कबीर मिशन समाचार पत्र जिला ब्यूरो चीफ महाराज सिंह दिवाकर की रिपोर्ट
विदिशा – राष्ट्रपिता ज्योति राव फूले को शत-शत नमन जिनके मन में एक विचार आया था बच्चे की पहली गुरु उसकी मां होती है क्यों ना महिलाओं को पढ़ाया जाए उन्होंने सर्वप्रथम अपनी धर्मपत्नी माता सावित्रीबाई फुले को पढ़ाया और वह भारत की पहली महिला शिक्षिका बनी जब राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले और राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले महिला शिक्षा के ऊपर जोर दे रहे थे । महिलाओं को पढ़ाने लिखाने का काम कर रहे थे उस समय हमारे ही वर्ग की कुछ महिलाएं माता सावित्रीबाई फुले का विरोध कर रही थी क्योंकि हिंदू धर्म ग्रंथों में महिलाओं को पढ़ने लिखने का अधिकार नहीं था इसलिए वह हमेशा माता सावित्रीबाई फुले की निंदा करती रहती थी कहती थी महिलाओं को तो पढ़ने का अधिकार नहीं है ज्योति राव फुले और सावित्रीबाई फुले धर्म के विरुद्ध काम कर रहे हैं ।
और जब माता सावित्रीबाई फुले कुछ महिलाओं को पढ़ाने जाती थी तो हिंदू महिलाएं माता सावित्री बाई फुले के ऊपर गंदा पानी डालती थी इन कष्टों को भी माता सावित्रीबाई फुले ने सहन करा और महिला शिक्षा को बढ़ावा देती रही कुछ धर्म के ठेकेदारों ने ऐसा षड्यंत्र रचा माता सावित्रीबाई फुले को और राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले को उनके मम्मी पापा ने अपने ही घर से निकाल दिया उस बुरे समय में उनके ही गांव में एक फातिमा शेख नाम की बेगम रहती थी उन्होंने अपना बाड़ा ज्योति राव फूले को दिया और वहीं पर फिर से महिला शिक्षा का कार्य शुरू हो गया और महिलाएं पढ़ने लिखने लगी आज उन राष्ट्रमाता का जन्मदिन है वह आज हमारे बीच नहीं है पर उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा हमें याद आते रहेंगे जब तक सूरज चांद रहेगा राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले और राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले को शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा याद किया जाएगा नमो बुद्धाय जय भीम।