नीमच मध्यप्रदेश

दर्शन शर्मा की शिकायत पर पट्टे आबंटन का जांच प्रतिवेदन हुआ जारी
वीरू ने कहा पंचायत ने लीगल प्रक्रिया से जारी किए पट्टे, पंचायत को अधिक जानकारी

कबीर मिशन समाचार।

नीमच। जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत भाटखेड़ा के ग्राम हनुमंतिया व्यास में एक ही परिवार के तीन सदस्यों को पट्टे आबंटन के मामले में दर्शन शर्मा ने शिकायत करते हुए वीरेंद्र अहीर और उनके परिवार पर फर्जी तरीके से पट्टे लेकर गरीबों का हक मारने के आरोप लगाए थे। जिसके बाद जिला पंचायत सीईओ गुरुप्रसाद में जांच टीम गठित कर जांच अधिकारी सृजन वर्मा को नियुक्त किया और पूरे मामले में निष्पक्ष जांच करवाई। जाँच अधिकारी सृजन वर्मा ने निष्पक्ष जांच कर प्रतिवेदन जिला पंचायत सीईओ गुरुप्रसाद के समक्ष प्रस्तुत किए गए। जिसमें बताया कि वीरेंद्र यादव, जितेंद्र यादव, शान्ति देवी अहीर के पट्टों में से शान्ति देवी अहीर का पट्टा अपात्र पाया गया। और राजस्व विभाग से तीनो पट्टो का रिकॉर्ड मंगवाया गया। जांच में उल्लेखनीय किया गया कि शांति देवी यादव जिनके पति ओमप्रकाश अहीर के नाम पर पैतृक मकान होकर दो मंजिला मकान बना हुआ है। दोनों पति पत्नी है एवं दोनों के अलग होने का किसी भी प्रकार का कोई दस्तावेज जांच प्रतिवेदन में नहीं पाया गया। ऐसे में मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 244 के नियम 6(2) के तहत अपात्र है साथ ही विरेंद्र अहिर और जितेंद्र अहीर के पट्टे आवंटन को लेकर भी वर्ष 2007-8 में जो लेआउट स्वीकृत किया गया था। उसमें 14 आवासहीनों की सूची में वीरेंद्र या उनके किसी भी परिवार के व्यक्ति का नाम शामिल नहीं था। वर्ष 2012 में एक पत्र तहसीलदार को लेआउट स्वीकृति के लिए लिखा गया लेकिन लेआउट स्वीकृति संबंधी कोई भी दस्तावेज पंचायत में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इन पट्टों पर भी आवंटन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। उक्त मामले में जिला पंचायत सीईओ गुरु प्रसाद ने बताया कि राजस्व से रिकॉर्ड मंगवाए गए हैं। जिसके बाद ही लेआउट को लेकर स्थिति स्पष्ट हो पाएगी और जांच रिपोर्ट में अंतिम प्रतिवेदन तैयार कर कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देशित किया जाएगा।
इसी मामले में दूसरे पक्ष वीरेंद्र यादव ने बताया कि ग्राम पंचायत इसमें अधिक जानकारी रखती है पंचायत ने तीनों पट्टे विधिवत समस्त दस्तावेजों के आधार पर जारी किए हैं और भवन निर्माण की अनुमति भी पंचायत द्वारा दी गई है। संयुक्त परिवार के लिए कुछ भूमि कम पड़ने के कारण पंचायत से भूमि की मांग 20 मई 2014 को लिखित दस्तावेजों के साथ की गई थी। जिस पर पंचायत को लीगल राशि भी जमा करवाई गई थी। जिसके बाद भवन निर्माण की अनुमति स्वीकृत की गई। जिसके समस्त दस्तावेज मेरे पास है मेरे द्वारा कोई भी गलत प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।

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