आज आपको विस्तार से नागा साधुवो के बारे में बताएँगे ।
हिमालय और गुफाओं में रहते है।नागा साधु लोगो के बीच बहुत काम आते है। ये किसी अखाड़े, आश्रम या किसी मंदिर से भी जुड़े होते है,ये अक्सर समूह में रहते है। कुछ तप करने के लिए हिमालय
और गुफाओं में चले जाते है।वह अर्धकुंभ, महाकुंभ में निर्वस्त्र रहकर हुंकार भरते हैं, शरीर पर भभूत लपेटते हैं, नाचते गाते हैं, डमरू ढपली बजाते हैं लेकिन कुंभ खत्म होते ही गायब हो जाते हैं।
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आखिर क्या है नागाओं की रहस्यमयी दुनिया का सच? कहां से आते हैं और कहां गायब हो जाते हैं ये साधु, आइए जानते हैं.
नागा साधु जंगल के रास्तों से ही यात्रा करते हैं। आमतौर पर ये लोग देर रात में चलना शुरू करते हैं। यात्रा के दौरान ये लोग किसी गांव या शहर में नहीं जाते, बल्कि जंगल और वीरान रास्तों में डेरा डालते हैं। रात में यात्रा और दिन
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में जंगल में विश्राम करने के कारण सिंहस्थ में आते या जाते हुए ये किसी को नजर नहीं आते।कुछ नागा साधु झुण्ड में निकलते है तो कुछ अकेले ही यात्रा करते हैं। नागा यात्रा में कंदमूल फल, फूल और पत्तियों का सेवन करते हैं।
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अखाड़ों के ज्यादातर नागा साधु हिमालय, काशी, गुजरात और उत्तराखंड में रहते हैं। अगर आप पहाड़ी राज्यों में भ्रमण पर
जाएं तो आपको कई आश्रम या रास्ते भी दिखाई देंगे। मसलन ऋषिकेश से नीलकंठ जाने पर वहां आपने कई और भी मंदिर या मठ देखे होंगे… बस इन्हीं पहाड़ियों पर नागाओं का भी बसेरा
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होता है।ये सभी गांव या शहर से दूर पहाड़ों, गुफाओं और कन्दराओं में साधना करते हैं। नागा संन्यासी एक गुफा में कुछ साल रहने के बाद अपनी जगह बदल देते हैं।
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