नीमच मध्यप्रदेश

हाथ से फिसली फसल, बारिश से धुले किसानों के अरमान, क्या जल्द ही सुनेगी सरकार….

कबीर मिशन समाचार।
(पवन शर्मा)
सोयाबीन सहित दूसरी फसलें कटी कटाई खेतों पड़ी मंडी जाने का इंतेजार कर रही थी। किसान भी त्यौहारी सीजन और देवउठनी ग्यारस पर वैवाहिक प्रसंगो की तैयारियां करने का इंतेजार कर रहे थे कि ऐसे में आफत की बारिश से किसानों के अरमानों के साथ फसलें भी हाथ से फिसल गई। एक एक दाने को उपजा कर लहलहाती उपज बनाने वाले अन्नदाता की सारी मेहनत और सारे सपने बारिश में धूल गए। बेमौसम हुई बारिश की मार ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी है। ऐसे में सरकार को भी जल्द ही मुआवजे की घोषणा कर अविलम्ब सर्वे करवाकर मुआवजा राशि दी जाना चाहिए।
वैसे क्षेत्र के सभी सक्रिय जनप्रतिनिधियों ने इस आपदा में किसानों के मन की पीड़ा को सरकार तक पत्र और फोन लगा कर पहुंचा दिया है। हर बार की तरह इस बार भी सरकार अन्नदाताओं के संकट में जल्द ही मुआवजे की घोषणा कर उनके साथ खड़ी दिखेगी। लेकिन त्यौहार और देवउठनी एकादशी पर होने वाले वैवाहिक प्रसंग नजदीक है। अन्नदाता इस फसल को इसी समय के लिए सुरक्षित रखने का प्रयत्न करता है, जिससे वो दीवाली, सहित वैवाहिक प्रसंग आदि महत्वपूर्ण कार्य निबटा लेता है। अब जब ऐसे हालात निर्मित हुए है तो समय पर फसलों का सर्वे और भुगतान हो जाए तो किसानों के घाव पर मरहम लग जाए। पूर्व में आई आफत का मुआवजा विलंब से हुआ था, कोरोना काल भी आर्थिक मार देकर गया था ऐसे में यदि सरकार घोषणा करने विलंब करे तो किसानों के लिए बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा।
पीड़ा तब होती है जब मुआवजे की घोषणा के बाद कुछ निक्कमे पटवारी किसानों के खेतों के सर्वे में विलंब कर उनके घाव पर नमक छिड़कते है।
जनप्रतिनिधियों से भी वैसे तो किसानों यह पीड़ा देखी नही जाती है। वे भी ऐसी आपदा में किसानों के साथ खड़े दिखते है। लेकिन इस बार मुआवजे की घोषणा में थोड़ी शीघ्रता आवश्यक लगती है।

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