कबीर मिशन समाचार जिला सीहोर, सिहोर से संजय सोलंकी की रिपोर्ट।
यह चिंतामन गणेश भारत में स्थित चार स्वयंभू मूर्तियों में से एक माने जाते हैं। सीहोर के गणपति के बारे में कहा जाता है कि भगवान गणपति आज भी यहां साक्षात मूर्ति रूप में निवास करते हैं। इस मंदिर की स्थापना दो हजार साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने की थी। यह किवदंती प्रचलित है कि महाराजा विक्रमादित्य को गणपति की यह मूर्ति स्वयं गणेश जी ने ही दी थी। यह भी मान्यता है कि भगवान गणेश विक्रमादित्य के पूजन से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और मूर्ति स्वरूप में स्वयं यहां स्थापित हो गए।
चिंतामन गणेश की देशभर में चार प्रतिमाएं एक राजस्थान के रणथंभौर में, दूसरी उज्जैन में, तीसरी गुजरात के सिद्धपुर में तथा चौथी सीहोर में स्थित है। स्वयंभू प्रतिमा जमीन में आधी घंसी हुई है। चिंतामन गणेश मंदिर भोपाल से 40 किमी दूर सीहोर जिले में पार्वती नदी के किनारे में गोपालपुर गांव में स्थित है। चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर 84 गणेश सिद्ध मंदिरों में से एक है। गणेश मंदिर पेशवाकालीन श्रीयंत्र के कोण पर बना हैं। जिसमें गर्भगृह में भगवान शिव बिराजे है वहीं भव्य शिखर के साथ अंबिका मां दूसरे शिखर पर दुर्गा मां और मां शारदा आरूढ़ है।
भगवान राधाकृष्ण जी के साथ ही वैदिक मंगल कलश, ऊपर पवित्र सुन्दर सभा मंडप, नीचे सभा मंडप और परिक्रमा व्यवस्था है, बगल में विशाल वट वृक्ष पर अनेक देवी देवता विराजे है, वहीं पीछे शीतला माता भैरवनाथ सामने हनुमान जी का मंदिर है।
जनश्रुति के अनुसार जब भी महाराजा विक्रमादित्य पर कोई संकट आता था तब वे सिद्धपुर गणेश जी की शरण में आया करते थे और भगवान गणेश उन्हें सभी संकटों से मुक्त कर देते थे। तभी से निरंतर लोग यहां अपनी समस्याओं, परेशानियों को लेकर आते हैं। वे गणेश जी से अपनी चिंता दूर करने की मन्नत मांगते हैं।
यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर के पिछले हिस्से में उल्टा स्वाष्तिक बनाकर मन्नत रखते हैं और पूरी हो जाने पर दोबारा आकर उसे सीधी बनाते हैं। गणेश उत्सव के बाद भी यहां सालभर देश-विदेश से आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है। सीहोर में हर साल गणेश उत्सव गणेश चतुर्थी से शुरू होकर दस दिनों तक यहां विशाल मेला लगता है।