भिंड मध्यप्रदेश

राजदर्शन नही रामदर्शन की आवश्यकता, सामाजिक समरसता मेला एव विशाल आध्यात्मिक समारोह का आयोजन

कबीर मिशन समाचार पत्र भिण्ड

गोहद : रघुनाथ जी धाम खनेता में साकेतवासी विजयराम दास महाराज की 26वीं पुण्यतिथि पर मध्यप्रदेश तीर्थ स्थान मेला प्राधिकरण डीसी विजयराम दास जी महाराज सामाजिक समरसता मेला एव विशाल आध्यात्मिक समारोह का आयोजन किया जा रहा है । समारोह में रामानन्दाचार्य रामदिनेशाचार्य जी ने भरत के चरित्र का सुंदर बर्णन किया।उन्होंने कहा कि जब चक्रवर्ती महाराज दशरथ का निधन हो गया और राम को चौदह वर्ष का बनवास हो गया तो अयोध्या की गद्दी पर बिठालने के लिए भरत को बुलाया गया

और जब अयोध्या आने पर भरत को जानकारी मिली तो उन्होंने अपनी माँ केकई से कहा कि में आप को कभी माफ नही करूंगा आपने मुझे कलंकित कर दिया में कभी भी आपको मां नही कहुंगा इसके बाद गुरु एव दरबारियों ने गद्दी सभालने के लिये आग्रह किया तो उन्होंने सबसे पहले राम से मिलने की इच्छा जाहिर की केवट और लछमण को भी हुआ शक ,भगवान राम से मिलने जब भरत लाव लश्कर के साथ पहुचे तो केवट व लक्ष्मण को शक हुआ उन्होंने समझाया कि भरत को में जनता हूं। वो राजदर्शन के लिए नही बल्कि रामदर्शन के लिए आ रहा है भगवान राम ने भरत के आगमन की सूचना पर बनदेवी से आग्रह किया कि रास्ते के सभी कांटे हटाकर रास्ता साफ कर दो तो बनदेवी ने कहा कि क्या आपका भाई इतना कोमल है। कि उसे कांटे का दर्द सहन नही होगा भगवान राम ने कहा कि अगर उसे कांटा लगेगा तो वो अपने आप को माफ नही कर पायेगा कि मुझे उसके कारण बन बन भटकना पड़ा

22 जनवरी को मनेगा राष्ट्रीय पर्व

रामानन्दाचार्य दिनेशाचार्य जी ने आसन्दी से कहा कि देश 15 अगस्त 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व मनाया जाता है।साथ ही अब 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन होने पर अब इस दिन को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाएगा क्योंकि 22जनवरी को अध्यात्म की स्वतंत्रता मिली है। कलयुग की अंतिम व्यवस्था रामचरितमानस है जो राजनीति, धर्म ,परिवार सभी की शिक्षा देती है।आज यदि हर घर में राम जैसा भाई होगा तो भरत जैसा भाई हर घर में बन जाएगा।भारत देश की पहली घटना थी जब राम को वनवास होने की सूचना मिलने के बाद भरत ने राज्य ग्रहण नहीं किया और राम जी से मिलने की इच्छा जताई।

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