देश के अधिकांश अखबार-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मालिक-सम्पादक अब बड़े व्यापारी, होटल मालिकों से लेकर जमीनी सौदागरों में तब्दील हो चुके हैं… इनमें से कुछ ”मीडियाई रौब”
की आड़ में ”अवैध” कार्य भी करते हैं, जो समय-समय पर सुर्खियां बनते रहे हैं… इसी तरह का ”खेला” एक सम्पादक ने कर दिखाया है.. उन्होंने मरम्मत के नाम पर एक अवैध होटल ही तान दी… खबरों के अनुसार, मामला वाराणसी से सामने आया है… यहां नेशनल ग्रीन।
ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने वाराणसी के रानीघाट (रानी कोठी के पास) में गंगा नदी के तट पर अवैध तरीके से बनाए जा रहे अवैध होटल निर्माण को तुरंत ही रोकने और उसे जमींदोज करने के आदेश जारी किए हैं… इस ”जागरण पुराण” का भंडाफोड़ वरिष्ठ अभिभाषक आशीष कुमार पाठक ने एक याचिका लगाते हुए किया… उन्होंने एनजीटी में यह तथ्य मजबूती से रखने में सफलता हासिल की कि उक्त होटल
मरम्मत के नाम पर तान दिया गया है और गंगा नदी के बाढ़ क्षेत्र में है तथा इस होटल के तन जाने से पर्यावरणीय कानूनों का साफ-साफ उल्लंघन हो रहा है… एनजीटी की प्रधान पीठ में इसकी सुनवाई हुई, जिसमें माननीय न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव (चेयरपर्सन), न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, न्यूयमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेष सदस्य डॉ. अफरोज अहमद शामिल रहे… इस मामले को एक ”मीडियाई वेबसाइट” ने भी जोर-शोर से उठाया था…
उसने इस बात का खुलासा भी किया है कि उक्त होटल एक बड़े अखबारी समूह के ”सम्पादक राघवेन्द्र चड्डा*” का है और उन्होंने यह ”कारनामा” कर दिखाया… एनजीटी ने उक्त ”जमीनी जादूगरी” के ”जागरण पुराण” के मंसूबे नैस्तनाबूत करते हुए यह आदेश दिया कि गंगा नदी के बाढ़ क्षेत्र में किसी भी तरह का नया निर्माण गैर-कानूनी है और यह क्षेत्र पूरी तरह से संरक्षित होना चाहिए… ट्रिब्यूनल ने वाराणसी विकास प्राधिकरण और
उत्तरप्रदेश सरकार को निर्देश दिए कि गंगा तट की पारिस्थितिकी को बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई शुरी की जाए और इस अवैध निर्माण को ध्वस्त करें… वहीं इस मुद्दे को उठाने वाले आवेदक आशीष पाठक की सराहना भी ट्रिब्यूनल ने की और कहा कि इस मुद्दे को उठाकर उन्होंने एक महत्वपूर्ण कार्य किया है… उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गंगा की तलहटी में किसी भी तरह का निर्माण कार्य पर्यावरण और समाज के लिए नुकसानदायक ही है…