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पत्रकार पर प्रकरण दर्ज, पहले शिकायती पत्र भी नहीं आया काम

कबीर मिशन – संतोष कुमार सोनगरा जिला ब्यूरो चीफ आगर

भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर अब पुलिस शिकायतकर्ताओं के विरूद्ध ही प्रकरण दर्ज करने को आमदा हो चुकी है। हाल ही में विभिन्न भू-माफियाओं के विरूद्ध समाचार प्रकाशित करने व शासकीय विभागो की विभिन्न अनियमितताएं उजागर करने वाले एक पत्रकार के विरूद्ध कोतवाली थाने पर स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी की रिपोर्ट पर बगैर किसी जांच पड़ताल के आनन-फानन में प्रकरण दर्ज कर लिया गया। जबकि संबंधित पत्रकार पहले ही पुलिस को लिखित शिकायत कर चुका था पर उस शिकायत को नजरअंदाज करते हुए उल्टा पत्रकार पर ही प्रकरण दर्ज कर दिया गया।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 मनोज कुमार शर्मा द्वारा बनाए गए दिव्यांग प्रमाण पत्र को लेकर पत्रकार धीरप हाड़ा द्वारा शिकायत कर शासन-प्रशासन के संज्ञान में मामला लाया गया तब जवाबदारों ने आनन-फानन में कार्रवाई करते हुए 50 प्रतिशत दिव्यांगता का जारी किए गए प्रमाण पत्र को त्रुटिपूर्वक जारी होना बताया। वहीं संबंधित कर्मचारी की अन्य अनियमितताओं को लेकर भी शिकायत की गई। इस शिकायत के बाद हाड़ा लगातार स्वास्थ्य विभाग के संबंधित कर्मचारी की निगाह में खटकने लगा और तरह-तरह से हाड़ा को धमकियां मिलने लगी।

लगातार धमकियां मिलने पर 22 मार्च को कोतवाली थाना प्रभारी के समक्ष हाड़ा द्वारा आवेदन पत्र प्रस्तुत कर बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी मनोज शर्मा द्वारा उसे धमकाया जा रहा है और जान से मारने की धोंस दी जा रही है। पुलिस ने धीरप हाड़ा के इस आवेदन को नजरअंदाज कर दिया। स्थिति यह बनी कि 27 मार्च की शाम को संबंधित कर्मचारी द्वारा धीरप हाड़ा व उसके अन्य साथियो के साथ हाथापाई की गई और हाथापाई के बाद स्वयं के बचाव के लिए कोतवाली थाने पर हाड़ा के विरूद्ध शिकायत दर्ज करवा दी। पुलिस ने मनोज कुमार शर्मा पिता रविंद्रनाथ शर्मा 41 वर्ष निवासी शक्तिनगर कालोनी की रिपोर्ट पर बगैर कुछ जांच पड़ताल किए तथा हाड़ा द्वारा 22 मार्च को दिए गए आवेदन पत्र को नजरअंदाज करते हुए हाड़ा के विरूद्ध धारा 341 व 384 के तहत् प्रकरण दर्ज कर लिया।

वहीं धीरप हाड़ा द्वारा जब 28 मार्च को वापस कोतवाली थाने पर न्याय प्राप्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया तो उस आवेदन पर फोरी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने उसे जांच में डाल दिया।कलेक्टर संजय कुमार ने दिए थे शास्ति के निर्देश – स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 मनोज शर्मा के विरूद्ध वर्ष 2019 में गंभीर आरोप लगे थे जिसकी विभागीय जांच अपर कलेक्टर द्वारा की गई थी। अपर कलेक्टर की जांच रिपोर्ट पर तत्कालीन कलेक्टर संजय कुमार ने आरोप सिद्ध पाए जाने पर मुख्य शास्ति से दण्डित किए जाने का पत्र जारी किया था लेकिन तात्कालीन कलेक्टर के निर्देश पर आज तक कोई कार्रवाई नही हो पाई है। इसी तरह वर्ष 2014 में उज्जैन अंधत्व निवारण समिति की कैशबुक में अनियमितता करने को लेकर भी इन पर आरोप लग चुके है।

आरोपो से घिरे मनोज शर्मा का स्थानांतरण तात्कालीन कलेक्टर अजय गुप्ता ने नलखेड़ा कर दिया था पर वर्तमान सीएमएचओ ने इनका संलग्नीकरण सीएमएचओ कार्यालय में ही कर दिया।दिव्यांग प्रमाण पत्र की शिकायत होने पर बना था जांच दल – पत्रकार धीरप हाड़ा द्वारा 27 अक्टूबर 2023 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के समक्ष शिकायत प्रस्तुत कर बताया था कि सहायक ग्रेड-3 मनोज शर्मा द्वारा जो दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया गया है वह गलत तरीके से बनवाया गया है। हाड़ा की शिकायत पर सीएमएचओ द्वारा जांच दल का गठन किया गया जिसमें डॉ विजेन्द्र चुरिहार, डॉ मिथुन गोलदार व आयुष पौराणिक सहायक ग्रेड-3 को शामिल किया गया।

जांच दल ने जब जांच की तो अस्थि रोग चिकित्सक डॉ धीरेन्द्र ठाकुर ने जांच दल के समक्ष कहा कि 5 प्रतिशत दिव्यांगता पाई गई थी पर त्रुटिवश 50 प्रतिशत का प्रमाण पत्र जारी हो गया। सभी लोगो के कथन लेने के बाद स्वास्थ्य विभाग के जांच दल ने शिकायत का निपटारा कर दिया।बड़ा सवाल, मेडिकल बोर्ड कैसे कर सकता त्रुटी? – दिव्यांगता प्रमाण पत्र एक ऐसा प्रमाण पत्र होता है जिसके आधार पर कई तरह की योजनाओं का लाभ मिल सकता है। शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग के जांच दल ने शिकायत का निपटारा तो कर दिया लेकिन प्रमाण पत्र जारी किए जाने के पीछे महज एक मानवीय त्रुटी दर्शा दी।

किसी भी तरह का स्वास्थ्य संबंधित प्रमाण पत्र मेडिकल बोर्ड द्वारा तैयार किया जाता है यदि संबंधित का प्रमाण पत्र गलत जारी हो गया था तो शिकायत के पूर्व संबंधित द्वारा प्रमाण पत्र को वापस मेडिकल बोर्ड के समक्ष सुधार हेतु क्यों नही रखा गया? इस तरह के कई सवाल जांच दल द्वारा अपने जांच प्रतिवेदन में दर्शित ही नही किए गए। सीधे-सीधे शिकायत पर जांच का निपटारा कर दिया गया। जबकि प्रमाण पत्र जारी किए जाने के मामले में नियमानुसार पुलिस का हस्तक्षेप होना था।पत्रकारों में आक्रोश – police irregularities: बगैर जांच पड़ताल के पुलिस द्वारा पत्रकार धीरप हाड़ा पर दर्ज किए गए प्रकरण को लेकर पत्रकारों में खासा आक्रोश है।

श्रमजीवी पत्रकार संघ जिलाध्यक्ष अशोक गुर्जर, नजीर एहमद, गिरीश सक्सेना, रहमान कुरैशी, दिलीप कारपेंटर, महेश शर्मा, अनिल शर्मा, अर्श एहमद, बहादुर सिंह, दशरथ सिंह, दिलीप जैन, कनीराम यादव, रामेश्वर कारपेंटर, रिजवान खॉन आदि ने आक्रोश व्यक्त करते हुए बताया कि मप्र शासन गृह विभाग के स्पष्ट दिशा-निर्देश है कि पत्रकारो के विरूद्ध प्राप्त होने वाली शिकायतों पर पहले जांच पड़ताल की जाए फिर कोई कार्रवाई की जाए पर यहां तो पत्रकार पुलिस के समक्ष शिकायत करता है उसके पांच दिन बाद पत्रकार की शिकायत पर संज्ञान लेने की अपेक्षा पुलिस उल्टा पत्रकार पर ही प्रकरण दर्ज कर देती है।शिघ्र ही बैठक आयोजित कर लेंगे निर्णय

‘‘पत्रकार साथी पर बगैर जांच के दर्ज हुए प्रकरण की हम निंदा करते है शिघ्र ही इस संबंध में पत्रकार साथियों की एक बैठक आयोजित की जाएगी और उचित निर्णय लिया जाएगा -दुर्गेश शर्मा, प्रेस क्लब अध्यक्ष आगर’’‘‘

स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी मनोज शर्मा की रिपोर्ट पर 27 मार्च को धीरप हाड़ा के विरूद्ध प्रकरण दर्ज कर मामला जांच में लिया गया है वहीं धीरप हाड़ा द्वारा 22 मार्च तथा 28 मार्च को प्रस्तुत किए गए आवेदनों पर भी जांच की जा रही है वैधानिक कार्रवाई की जाएगी – अनिल मालवीय, कोतवाली थाना प्रभारी आगर’’

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