बिहार

चैत्र रामनवमी पर मधुबनी में धूमधाम से निकला भव्य शोभायात्रा

प्रदीप कुमार नायक स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार

मिथिला नगरी मधुबनी में गुरुवार को भक्ति भाव से सराबोर था।चारों ओर जय श्रीराम और जय बजरंगबली का घोष गूंजता रहा।देश भक्ति गीतों और गूंजते भजनों से वातावरण में भक्ति का अलौकिक रस धूल रहा था। नगर के विभिन्न मंदिरों में राम और हनुमान जी की पूजा अर्चना की गई।कोई भगवान राम और भगवान हनुमान के दर्शन उठाने को आतुर तो कोई गगनभेदी नारे लगाकर माहौल को उत्साहित करने को बेताब दिखे गए।भगवान के जयकारे,आतिशबाजी और हैरतअंगेज करतब लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी सूडी हाई स्कूल, काली मंदिर, स्टेशन रोड, कोतवाली चौक सहित अन्य मंदिरों में काफी हर्षोल्लास के साथ रामनवमी मनाया गया।

पूजा अर्चना के साथ साथ भारतीय चेतना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार महतो के तत्वाधान में सूडी स्कूल से बैंड बाजे के साथ जुलूस निकाला गया।स्टेशन रोड स्थित हनुमान मंदिर से राजू कुमार राज द्वारा जुलूस निकाला गया।जुलूस नगर परिभ्रमण करते हुए थाना चौक,बाटा चौक,स्टेशन रोड,शंकर चौक होते हुए मंदिर वापस आ गया।जुलूस में काफी संख्या में श्रद्धालु भक्त शामिल थे।जुलूस के दौरान शाहजंहा अंसारी ने राम भक्तों के बीच शीतल जल का बोतल बाटकर एकता और भाईचारे का बहुत बड़ा पैगाम दिया।जुलूस में गणेश महाराण,स्वर्णिम गुप्ता,मनोज कुमार मुन्ना,बिनोद गुप्ता,संजय प्रधान,संदीप श्रीवास्तव के साथ साथ हजारों लोग मौजूद थे।

रामनवमी पर्व के अवसर पर हमें उनके बताए रास्ते पर चलना चाहिए। उनके बाल सौंदर्य के लालित्य को याद करना चाहिए, मिठाइयां बंटनी चाहिए। लेकिन लोकमानस को राजनीति ने इतना विकृत कर दिया है कि आज हर इमेज में राम धनुष की प्रत्यंचा खींचे हुए युद्धरत दिखाए जा रहे हैं। नगरों में हथियारों को लेकर जुलूस निकाले जा रहे हैं। मानो आज रामनवमी नहीं दशहरा हो! हमारे पर्व -त्योहार तक राजनीति के बंधक बन गए हैं ।

यह बड़ा ही दुखद है। प्रभु श्रीराम का तो जन्म दिन मनाते हैं।

उनके आदर्श को मानव कहाँ निभाते हैं।।

पिता रोते हैं माता बिलखती किनको दर्द कहे।

उनके पेंशन पे भी टेंशन नजर आते हैं।।

बृद्धा आश्रम में माता पिता को छोड़कर आते हैं।।

रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे l रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ll

रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोsस्म्यहम् l रामे चित्तलय: सदा भवतु में भो राम मामुद्धर ll

भावार्थ — राजाओं में सर्वश्रेष्ठ मेरे प्रभु श्रीराम जी सदा विजय को प्राप्त करते हैं ! मैं लक्ष्मीपति श्रीराम जी का भजन करता हूं l सम्पूर्ण राक्षस सेना को नाश करने वाले श्रीराम जी को मैं नमस्कार करता हूं l श्रीराम जी के समान कोई अन्य आश्रयदाता नहीं है l मैं उन शरणागत – वत्सल का दास हूं l मेरा चित्त हमेशा श्रीराम जी में लीन रहे l हे श्रीराम ! आप मेरा उद्धार करें l

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