यूनाइटेड ग्लोबल पब्लिक स्कूल लहार जिला भिण्ड में विज्ञान एवं प्रौधोगिकी विभाग भारत सरकार नई दिल्ली के सहयोग से रमन साइंस रिसर्च फाउण्डेशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय विज्ञान जागरूकता कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुये डॉ. उमेश कुमार ने अपने उद्यबोधन में कहा कि आधुनिक युग की पर्यायवाची ही वैज्ञानिक युग है। आजकल इंसान के जीवन का प्रत्येक पल कही न कही विज्ञान से ही जुडा है। बिना विज्ञान के मानव जीवन की कल्पना करना ही मुमकिन नही है। विज्ञान ने मानव जीवन को सरल और आसान बना दिया है। नमक से लेकर संचार के साधन तक सभी वस्तुएँ विज्ञान की ही देन है। आज हम लोग विज्ञान पर इतना निर्भर हो गए है कि सोचते है कि हमारे पूर्वज जो बिना विज्ञान के जीवन जिए जीवन कितना कठिन रहा होगा। आप डिजिटल अलार्म घडी के साथ उठते है, आप मौसम की रिपोर्ट के अनुसार अपने दिन की गतिविधि की योजन बनाते है, और कार में सवारी करते है, अपने सेल फोन से कॉल करना, रात में आपके घरो को उज्जवल रखने वाली रोशनी तक सब कछ है आधुनिक युग में।
डॉ. साधना शर्मा ने कहा कि विज्ञान प्रयोग और अवलोकन के आधार पर ज्ञान प्रदान करता है, लेकिन प्रोधौगिकी ज्ञान के अनुप्रयोग का कुल योग है। इससे उपयोगकर्ता का जीवन आसान और आरामदायक हो गया है। किसी देश को विकसित देश तभी कहा जाता है जब उसके पास कई तकनीकी प्रगति हो जापान जैसा छोटा देश अपनी प्रगति और प्रोधौगिकी के उच्च स्तर के अनुप्रयोगो के कारण यह प्रतिष्ठा हासिल करने में सफल रहा है। विज्ञान में सतत विकास के सभी तीन आयामों आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता है। विज्ञान हमे हर तरह से और हर दिन प्रभावित करता है, क्या आप उन 5 चीजो के बारे में सोचने का प्रयास कर सकते है जिनका आप प्रतिदिन अपने जीवन में उपयोग करत है और जो विज्ञान की देन नहीं है।
डॉ. मनीषा कुशवाह ने कहा कि वास्तव में विज्ञान की समझ के बिना आज की आधुनिक दुनिया इतनी आधुनिक नही होती जब हमे इस सवाल का जबाब देना होता है कि विज्ञान मानव जीवन को आकार देने में कैसे उत्प्रेरक है तो हम समझते है कि यह ज्यादातर प्रौधोगिकी नवाचार आधुनिक चिकित्सा के माध्यम से होता है, इससे असाध्य रोगा के इलाज और औषधियों का विकास हुआ है और मनुष्य की आयु में वृद्धि हुई है। पहले के समय में निदान और उपचार की कोई सुविधा नही थी जिसके कारण कई लोगों की मृत्यु हो जाती थी। आज कल बीमारी का पता लगाने के लिए मशीने मौजूद है।
तीन दिवसीय विज्ञान मेले में छात्र-छात्राओ ने वाद विवाद प्रतियोगिता, क्यिज प्रतियोगिता ड्रॉइंग प्रतियोगिता, रोल प्ले, नुक्कड नाटक, साइंस मॉडल प्रतियोगिताओं में भाग लिया जिसमें सभी विजयी प्रतियोगिताओं को पुरुस्कृत किया गया जिसमें साइंस मॉडल प्रतियोगिता में शिवम रजक ने प्रथम पुरुस्कार, अर्पिता प्रजापित ने दूसरा पुरूस्कार, एवं नेंसी वर्मा ने तीसरा पुरूस्कार प्राप्त किया। ड्राइंग प्रतियोगिता में विवके परिहार ने प्रथम प्ररूस्कार प्राप्त किया व डोली मोबिया ने दूसरा पुरूस्कार प्राप्त किया एवं प्रिया रजक ने तीसरा पुरूस्कार प्राप्त किया। डिवेट प्रतियोगिता में कीर्ति रजक ने प्रथम पुरूस्कार प्राप्त किया व अजय बाथम ने दूसरा पुरूस्कार प्राप्त किया एवं रिशभ शर्मा न तीसरा पुरूस्कार प्राप्त किया। क्यिज प्रतियोगिता में सचिन राही ने प्रथम पुरूस्कार प्राप्त किया व अतुल दोहिया ने दूसरा पुरूस्कार प्राप्त किया एवं नन्दनी सिसोदिया ने तीसरा पुरूस्कार प्राप्त किया। नुक्कड नाटक प्रतियोगिता में पूनम बंसल ने प्रथम पुरूस्कार प्राप्त किया व प्रांशी खरे ने दूसरा पुरूस्कार प्राप्त किया एवं रचना प्रजापति ने तीसरा पुरूस्कार प्राप्त किया। उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य प्रतियोगिताओं में सामूहिक रूप से विजयी प्रतिभागियों को पुरूस्कार एवं मेडल प्रदान किये गये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता रोहित झा ने की तथा कार्यक्रम का संचालन गजेन्द्र सिंह गुर्जर ने किया कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में रामजी सोनी, मोहन सिह, पिंकी रघुवंशी, व रागिनी शर्मा उपस्थित थे।