भोपाल मध्यप्रदेश

भोपाल। एससी एसटी एक्ट और आरक्षण सहित चार मांगों को छोड़कर करणी सेना की बाकी मांगों पर बनी सहमति

कबीर मिशन समाचार
भोपाल, मध्य प्रदेश

राजधानी भोपाल में करणी सेना के लगातार चार दिन से चल रहे आंदोलन को खत्म कर दिया गया। फिलहाल आंदोलन इसलिए खत्म कर दिया गया क्योंकि करणी सेना की 22 सूत्री मांगों में से 18 मांगो के लिए सरकार ने तीन अफसरों की एक कमेटी बनाई गई।

अब जानिए आरक्षण क्या है और क्यों मिला

आखिर जिस आरक्षण के लिए लोग लड़ रहे वह है क्या यह जानना बहुत जरूरी है तो हम आपको बताते हैं आरक्षण की शुरुआत कहां से हुई। महाराष्ट्र में कोल्हापुर के महाराजा छत्रपति साहूजी महाराज ने 1902 में पिछड़े वर्ग से गरीबी दूर करने और राज्य प्रशासन में उन्हें उनकी हिस्सेदारी देने के लिए आरक्षण का प्रारम्भ किया था। जाति व्यवस्था के नाम पर जो सामाजिक वर्गीकरण किया गया। वह सदियों से चले आ रहे अभ्यास के परिणामस्वरूप भारत अनेक अन्तर्विवाही समूहों, या जातियों और उपजातियों में विभाजित है। आरक्षण के समर्थकों का कहना है कि परम्परागत रूप से चली आ रही जाति व्यवस्था में निचली जातियों के लिए घोर उत्पीड़न हैं। आरक्षण इसलिए दिया जाता है, कि आरक्षित वर्ग के नागरिक जो राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। उनमें राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक समानता आ सके। आरक्षण मिला ही इसलिए है कि जातिगत रूप से पीड़ित लोगों को उनका प्रतिनिधित्व उन्हें मिलें।

इस एक्ट की जरूरत क्यों है

यह जानना भी बहुत जरूरी है कि इस एक्ट की आखिर आवश्यकता क्यों पड़ी। क्या ऐसा संभव हो पाता कि इस एक्ट के बिना जो पिछड़े हुए लोग हैं उन्हें समान आनुपातिक प्रतिनिधित्व हर क्षेत्र में मिल पाता। शायद नहीं इसलिए ही इस एक्ट की आवश्यकता पड़ी। आप रोज कहीं ना कहीं जातिगत उत्पीड़न की खबरें सुनते होंगे और अधिकांश जगह पर पीड़ित लोगों की आवाज दबाई जाती है। इसलिए आरक्षण की आवश्यकता हमारे संविधान को बनाने वाले बुद्धिजीवियों को महसूस हुई और इस प्रकार आरक्षण को शामिल किया गया।

जातिगत भेदभाव


जातिगत भेदभाव दिनोंदिन एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। जन्म से ही कुछ लोग जाति रूप से श्रेष्ठ हो जाते और कुछ लोग निम्न वर्ग के हो जाते हैं। यही जातिगत भेदभाव जो कि एक इंसान को दूसरे इंसान से जन्म के आधार पर ऊंच-नीच पर बांटता है, खतरनाक है। हर दिन इसी जातिगत भेदभाव के कारण अनेक घटनाएं होती रहती है। शादी विवाह में कहीं पर किसी दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया जाता है तो कहीं पर जुलूस नहीं निकालने दिया जाता है, तो कहीं पर मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है, कहीं पर किसी नलकूप से पानी नहीं भरने दिया जाता है ऐसी घटनाओं से जातिगत भेदभाव और बढ़ता रहता है। जातिगत भेदभाव को पूर्ण रूप से ख़त्म करना होगा। क्या हमारी आने वाली पीढ़ियां भी इसी जातिवाद में पनपती रहेगी। हम सबको इस वैमनस्यकारी कुंठित जातिवादी सोच से बाहर निकलना होगा। कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होगा। ऐसा करना बहुत जरूरी है।

करणी सेना का आंदोलन

पिछले 4 दिन से राजधानी भोपाल में करणी सेना के नेतृत्व में आंदोलन चलाया जा रहा था। जो कि आज जाकर समाप्त हुआ। इस आंदोलन में करणी सेना के 22 मांग थी। जिसमें से सरकार द्वारा 18 मांगों को विचार में लिया गया और तीन अफसरों की एक कमेटी बनाई गई।

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा था “करणी सेना के लोग हमारे अपने हैं,‌ कोई गैर नहीं। हम भाइयों में आपस में कोई बैर नहीं। सौहार्दपूर्ण वातावरण में उनसे चर्चा कर आंदोलन खत्म करने का आग्रह करेंगे।”

फिलहाल एससी एसटी एक्ट और आरक्षण सहित चार मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया है। क्योंकि यह चार मांगें केंद्र सरकार के अधीन है। चार मांगे यह है, पहली आरक्षण का आधार आर्थिक किया जाए। दूसरी एससी एसटी एक्ट में बिना जांच की गिरफ्तारी पर रोक लगे। तीसरी एससी एसटी एक्ट की तरह ही सामान्य पिछड़ा एक्ट बने और चौथी खाद्यान्न पर लगने वाले जीएसटी को हटाया जाए।

12 फरवरी का आंदोलन

करणी सेना के इस आंदोलन के बाद 12 फरवरी को भीम आर्मी द्वारा आरक्षण के समर्थन में सामाजिक न्याय यात्रा के रूप में भोपाल चलो का आवाह्न किया गया है।

आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने ट्वीट कर लिखा है कि वंचित बहुजन समाज में भाईचारा तैयार करने व संविधान में मिलें अधिकारों के प्रति बहुजन समाज को जागरूक करने के लिए आज मुरैना मध्यप्रदेश में भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी के नेतृत्व में चल रही सामाजिक न्याय यात्रा में शामिल होकर अपने बहुजन समाज से 12 फरवरी को भोपाल आने की अपील की।”


मध्य प्रदेश आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष ने अपने ट्वीट में लिखा है
“मध्यप्रदेश में दलितों/आदिवासियों/पिछड़ो के आरक्षण बचाने एव बढ़ाने के के लिये 12 फरवरी 2023 19 सूत्रीय मांगों के लिए BHEL भेल दशहरा मैदान पहुँचे।”

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