केचुआ खाद का उपयोग कर लागत कम की और खेत को बनाया उपजाऊ
कबीर मिशन समाचार/राजगढ़,
10 फरवरी, 2022,
राजगढ़ जिले के छोटे से ग्राम की पवित्रा अग्रवाल हल्दी की खेती से मिले मुनाफे से बहुत खुश है। उसने महज आधा बीघा कृषि भूमि में लगभग 38 हजार रूपये की लागत से एक क्विंटल हल्दी लगाई थी। उसे आठ माह में हल्दी की 12 क्विंटल उपज मिली। जिसे उसने बाजार में 8 हजार रूपये प्रति क्विंटल के मान से 96 हजार रूपये में बेची। लागत एवं अन्य खर्च काटने के बाद उसे लगभग 58 हजार रूपये का शुद्ध मुनाफा मिला है।
पवित्रा ने बताया कि हल्दी की अधिक उपज लेने और लागत कम करने के उदेश्य से उसने अपनी हल्दी की खेती में केंचुआ खाद का उपयोग किया। इससे उसे दो फायदे हुए। एक तरफ उसके खेत की उपजाऊ ताकत बढ़ी तो हल्दी की उपज बढ़ी और दूसरी तरफ लागत कम होने मुनाफा भी बढ़ गया। पवित्रा ने बताया कि पहले वह परंपरागत खेती कर गेहूं, चना एवं सोयाबीन की फसल लेती थी। खेती के अलावा आय का कोई अन्य स्त्रोत उसके पास नहीं था।
लगातार लागत बढ़ने, उत्पादन कम होने तथा प्राकृतिक कारणों नुकसान होने से उसने उद्यानिकी खेती की ओर कदम बढ़ाया। इसके लिए उसने समूह महिलाओं के साथ कृषि विभाग द्वारा चाटूखेड़ा में आयोजित आत्मा योजनान्तर्गत एक दिवसीय प्रषिक्षण सत्र में भाग लिया तथा उद्यानिकी फसलों की जानकारी ली। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताए गए अनुसार उसने हल्दी की फसल लेने की ठानी और प्रशिक्षण में सीखें कृषि ज्ञान से वह अपनी परंपरागत खेती गेहूं, चना और सोयाबीन फसल की तुलना में कही अधिक मुनाफा हल्दी की खेती से प्राप्त किया है।
पवित्रा ने बताया कि इस वर्ष उसने आमी हल्दी का बीज तैयार किया है। उसने बीज तैयार करने के लिए किलो आमी हल्दी लगाई थी। इसका लाभ उसे लगभग 18 किलो हल्दी बीज उपज के रूप में मिला है। जिसका उपयोग वह अगले साल करके अपनी आय को और अधिक बढ़ाएगी।