कबीर मिशन समाचार।। लेख, कविता
मां _बाप की सारी जिंदगी निकल जाती है अपनी बेटी को
संस्कार देने में और कुछ लोग 2 मिनट में उसका कैरेक्टर सर्टिफिकेट दे जाते हैं ।
बेटियां, आंगन की चार दिवारी से
एक इंच भी दूर का सपना देख ले तो समाज के लंबे नाखून उन्हें नोच ना ले,, तानों की लंबी लाइन लगा दी जाती है।,,
समझ नहीं आता;;
ये लोग होते कोन है ??किसी की बेटी का कैरेक्टर परखने वाले,,,
दुनिया कहां से कहां पहुंच गई ,
आज 21वीं शताब्दी में. लोगों की यह सोच. बड़ी शर्म वाली बात है।
सुनो लड़कियों घर से भागो ,
प्रेमी के साथ नहीं !; बल्कि,
इतिहास ,भूगोल, विज्ञान, मनोविज्ञान ,साहित्य की किताबें लेकर,,”
जब इन किताबों को सीढ़ियां बनाकर मारियाना की गर्त से लेकर ,
चांद पर पहुंच जाओगी ,
तब कोई प्रेमी भगाएगा नहीं, बल्कि
खुद ही सम्मान के साथ किताबे देगा बजाय फूल और झूठी प्रसन्नता के।
सुनो लड़कियों जब, मुश्किल हो जाए समाज में जीना,
हर रिश्ता काटने को दौड़े! तब,
दो पल के लिए ठहरना,
और सोचना जरूर, खुद को खत्म करके क्या मिलना है??
तब तुम शक्ति बटोरना
और जीने के लिए नई-नई रहा निकालना ।
और ऊंचाइयों पर पहुंच कर समाज, दुनियां,को कर दिखाना।
की तुम सदा सक्ति का रूप हो, सम्मान हो, अभिमान हो, मां पापा की आना हो।।।। पूजा मालवीय,,