कबीर मिशन समाचार । सोशल मीडिया पर खास ट्विटर पर कुछ दिनों से समाजिक क्षेत्र की लड़ाई आदि आदि बातें को लेकर एक व्यक्ति बहुत चर्चा में चल रहा है नाम है लोकेन्द्र गुर्जर। लोकेन्द्र गुर्जर मप्र के निवासी और लम्बे समय से ओबीसी वर्ग के लिए संघर्षरत हैं। ओबीसी महासभा संगठन से जुड़े हैं पदाधिकारी भी है। वैसे तो ओबीसी वर्ग के लिए कुछ ही लोग सामने आते हैं और कुछ ही इस गिनती के ओबीसी इस बात को समझते हैं कि सबसे बड़ा धोका केवल ओबीसी वर्ग के साथ हो रहा है।
एससी एसटी तो अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन ओबीसी वर्ग अभी भी सो रहा है। वे अपने अधिकार से परिचित नहीं हैं। खैर बात लोकेन्द्र गुर्जर की तो वे पहली बार 12 फरवरी 2023 को भोपाल के दशहरा मैदान में एक बहुत बड़ा आंदोलन हुआ था।
जिसमें एससी एसटी और ओबीसी वर्ग के लाखों लोग पहुंचे थे। उस आंदोलन ने गुर्जर अपनी बयान में कुछ ऐसे बोल दिया था किससे वे सुर्खियों में आए। अब लम्बे समय से 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
जिसको लेकर लोकेंद्र गुर्जर ने याचिका दायर कि और आपत्ति जताई कि ओबीसी आरक्षण मामले में एससी एसटी ओबीसी वर्ग के जजों को सुनावाई बैच में शामिल किया जाए। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान याचिकाकर्ता लोकेन्द्र गुर्जर पर मौखिक रूप से 10 लाख का जुर्माना लगाया जो कि सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ। सोशल मीडिया एक्टिविस्टनो इसको इतना उछाल दिया कि 10 लाख का जुर्माना वायरल हो गया।
जो भी इस बात को सुनता या पढ़ता तो उसे यकीन नहीं आ रहा था कि क्या इस बात को लेकर दस लाख का जुर्माना, सब हैरान थे और सुबह तक अखबारों में खबर छप चुकी थी। दुसरे दिन सुप्रीम कोर्ट ने दस लाख की बजाए 50 हजार का लिखित में जुर्माना भरने का आदेश दिया। अब जुर्माने की बात तो फैल ही चुकी थी तो लोकेन्द्र गुर्जर ने यहां जुर्माना भरने के लिए समाजिक लोगों से मदद मांगी थी और अपनी बैंक अकाउंट डिटेल, यूटीआई, बारकोड सब सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया।
जैसे ही गुर्जर की बैंक अकाउंट डिटेल सोशल मीडिया पर आती है लोग उन्हें 1 रू, 2 रू, 5रू, 6, 10, 50, 100 ऐसे जुर्माना की राशि एकत्रित कर, सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर रहे थे। एक एक रूपए की मदद से लोकेन्द्र गुर्जर के पास दो गुना राशि आ गई है। लोग कहते हैं कि समाज के लिए काम करो, देने वाले की कमी नहीं है। इसी का आज सार्थक रूप देखने को मिल रहा है। जिसकी जानकारी लोकेन्द्र गुर्जर ने ट्वीट कर जानकरी दी । आप भी पढ़ें- एक-एक रुपए का क्रांतिकारी संवैधानिक सहयोग करने के लिए आप सभी को सादर धन्यवाद् है।
मेरे द्वारा पिछड़ा वर्ग की न्यायालयीन प्रकरणों हेतु ‘निष्पक्ष बेंच’ की याचिका लगाई गई थी जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने विधि विरुद्ध मानते हुए ₹50,000 का जुर्माना अधिरोपित कर अस्वीकार कर दिया। आप सबके द्वारा ₹1,17,480 का योगदान प्राप्त हुआ है। यह लड़ाई मैं आप सबके सहयोग से OBC SC ST वर्ग हितार्थ अंतिम निर्णय तक लड़ूंगा।
इस केस में रिव्यू उपरांत क्यूरिटिव पिटिशन फाइल करने हेतु योग्यतम अधिवक्ता कर इस मुद्दे पर अच्छे से पक्ष रखेंगे। समाज चाहे तो ₹1 देने की क्रांतिकारी पहल को जारी रख OBC SC ST वर्ग की इस न्यायालयीन लड़ाई में सहयोग कर सकते है। आर्थिक सहयोग और उसका उपयोग आपकी निगरानी में रहेगा और एक-एक पैसा OBC SC ST वर्ग अधिकार की न्यायिक लड़ाई में खर्च किया जाएगा l