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सीधी। आदिवासी युवक के ऊपर सिगरेट फूंकते हुए पेशाब कर रहा शख्स, गरमा गई मप्र की राजनीति

मध्य प्रदेश। सीधी। कबीर मिशन समाचार।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है सीधी जिले आदिवासी युवक के ऊपर सिगरेट फूंकते हुए पेशाब कर रहा शख्स, सोशल मीडिया पर जमकर हो रहा वायरल, जिसको देखकर मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई।

जिसको सोशल एक्टिविस्ट और सामाजिक एवं राजनीतिक लोगों के द्वारा जमकर वायरल किया जा रहा है एवं भाजपा पर तंज कसा जा रहा है वीडियो सीधी जिले क बताया जा रहा है। जिसमें आदिवासी व्यक्ति के ऊपर प्रवेश शुक्ला नाम के द्वारा एक लड़के पर पेशाब किया जा रहा है जो वीडियो में साफ नजर आ रहा है।

सिगरेट फूंकते हुए बिना किसी शर्म और डर के घटना को अंजाम दे रहा। भारत देश को आजाद हुए कई साल हो गए हैं और हमारे देश के जानकार बता रहे हैं कि जातिवाद खत्म हो चुका है तो उन सभी के मुंह पर यह जोरदार तमाचा है जो कहते हैं कि जातिवाद के नाम पर अब किसी पर कोई अन्याय अत्याचार नहीं होता वही देखा जाए तो प्रधानमंत्री देश मैं जो घटनाएं घट रही है।

उन पर ध्यान ना दे कर विदेशों में जाकर बोल रहे हैं कि भारत में जातिवाद के नाम पर कोई अन्याय नहीं होता वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद अपने आप को आदिवासी हितेषी बताते हैं और आदिवासियों की वेशभूषा में आदिवासियों के साथ में और भोजन तथा अनेकों सम्मेलन आयोजित करते हैं लेकिन वह आदिवासियों को समाज से कितना ऊपर उठा पाए हैं यह बड़ा सवाल है क्या यह सिर्फ राजनीतिक अदाओं पर होते हैं।

जो चुनावी माहौल बनाने के लिए किए जाते हैं आज देश में एट्रोसिटी एक्ट के होते हुए भी आदिवासी एवं दलित सुरक्षित नहीं है वही देखा जाए तो इनके हितों की रक्षा करना सरकार का दायित्व बनता है किंतु सरकारें आज आजाद भारत के इतने सालों बाद भी इन्हें जातिवाद नाम के इस दंत से अभी तक मुक्ति क्यों नहीं दिला पाई क्योंकि एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते हुए इन्हें कई सालों हो गए हैं।

किंतु सरकारी सभी की आई हैं लेकिन उन्होंने आदिवासियों और दलितों के प्रति जो लोगों में घृणित मानसिकता बनी हुई है उसके ऊपर तभी विचार किया है इस घटना से आज मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरा भारत शर्मसार हुआ है यह घटना इतनी झकझोर कर देने वाली है की आदिवासी समाज को गांव में कितने और जुल्म जातियां होती होंगी मामला यहीं नहीं रुकता मामा के राज मे कहीं जूतों को सर पर रखकर गांव में निकलने का फरमान होता है,

तो कहीं दलितों को मंदिर में प्रवेश ना कर देने का क्या यही शिव का राज है और यह घटना है तो आम है ऐसा दलितों और आदिवासियों के साथ होना आम बात है। क्योंकि जब भारत जैसे महान देश में भारत के सर्वोच्च पद पर बैठे आदिवासी समाज के राष्ट्रपति महोदय द्रौपदी मुरमू को जब मंदिर के गर्भ गृह में जाने से रोका जा सकता है तो गांव में निवास करने वाले दलित और आदिवासियों पर ऐसी घटनाएं होना प्रभावित है।

क्या मानव अधिकार आयोग और भारत न्यायपालिका सरकार पर कोई तंज कसेगी क्या इसी तरह से हिंदू राष्ट्र की नींव रखी जाएगी जहां एक और दलित आदिवासियों को हिंदू कहकर साथ में लाने का प्रयास किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर दलितों और आदिवासियों के ऊपर आए दिन ऐसी घटनाए घट रही।

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