नरवाई जलाने से खेत के प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु नष्ट होते है
कबीर मिशन समाचार जिला सीहोर।सीहोर से संजय सोलंकी की रिपोर्ट ।
जिला सीहोर के राजस्व सीमा में रबी मौसम की फसल (गेहूँ, चना, मंसूर) की कटाई के पश्चात बहुसंख्यक कृषकों द्वारा अपनी सुविधा के लिए खेत में आग
लगाकर गेहूँ, चना, मंसूर के डंठलों को नष्ट कर खेत साफ किया जाता है। जिससे आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
इसे नरवाई में आग लगाने की प्रथा के नाम से भी जाना जाता है। जिला दण्डाधिकारी श्री बालागुरु के. ने नरवाई में आग लाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन
, पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने एवं जनहित को दृष्गित रखते हुये नरवाई में आग लगाने पर प्रतिबंध किया जाता है। जिला दण्डाधिकारी श्री बालागुरु के. ने गत दिवस आदेश जारी कर नरवाई में आग लगाना कृषि के लिए नुकसान दायक होने के साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से भी हानिकारक है।
इसके कारण विगत वर्षो में गंभीर स्वरूप अग्नि दुर्घटनाऐं घटित हुई तथा व्यापक संपत्ति की हानि हुई है तथा बढ़ते जल संकट में इससे बढ़ोत्री तो होती है साथ ही कानून, व्यवसाथा के लिये भी विपरीत स्थितियां निर्मित होती है। नरवाई जलाने से प्रथम दृष्टया नुकसान होने से जनहित में इस पर रोक लगाई जाना आवश्यक है।
जारी आदेशानुसार जिला दण्डाधिकारी श्री बालागुरु के. ने आदेश जारी निर्देश दिये है कि खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जनसंपत्ति व प्राकृतिक वनस्पति, जीवजन्तु आदि नष्ट हो जाते है, जिससे व्यापक नुकसान होता है। खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु इससे नष्ट होते है
, जिससे खेत की उर्वरक शक्ति शनैःशनैः घट रही है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। खेत में पड़ा कचरा, भूसा, डंठल सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते हैं, इन्हें जलाकर नष्ट करना उर्जा को नष्ट करना है। आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
जिले में कई कृषकों द्वारा रोटोवेटर से व अन्य साधनों से गेहूं के डंठल खेत से हटाने के लिए साधन अपनाये जाने लगे है।
जिले में खेत/खलियानों से गुजर रही बिजली की लाईनों पर कुछ कृषकों के द्वारा अवैध वायर अथवा तार लगाकर बिजली का उपयोग किये जाने से तारों से स्पार्किंग होने से कई बार फसलों में आगजनी की घटनाएं होने की संभावना बनी रहती है।
इन परिस्थितियों में जन सामान्य के हित, सार्वजनिक सम्पत्ति, पर्यावरण एवं लोक व्यवस्था को बनाये रखने के लिए जिले की भौगोलिक सीमा में खेत में खड़े गेहूँ, चना, मंसूर के डंठलो (नरवाई) में आग लगाई जाने पर प्रतिबंध किया जाता है
भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिता की धारा 163 के अंतर्गत आदेश जारी करते हुये इसे तत्काल प्रभाव से प्रभावशील रहेगा।आदेश का उल्लंघन करने पर 2500 से 15 हजार रूपये प्रति घटना देना होगा राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशानुसार किसी भी व्यक्ति अथवा संस्था से उपरोक्त छोटे भूमि मालिक जिनकी
भूमि का क्षेत्र 02 एकड़ से कम है, पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 2500 रू प्रति घटना देना होंगे। छोटे भूमि मालिक जिनकी भूमि का क्षेत्र 02 एकड़ से अधिक व 05 एकड़ से कम है
, को पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 5000रू प्रति घटना देना होंगे। छोटे भूमि मालिक जिनकी भूमि का क्षेत्र 5 एकड़ से अधिक है, को पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 15000/-प्रति घटना देना होगें।