अमेठी वो सीट है जँहा देश की राजनीति का सबसे बड़ा उलटफेर हुआ था 2019 के चुनाव में यह राहुल के अंध विरोध की राजनीती का एपिक सेंटर था 2014 में जो सिलसिला हुआ वो केवल अमेठी तक सीमित नहीं था, उसका असर समूची हिंदी पट्टी में देखा जा सकता था सन 2012 से राहुल के विरोध में चलाया जा रहा झूठा प्रॉपगेंडा 2019 तक आते आते अपने चरम पर पहुँच चुका था, यह इतना बड़ा मायाजाल था की अमेठी की भोली भाली जनता भी इसके फेर में आ गईं और उसने अपने सबसे बड़े नायक को हरा दिया।
लेकिन आज पासा पलट गया पिछले चुनाव में 55 हजार से जीती स्मृति हार की कगार पर हैं उसका कारण खुद स्मृति है स्मृति ईरानी के घमंड और रूखे व्यवहार के कारण उनके बहुत से दुश्मन पार्टी के अंदर ही बन गए हैं, आज उनसे कोंग्रेसी के साथ साथ भाजपाई भी नाराज हैं उनके खिलाफ किशोरी लाल जी नहीं अमेठी की जनता लड़ रही है।
अगर आज स्मृति ईरानी के हारने की खबरे सुर्खियां बन रही हैं तो एक बात तो तय है कि वो अकेले नहीं हार रही हैं, उनके साथ साथ नफ़रत, गुस्से और कड़वाहट से भरी वो राजनीति भी हार रही है जिसने पिछले 5 सालों से अमेठी की जनता का जीना मुहाल कर दिया है। पोस्ट क्रेडिट: @grafidon ट्विटर द्वारा