खेल बिहार

बिहार। अरविंद बैडमिंटन टूर्नामेंट के तत्वावधान में तीन दिवसीय मैच

प्रदीप कुमार नायक। स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार

भारतीय बैडमिंटन ने पिछले एक दशक में कई सफलताएं हासिल की है। इसी को ध्यान में रखते हुए विगत साल से अरविंद गुप्ता के संचालन और भरत साह के अध्यक्षता में अरविंद बैडमिंटन क्लब मधुबनी जिले के राजनगर के द्वारा अरविंद पैलेस के सभागार में ओपेन बैडमिंटन टूर्नामेंट कराते आ रहे है।दिनांक 25 से 27 फरवरी तक उच्च स्तरीय खिलाड़ी और नेशनल लेवल के कोच की उपस्थिति में मैच का भव्य आयोजन किया गया।

मधुबनी जिले के कई स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी आयुष गुप्ता, प्रियांश आर्यन, राजन गुप्ता, सौरव मिश्रा, प्रिया रंजन कुमार, आलिया, इशिका कुमारी, अनन्या माही, स्मृति कुमारी, कल्याणी कुमारी, अगस्त गुप्ता, आशीषधारी सिंह झा, सहित कई खिलाड़ी खेले दिखे गए।

पुरुष वर्ग में राजेश कुमार और सौरभ मिश्रा की जोड़ी ने शानदार प्रदर्शन के बाद फाईनल में जगह बनाते हुए अपना जीत सुनिश्चित करने में कामयाबी हासिल की। चैंपियनशिप में पुरुष वर्ग के उदघाटन मैच में प्रणव कुमार ने राहुल पंजियार को 21-13 से पराजित कर विजय अभियान प्रारम्भ किया।

एक से लेकर आठ तक के प्रतियोगिता में महिलाओं के सिंगल अंडर- 13 में अनन्या माही ने आलिया प्रवीण को, कल्याणी कुमारी ने अंशिका आर्या को हराकर अपनी जीत सुनिश्चित कर ली वही पुरुषों के सिंगल अंडर-13 में पीयूष आर्यन ने अगस्त गुप्ता को राजन कुमार गुप्ता ने सौरव कुमार मिश्रा को राजेश कुमार ने सौरव कुमार मिश्रा को हराकर अपनी जीत सुनिश्चित कर ली।पुरुषों की डब्बल प्रतियोगिता में पीयूष आर्यन-आयन अली ने अगस्त गुप्ता-क्रिस कुमार को राजेश कुमार -अभिषेक कुमार ने राजन कुमार गुप्ता-सौरव कुमार मिश्रा को सौरव मिश्रा-राजन कुमार ने पीयूष आर्यन-प्रिया रंजन कुमार को हराकर अपनी जीत दर्ज की।मैन ऑफ द मैच राजन कुमार गुप्ता को दिया गया जबकि मैन ऑफ द सीरीज सौरव कुमार मिश्रा को दिया गया।

अरविंद बैडमिंटन टूर्नामेंट के कोषाध्यक्ष सह समाजसेवी श्रवण कुमार साह का कहना है कि खेलो के दो पहलू है।इसका आयोजन आर्थिक प्रगति को प्रस्तुत करना और खेलो में भागीदारी सामाजिक दशा को बताती है।साथ ही स्वस्थ और अनुशासन के अतिरिक्त एक और पहलू राजनीतिक भी है।जिसके कारण खेलो की दुर्दशा दिखाई देती है।श्रेष्ठ राजनीति जागरूक समाज की देन है।खेल बेहतर समाज बनाते है।खेलों में हम पिछड़े है तो उसके पीछे हमारी राजनीतिक संस्थाओं की अहम भूमिका है।

यहाँ बताते चले कि बैडमिंटन रैकेट से खेले जाने वाला एक खेल है।जो दो विरोधी खिलाड़ियों (एकल) या दो विरोधी जोड़ो (युगल) द्वारा नेट से विभाजित एक आयातकार कोर्ट में आमने-सामने खेला जाता है।खिलाड़ी अपने रैकेट से शटल कॉक को मारकर के अपने विरोधी पक्ष के कोर्ट के आधे हिस्से में गिराकर प्वाइंट्स प्राप्त करते है।एक रैली तब समाप्त हो जाती है, जब शटल काँक के उस पार जाने से पहले उस पर सिर्फ एक बार वार कर सकता है।

सन,1992 से पांच प्रकार के आयोजन के साथ बैडमिंटन एक औलम्पिक खेल रहा है।पुरुषों और महिलाओं के एकल,पुरुषों और महिलाओं के युगल और मिश्रित युगल,जिसमें प्रत्येक जोड़ी में एक पुरूष और एक महिला होती है।खेल के उच्च स्तर पर खेल उत्कृष्ट शारिरिक मांग करता है।खिलाड़ियों को एरोबिक क्षमता,दक्षता, शक्ति, गति और दुरुस्तता की आवश्यकता होती है।यह एक तकनीकी खेल भी है। इसमें अच्छे संचालन समन्वय और परिष्कृत रैकेट जुम्बिशों के विकास की जरूरत होती है। बैडमिंटन सीधे पूना से लिया गया है, जो 1860 के दशक में भारत में तैनात ब्रिटिश सेना के अधिकारियों द्वारा खेला जाता था। खेल के संचालन कर्ता अरविंद गुप्ता कहते है कि जीवन में खेल के महत्व को कम नहीं माना जा सकता।खेल शारिरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के साथ साथ हमारा व्यक्तित्व व चरित्र निर्माण एवं नेतृत्व क्षमता और टीम भावना विकसित करता है। इस बैडमिंटन टूर्नामेंट को सफल बनाने में सबसे अहम भूमिका भरत कुमार साह ने निभाई जबकि हेमन्त गुप्ता, राकेश गुप्ता, इन्द्र कुमार, रत्नेश्वर झा, उमेश साह, छोटेलाल साह की भूमिका भी सराहनीय रही।

तय मानिये कि मधुबनी जिले के राजनगर में बैडमिंटन खेलो की तस्वीर बदलने लगी है।जो आने वाले समय में राज्य एवं केंद्रीय स्तरीय खिलाड़ी को बुलाकर और भी बदलेगी। इस बैडमिंटन टूर्नामेंट के प्रदर्शन से यह बात एक बार फिर साबित हो गयी है कि अगर हम बड़े शहरों सरीखी भी खेल-संस्कृति अपने यहाँ विकसित कर ले तो राजनगर को बैडमिंटन खेल शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता।

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