कबीर मिशन समाचार।
मंदसौर। (मल्हारगढ़)। विधानसभा मैं कभी पुलिसिया बनती है बिजोलिया तो कभी आम जनता को धमकाने का करती है काम जो काम पुलिस को करना था वह कर रहे थे ग्रामीण राजस्व को लग रहा था ठेकेदार चुना संजय प्रताप के इशारों पर हो रहा था पूरा अवैध उत्खनन मोटी रकम लेते हुई थी ठेकेदार से डराने धमकाने की बातचीत ऐसा ग्रामीणों का मानना है। खैर यह तो जांच का विषय है लेकिन हैं बात कर रहे हैं। मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ विधानसभा के नारायणगढ़ थाने का दो तारा अपने आप को समझने लगा एसपी से भी बड़ा सितारा अधिकारी जनाब को नियम मालूम नहीं उसके बावजूद भी ग्रामीणों को धमकाने चले गए रुबाब तो इतना की मुख्यमंत्री की 181 हेल्पलाइन को भी उन्होंने बता दिया नाकाम जो करना है वह कर ले लगा दे 181 पर कॉल क्या ऐसे ही अधिकारी अपराधों को बढ़ावा देते हैं । संजय प्रताप के घमंडीए रवैया से जनता में फूटा आक्रोश वैसे तो पुलिस किसी घटना में घंटे बाद पहुंचती है लेकिन यहां ठेकेदार और पुलिस की मिली भगत से वाहन लेकर ग्रामीणों को धमकाने चली गई। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है क्या जिले के एसपी महोदय ऐसे अधिकारियों को अनदेखा कर रहे हैं? या दो सितारा साहब अपने घमंड व दादागिरी से नारायणगढ़ थाना क्षेत्र में अपराधियों को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं जानकारी निकल गई अभी आई है कि संजय प्रताप ऐसा ही अपने आप को वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का खासम खास बताकर प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा की छवि को धूमिल कर रहा है। प्रदेश की जनता मेरी भगवान हे कहने वाले मुख्यमंत्री के सिपाही क्यो जनता पर करते चढाई जनता को डराने धमकाने से पुलिस का प्रताप फ़ेल रहा?
क्या यही ही पुलिस की जनसेवा देशभक्ति ?
आखिरकार क्या तबादला होना एक सिर्फ खानापूर्ति का खेल रह गया है क्या एसपी के आदेशों का कोई मूल्य नहीं। छोटे अधिकारी की इतनी दबंगई किसका संरक्षण प्राप्त हैं इन्हें
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कहते की प्रदेश की जनता मेरी भगवान हे जनता की सेवा करने मेरा फर्ज हे तो समय समय पर पुलिस से जनता के साथ अच्छा व्यव्हार करने की नसीहत भी देते हे लेकिन इनका नारायणगढ थाने मे पदस्थ उपनिरीक्षक सँजय प्रताप पर कोई फर्क नही पडता हे जनता पर चढाई करना उनकी आदत सी हो गई हैं। कभी किसी से सिधे मुह बात इनका इन साहब को आता नही हे कहते की डॉक्टर व पुलिस के पास तो दु:खी व्यक्ति आते हे जब इनसे अच्छे से बात कर लो तो आधा दर्द ठीक हो जाता लेकिन साहब जो ठहरे क्यो बात करे किसी से आखिर पुलिसिया रोब क्यो नही दिखाए जनता को चाहे अवेध खनन को लेकर चिताखेड़ा के लोगो के विरोध प्रदर्शन का मामला हो या रतनपिपलिया के युवक की लाश कुए मे मिलने समय की बात हो इन साहब को आक्रोशीत जनता को समझाने के बजाय डराना धमकाना इनका फर्ज लगता हे लेकिन साहब यह भुल गए की सरकार व उनकी नोकरी सभी जनता के पीछे हे आक्रोशीत जनता तो समझाना व उनका समस्या का निदान करना उनकी ड्यूटी व फर्ज मे आता हे एसे अधिकारियो के व्यवहार का नतीज सरकार व वहा के जनप्रतीनिधियो को भूगतना पडता हे वही जब इनका तबादला भानपुरा हो गया तो फिर इनका नारायणगढ से मोह क्यो नही छुट रहा आखिर पुलिस अधीक्षक महोदय क्यो करते तबादले जब इनके आदेश का पालन नही होता तो यह तबादला नही करना चाहिये तबादला होने के बाद रुकने से जनता के मन मे पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर अनेक शंकाए जन्म लेती हैं।