उत्तरप्रदेश

वरासत कराने के लिए दर- दर भटक रहे

जिला ब्यूरो चीफ योगेश गोविन्दराव,

कबीर मिशन समाचार पत्र,

कुशीनगर, उत्तर प्रदेश । जिलाधिकारी से पीड़ित ने की कार्यवाही करने की मांग मनसाछापर। जटहा बाजार थाना क्षेत्र के पिता की मौत के बाद अपनी ही जमीन का वरासत दर्ज कराने के लिए जनपद के पडरौना तहसील के पड़री पिपरपाती निवासी सतीश विश्वकर्मा दो माह से अधिक समय से तहसील के चक्कर काट रहा है। लेकिन यहां से उसे केवल तारीख पर तारीख ही मिल रही है। अपना हक पाने के लिए सतीश विश्वकर्मा दर दर भटक रहा है। लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं है। उन्होंने बताया कि उसके पिता का स्वर्गवास पिछले 13 मार्च को हो गया था, वह वरासत के लिए 4 अप्रैल को आनलाईन आवेदन किया था।

राजस्व निरीक्षक क्षेत्र जंगल खिरकिया राजेश कुमार के द्वारा पहले आवेदन राजस्व ग्राम बेतिया को 11 अप्रैल तथा दूसरे आवेदन राजस्व ग्राम पंडरी पिपरपती को दिनाँक 16 अप्रैल को आदेशित कर दिया गया। 10 जून तक, आदेश दिनाँक से लगभग 60 दिन बाद तक उसका वरासत लेखपाल रंजीत जायसवाल के द्वारा नहीं किया गया है। लेखपाल को वरासत के लिए फीस भी दिया जा चुका है जितना वह फीस लेते हैं। वावजूद इसके लेखपाल रंजीत जायसवाल से इन 60 दिनों में अनेकों बार वार्ता करने पर उनके द्वारा यह कहा जा रहा है कि पीड़ित आनलाईन आवेदन किए है तो आनलाईन ही पता करे कि कब तक होगा जब वरासत होना होगा हो जाएगा।

इसके बाद जो उसके समझ में आए कर ले। फिलहाल पीड़ित द्वारा जिलाधिकारी से मामले में कार्रवाई की मांग की गई वरासत कराने के लिए दर- दर भटक रहे। जिलाधिकारी से पीड़ित ने की कार्यवाही की मांग मनसाछापर। जटहा बाजार थाना क्षेत्र के पिता की मौत के बाद अपनी ही जमीन का वरासत दर्ज कराने के लिए जनपद के पडरौना तहसील के पड़री पिपरपाती निवासी सतीश विश्वकर्मा दो माह से अधिक समय से तहसील के चक्कर काट रहा है। लेकिन यहां से उसे केवल तारीख पर तारीख ही मिल रही है। अपना हक पाने के लिए सतीश विश्वकर्मा दर-दर भटक रहा है। लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं है।

उन्होंने बताया कि उसके पिता का स्वर्गवास पिछले 13 मार्च को हो गया था, वह वरासत के लिए 4 अप्रैल को आनलाईन आवेदन किया था। राजस्व निरीक्षक क्षेत्र जंगल खिरकिया राजेश कुमार के द्वारा पहले आवेदन राजस्व ग्राम बेतिया को 11 अप्रैल तथा दूसरे आवेदन राजस्व ग्राम पडरी पिपरपती को दिनाँक 16 अप्रैल को आदेशित कर दिया गया। 10 जून तक, आदेश दिनाँक से लगभग 60 दिन बाद तक उसका वरासत लेखपाल रंजीत जायसवाल के द्वारा नहीं किया गया है। लेखपाल को वरासत के लिए फीस भी दिया जा चुका है जितना वह फीस लेते हैं।

वावजूद इसके लेखपाल रंजीत जायसवाल से इन 60 दिनों में अनेकों बार वार्ता करने पर उनके द्वारा यह कहा जा रहा है कि पीड़ित आनलाईन आवेदन किए है तो आनलाईन ही पता करे कि कब तक होगा जब वरासत होना होगा हो जाएगा। इसके बाद जो उसके समझ में आए कर ले। फिलहाल पीड़ित द्वारा जिलाधिकारी से मामले में कार्रवाई की मांग की गई है।

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