देवास भोपाल मध्यप्रदेश

अनुसुचित जाति कतिया समाज की वीरांगना गौरादेवी 1942 में शहीद हुई : समाज के लोगों को मालूम नहीं – मूलचन्द मेधोनिया

देश की आजादी में अनेकों अनुसूचित जाति के वीर और वीरांगनाओं ने शहादत दी है। जिनकी बदोलत देश आजाद और स्वतंत्रता की आज सांस ले रहा है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अनुसूचित जाति के वीर व वीरांगनाओं को आज तक सम्मान नहीं दिया गया है। समाज को भी मालूम नहीं है। तथा सरकार और जनप्रतिनिधियों ने भी इस वर्ग की घोर उपेक्षा की है।
जब देश की आजादी में महात्मा गांधी के आवाहन पर अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन देश भर में चलाया जा रहा था। तब क्या छोटे क्या बड़े सभी देश की आजादी के दीवाने वीरों ने देश भक्ति के महाआन्दोलन में अपने प्राणों की आहुति दी। जो लोग जागरूक रहे या उनकी समाजों के प्रतिनिधियों ने गौर किया तो उन स्वतंत्रता आंदोलन के अमर सेनानियों, वीरों एवं शहीदों को सम्मान प्राप्त हुआ।

उनके परिवार जनों का भी सम्मान और समूची समाज गौरवान्वित हुई। देश में आजादी का अमृत महोत्सव अभियान कार्यक्रम चलाया जा रहा है। ऐसे समय में भूले बिसरे शहीदों और सेनानियों का नाम सरकार जानकारी लेकर उस बिरादरी व सामाजिक रूप से पहचान स्थापित कर इतिहास में नाम दर्ज कर रही है।

अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को आज तक यह मालूम और जानकारी तक नहीं है कि हमारी समाज के पुरवजों ने भी देश की लड़ाई में योगदान देकर कुर्बानी देकर हमारा भी मस्तिष्क ऊंचा किया है।


वीरांगना गौरादेवी जी जो कि कतिया समाज की थी। जो कि सन 19 42 के स्वतंत्रता आंदोलन में जब अंग्रेजी सेना से नरसिंहपुर के अमर शहीद वीर मनीराम अहिरवार जी देश के लिए संघर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में अंग्रेजी सेना से युद्ध लड़कर देश के लिए लड़ रहे थे। सामाजिक स्वाभिमान और गोंडवाना साम्राज्य के राजमहल की धरोहर बचाने के लिए अंग्रेजों की गोलीयों से डटकर मुकाबला कर रहे थे।

उसी दौरान 23 अगस्त 19 42 को चीचली जिला नरसिंहपुर की कतिया समाज की वीरांगना गौरादेवी अंग्रेजी पुलिस की गोली से शहीद हुई।
अनुसूचित जाति के मान सम्मान और कतिया समाज, अहिरवार समाज के महान क्रांतिकारी वीर सपूत मनीराम अहिरवार एवं वीरांगना गौरादेवी जी को सरकार द्रारा यथोचित सम्मान मिले।

उनके भी स्मृति में स्मारक और भवन इत्यादि बना कर उनकी शहादत को आने वाली पीढ़ी को जानकारी मिले। इस अभियान में जुड़े हुए हैं। अतः अनुसूचित जाति के जागरूक व सामाजिक लोगों से निवेदन किया जा रहा है कि सभी अपने महापुरुषों का इतिहास जाने। उनके संघर्ष के कारण हमें आजादी मिली है।

वह थे तो हम है। कृपया आप सभी हमारे महापुरुषों की जानकारी लेकर उन्हें राष्ट्रीय सम्मान दिलाने के लिए सहयोग प्रदान करे।
🙏निवेदक 🙏
मूलचन्द मेधोनिया (शहीद सुपौत्र) साहित्यकार एवं सहसंपादक कबीर मिशन समाचार पत्र भोपाल मोबाइल 8878054839

About The Author

Related posts