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हाईकोर्ट का आदेश भोजशाला के संपूर्ण परिसर का होगा वैज्ञानिक सर्वेक्षण..

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कबीर मिशन समाचार
पवन सावले

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि:–

एएसआई भोजशाला की ऐतिहासिकता का वैज्ञानिक और तकनीकी सर्वेक्षण करे.
जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस देव नारायण मिश्र की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि एक्सपर्ट कमेटी दोनों पक्षकारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार सिस्टम सहित सभी उपलब्ध वैज्ञानिक तरीकों के साथ परिसर के पचास मीटर के दायरे में समुचित स्थानों पर जरूरत पड़ने पर खुदाई करा कर सर्वेक्षण करे. तस्वीरें और वीडियो बनाए जाएं. साथ ही 29 अप्रैल के पहले कोर्ट को रिपोर्ट दी जाए. 29 अप्रैल को कोर्ट में अगली सुनवाई है. सामाजिक संगठन ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ ने ये याचिका दाखिल की है. कोर्ट ने ASI को पांच सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी का गठन करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट आदेश मिलने के बाद 6 हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है.

करीब 1,000 साल पुराने भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच अथवा सर्वेक्षण अथवा खुदाई या ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ (जीपीआर) सर्वेक्षण समयबद्ध तरीके से करने की मांग की थी. भोजशाला के सरस्वती मंदिर होने के अपने दावे के समर्थन में हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट के सामने इस परिसर की रंगीन तस्वीरें भी पेश की हैं. भोजशाला मंदिर सह कमाल मौला मस्जिद की पूरी साइट के संबंध में निदेशक, ASI को निम्नलिखित निर्देश जारी किए जाते हैं :

विवादित भोजशाला मंदिर सह कमाल मौला मस्जिद परिसर के साथ-साथ आसपास के परिधीय रिंग क्षेत्र के पूरे 50 मीटर क्षेत्र के जीपीआर-जीपीएस सर्वेक्षण के नवीनतम तरीकों, तकनीकों और तरीकों को अपनाने के माध्यम से पूर्ण वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण और उत्खनन हो, परिसर की सीमा से वृत्ताकार परिधि का निर्माण किया जाए.

मैदान; जमीन के नीचे और ऊपर दोनों जगह स्थायी, चल और अचल संरचनाएं, जो पूरे परिसर की दीवारों, स्तंभों, फर्शों, सतहों, ऊपरी शीर्ष, गर्भगृह का निर्माण करती हैं, ऊपर और नीचे विभिन्न संरचनाओं की उम्र, जीवन का पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग पद्धति को अपनाकर एक विस्तृत वैज्ञानिक जांच की जानी चाहिए. ASI के महानिदेशक/अतिरिक्त महानिदेशक की अध्यक्षता में ASI के कम से कम पांच वरिष्ठतम अधिकारियों की एक विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार की गई एक उचित दस्तावेज वाली व्यापक मसौदा रिपोर्ट इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तिथि से छह सप्ताह की अवधि के भीतर इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी. उक्त विशेषज्ञ समिति में दोनों प्रतिस्पर्धी समुदायों के अधिकारियों (यदि उक्त पद और रैंक उपलब्ध हो) का प्रतिनिधित्व करने का प्रयास किया जाना चाहिए.

वादी और प्रतिवादी के दो (2) नामांकित प्रतिनिधियों की उपस्थिति में संपूर्ण सर्वेक्षण कार्यवाही की तस्वीरें लेना और वीडियोग्राफी हो.

पूरे परिसर के बंद/सील कमरों, हॉलों को खोला जाए और प्रत्येक कलाकृति, मूर्ति, देवता या किसी भी संरचना की पूरी सूची तैयार हो और संबंधित तस्वीरों के साथ इसे जमा किया जाए. ऐसी कलाकृतियों, मूर्तियों, संरचनाओं को वैज्ञानिक जांच, कार्बन डेटिंग और सर्वेक्षण के समान अभ्यास के अधीन किया जाना चाहिए. इसे न्यायालय के समक्ष दायर की जाने वाली रिपोर्ट में अलग से शामिल किया जाना चाहिए.

कोई अन्य अध्ययन, जांच, जो ASI की उक्त पांच (5) सदस्य समिति को आवश्यक लगता है, वास्तविक प्रकृति का पता लगाने की दिशा में, पूरे परिसर की मूल प्रकृति को नष्ट, विरूपित, नष्ट किए बिना किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ताओं द्वारा दावा की गई राहत या विवादित परिसर में पूजा और अनुष्ठान करने के अधिकार से संबंधित अन्य सभी मुद्दों और प्रस्तुतियों पर विशेषज्ञ समिति से उपरोक्त रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही विचार और निर्धारण किया जाएगा

.आदेश के मुख्य बिन्दू
१. भोजशाला के पूरे परिसर का सर्वे और उत्खनन वैज्ञानिक पद्धति से होगा
२. ⁠उत्खनन और सर्वे GPS GPR तकनीक के साथ कार्बन डेटिंग तथा अन्य नई तकनीक से करने का आदेश।
३. ⁠भोजशाला परिसर की बाउंड्रीवाल से 50 मीटर की दूरी तक सर्वे किया जावेगा।
४. ⁠ असि के वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी की निगरानी में सर्वे होगा
५. ⁠उत्खनन एवं सर्वे की वीडियोग्राफी कराई जावेगी।
६. ⁠ परिसर के सभी बंद पड़े कमरों, खुले परिसर तथा सभी खम्बों का विस्तार से सर्वे होगा
७. ⁠उत्खनन सर्वे की रिपोर्ट 2 महीने में प्रस्तुत करने के आदेश

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