मध्यप्रदेश रीवा

पूर्व कांग्रेस विधायक ने रीवा निज निवास में पत्रकार वार्ता का आयोजन कर सत्तापक्ष पर निशाना साधा।

मऊगंज के पूर्व विधायक सुखेंद्र सिंह बन्ना ने पत्रकार के ऊपर दर्ज मामले की निष्पक्ष जांच की मांग।

कबीर मिशन समाचार। प्रमोद कुमार

विधानसभा मऊगंज के कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक सुखेन्द्र सिंह बन्ना ने अपने रीवा निज निवास में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया ।इस दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सत्तापक्ष पर जमकर निशाना साधा है,वहीं पत्रकार रामानन्द पाण्डेय के खिलाफ दर्ज किए गए झूठे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग करते हुए रीवा पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर से सवाल किया कि विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे के द्वारा टोल प्लाजा कर्मचारी के साथ गाली गलौज की गई थी।जिसका ऑडियो वायरल हुआ था तो क्या कार्यवाई हुई।

अगर पत्रकार के खिलाफ कोई प्रूफ था तब एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी।अगर कोई प्रूफ नहीं था तो बिना निष्पक्ष जांच किए कैसे एफआईआर दर्ज कर दी। बन्ना ने उक्त मामले की निष्पक्ष जांच करा कर दर्ज एफआइआर को निरस्त करने की मांग की है। ,साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार में जिले के भीतर दो कानून चल रहे हैं।सत्ताधारियों के लिए अलग आम जनता,पत्रकारों के लिए अलग बन्ना ने कहा कि सत्ता के दबाव में आकर पत्रकार के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई गई है।आप को बता दे कि सेमरिया विधानसभा क्षेत्र की जनता की आवाज उठाने पर सेमरिया विधायक के पी त्रिपाठी ने भाजपा के युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष से झूठी शिकायत कराकर पत्रकार रामानंद पांडेय के खिलाफ चोरहटा थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। जिसमें आरोप लगाया है।कि खबर दिखाने से पहले 5 लाख की मांग की गई थी।न देने पर खबर दिखाई गई है।

जबकि शिकायतकर्ता के द्वारा जिस समय उनसे मिलकर पैसा मांगने की झूठी शिकायत की है उस समय पत्रकार रामानंद पांडेय अपने घर में परिवार के साथा मौजूद थे ,जिसका सीसीटीवी वीडियो पुलिस को उपलब्ध कराया गया है। इतना ही नहीं मोबाइल लोकेसन की जांच पुलिस के द्वारा की जा रही है। माना जा रहा है कि निष्पक्ष रुप से अगर जांच हुई तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। हालांकि रीवा के लोग जानते है कि यह पूरा मामला बदले के भाव से रीवा में विकास के नाम पर विनाशकारी राजनीति करने बाले भाजपा के दिग्गजों का काला चिट्ठा खोलने का दुष्परिणाम है। जिसमें यहाँ का प्रशासन पूरी तरह से शामिल है जो कि सत्ता के दबाव में कायदे कानून का गला घोंट रहा है।

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