कबीर मिशन समाचार । राजकुमार 7089513598
लेख | बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव रामजी अम्बेडकर ने वर्षों पहले दलितों के उत्थान के साथ ही महिलाओं के सशक्तिकरण का मूलमंत्र दे दिया था और उनका ये मूलमंत्र “शिक्षा” था। बाबा साहेब ने दशकों पहले नारी सशक्तिकरण के लिए महिलाओं से जल्द शादी नही करने और पतियों की गुलामी नही करने का आह्वान किया था। महात्मा ज्योतिबा फूले जिन्होंने समाज से तिरस्कृत होने के बावजूद भी बहुजन समाज को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया था,,, दिया साथ पत्नि का और महिलाओं के लिए प्रथम विद्यालय खुलवाया था,,,, ऋणी हूं मै इनकी कैसे समाज के डर से झुक जाऊं,, शिक्षा मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है स्त्री जन्म से स्वतंत्र है। स्त्री और पुरुष दोनों को संविधान से समान हक मिला है, फिर किसी की औकात जो संविधान से बड़ा हो जाए।
जमाना क्या सोचेगा ये मत सोचो क्योंकि जमाना बहुत अजीब है , नाकामयाब लोगों का मजाक उड़ाता है और कामयाब लोगो से जलता है । मै अपनी राह खुद चुनने में सक्षम हूं किसी की गुलामी करना बाबा साहेब ने नही सिखाया। अगर एक पति पत्नि का साथ दे तो वो उसे राजा बना देती है । जो खुद को अंबेडकरवादी कहते हो तो स्वयं में आंबेडकरवाद लाओ बहनों को शिक्षित करो , वैसे ही पत्नि को भी पढ़ाओ । जय भीम जय भीम कहकर गलियों में घूमने से कोई सच का अंबेडकरवादी नही हो जाता , समाज से लड़कर दिल में जज्बा भरना पड़ता है हर वक्त डंटे रहने की शक्ति होनी जरूरी है, अडिग रहना पड़ता है
महापुरुषों के विचारों और संघर्षों के वचनों पर। महिलाओं को आगे बढ़ाना भी जरूरी है। जो पुरुष स्वयं को श्रेष्ठ और स्त्री को उससे कम समझ के चलता है वो कभी सच्चा अंबेडकरवादी नही हो सकता। हम आज की सदी के लोग है। 18 वी सदी की सोच से बाहर निकलना होगा । स्त्री पुरुष में कोई भेद नहीं है ये जानना होगा इसे जहन में बिठाना होगा। बहुजन महापुरुषों ने हमेशा महिलाओं के आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष किया। उनका मोटिव केवल पुरुष साक्षरता नही थी ।
चंचल परिहार (बिट्टो) भीम आर्मी पूर्व ज़िला उपाध्यक्ष देवास, भीम आर्मी महिला विंग मप्र