देवास मध्यप्रदेश समाज

सन्त तुम्हे याद करे ये अहोभाग्य की बात है…गुरुभक्त परिवार

अन्तर्मना गुरुदेव के सिहनिस्क्रीडित व्रत के 200 उपवास पूर्णपत्र के माध्यम से पत्रकारों को अन्तर्मना प्रेसवार्ता में मिला शुभाशीष


कबीर मिशन समाचार जिला ब्यूरो संवाददाता पवन परमार जिला देवास


सोनकच्छ। पुष्पगिरी तीर्थ प्रणेता गणाचार्य श्री पुष्पदन्त सागर जी सुयोग्य शिष्य अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज की 557 दिन सिंहनिस्क्रीडित व्रत व मौन उपवास की साधना में गुरुदेव के 200 उपवास निर्विघ्न पूर्ण होने पर भक्तो में अपार उत्साह है। गौरतलब है कि आचार्य श्री जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के बाद उग्रतम तपश्या करने वाले एक मात्र दिगम्बर जैन सन्त है।

जिन्होंने अपने सब तक के जीवन काल में 3500 से अधिक उपवास कर लिए है। इस उपलब्ध में गुरुभक्त परिवार सोनकच्छ के सौजन्य से शुक्रवार सुबह सेठी गार्डन में एक अन्तर्मना प्रेसवार्ता आयोजित की गई। वार्ता में गुरुभक्त परिवार द्वारा अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के वर्तमान में झारखंड के अनादि अनिधन शाश्वत तीर्थराज सम्मेदशिखर पर्वत की वरदानी छाव तले, सिंहनिष्क़ीडित व्रत की 557 दिन की उत्कृष्ट कठोर तप साधना के बारे में अवगत कराया गया। जहाँ उक्त उपवास के 200 दिवस पूर्ण हुए जिसमे 25 पारणा और 175 उपवास, बिना जल लिये अखण्ड मौन एकान्त साधना गुरुदेव द्वारा की गई है।

उक्त प्रेसवार्ता में अन्तर्मना स्वर्णिम जन्म जयंती महोउत्सव व पुष्पगिरी तीर्थ प्रवक्ता प्रवक्ता रोमिल जैन व गुरुभक्त परिवार के विकल्प सेठी, राजेश सेठी, संकल्प सेठी,आशीष जैन ने पत्रकारों को बताया कि आप सन्त को याद करे ये आप का सौभाग्य है लेकिन सन्त आप को याद कर रहे है ये आप का अहोभाग्य है। साधना में लीन गुरुदेव ने आप सभी को पत्र के माध्यम से बसन्त पंचमी माता सरस्वती के पावन दिन पर सरस्वती पुत्रो का अपना आशीर्वाद दिया। उन्होने बताया कि कंकर से शंकर बनने, वीर से महावीर बनने, राग से वैराग्य बनने का कोई सुखद राह है तो वह धर्म है…इसीलिए देश के सभी पत्रकार साथियों से कहना चाहता हु की धर्म कोई भी हो उस धर्म की वाणी जन जन तक पहुचने का पहला कर्तव्य आप का है। क्योकि ये देश भगवान राम, कृष्ण महावीर व बलिदानियो की धरती है।

सन्तो के आशीर्वचन सेकड़ो भक्त सुनते है लेकिन जब आप संतवाणी को अपनी कलम से संजोकर लिखते तो उसे लाखो जनता सुनती और पड़ती है। अन्तर्मना गुरुदेव द्वारा पुष्पगिरी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोउत्सव में पत्रकारों की से मिले सहयोग की सराहना करते हुए देश भर को सरस्वती पुत्रो को धार्मिक समाचारों के प्रकासनार्थ अपना शुभाशीष दिया। सहभोज गुरु प्रसादी के बाद वार्ता का समापन हुआ। इस अवसर पर नगर पत्रकार संघ ने गुरुदेव के स्नेह आशीष से प्रभावित होकर तीर्थ राज सम्मेदशिखर में जाकर उनसे मिलने की इच्छा जाहिर के संघ की ओर से गुरु चरणों मे नमोस्तु अर्पित किया।

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