परिवर्तन होता नही लगे तब हमें आगे बढने, पढ लिखकर जागरुक होने के तरीके खोज लेने थे मगर व्यवस्था परिवर्तन के 75 वर्ष बाद भी नही हो पाना जागरुकता का अभाव हे जो बहुत ही नुकसान प्रद है।

आज भी संकीर्ण सोच, ओर व्यवस्थाएं, न्याय ओर समानता पर आधारिक नही है तथा अन्याय, असमानता, नफ़रत भेदभावपूर्ण, पक्षपात, जातिय नफरत ऊंच नीच, जेसी व्यवस्था पर आधारित है।

भारतीय दलित साहित्य अकादमी चितौड़गढ़ जिलाध्यक्ष मदन सालवी ओजस्वी लिखते है कि दलितों पिछड़ों आदिवासियों में समाज का आज तक सही नेतृत्व होता तो इतने वर्ष में दलितों बहुजनों, आदिवासियों में गजब का बदलाव देखा जा सकता था मगर आज भी ऐसा है नही। भारत में आज भी हर तरफ सामाजिक दलाल, सामाजिक सुधार व क्रान्ति की जरुरत है।

कुशल नेतृत्व का अभाव है।ओजस्वी लिखते है कि सही मायने में यदि भारत को हम समृद्ध, विकसित भारत बनाना चाहते हे तो भारत को न्याय पर आधारित, समानता, जाति विहीन, वर्ग विहीन आधारित भारत का निर्माण करना होगा।

वैज्ञानिक सोच विचार आचरण का महत्व हों, देश में फैले पाखंड, अंधविश्वास रूढ़िवाद आडम्बर के सारे कामों से निजात मिले।हकीक़त में सभी तरफ समानता, स्वतंत्रता, शिक्षा, जागरूकता, तथा मानवीय अधिकारों, को देखा जा सके, तभी सदियों की दासता ओर गुलामी से मुक्ति समझा जा सकता है।

वरना आजादी के नाम पर केवला छलावा है ओर कुछ भी नही। संविधान प्रदत समानता अभी भी बहुत दूर है। मदन सालवी ओजस्वी प्रदेश प्रवक्ता अम्बेडकरवादी जन क्रान्ति मॅच राजस्थान।

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