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रासायनिक खाद व दवाई से खेती की जमीन हो रही बंजर तो क्या करें? जाने उपाय

मप्र। मेरे किसान भाईयों भारत देश एक कृषि प्रधान देश है और हमारे देश का सबसे बड़ा आधार कृषि है जो हमें अन्य देशों के आगे झुकने नहीं देता है। खेती एक ऐसा साधन है जो आदिकाल से आजतक चला आ रहा है और आगे भी निरंतर रहेगी। पहले खेती-बाड़ी से परिवार का पालन पोषण हुआ करता था और कुछ जरूरत की वस्तुएं खरीद सकते थे। कृषि जीवन का आधार है और आज के समय में इस आधार को बिजनेस बनाकर रख दिया है। आज से करीब 25-30 साल पहले बैलों से जुताई की जाती थी और गोबर कुडे का देशी खाद डाला जाता था डीएपी यूरिया खाद तो कोई कोई बड़ा किसान ही डालते थे।

किसान भाईयों आपने खुद देखा होगा कि पहले जमीन कितनी मुलायम थी और एक पानी में चना, मसूर हो जातें थे आज चार बार पानी लगाना पड़ता है। वहीं गेहूं जैसी फसल में लगभग 3-4 बार पानी देने पर बढ़िया पैदावार मिल जाती थी। फसलों में चमक, वज़न और स्वाद रहता था। आज उसी जमीन में वही फसल (गेहूं) में कितनी बार पानी देना पड़ रहा है। फिर भी जमीन प्यासी ही रह जाती है और न कलर, वज़न और स्वाद में अच्छी लगती है। आजकल सब्जीयों में भी मानों स्वाद नहीं मालूम पड़ता है बस पेट भर रहे हैं।

क्या कारण हैं फसलें में कई बीमारी, जमीन का खराब होना और उसी खानें में मानव शरीर में अनगिनत बिमारी आना?

दोस्तों आज कई अनगिनत बीमारी ने मानव शरीर को घेर लिया है और इसका सबसे बड़ा असर प्रजनन क्षमता पर हो रहा है। इंसान की प्रजनन क्षमता कमजोर होती जा रही है और नए नए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जा रहे हैं। साथ ही छोटे-छोटे बच्चों में भी गंभीर बिमारी के साथ पैदा हो रहें हैं। जिन बिमारी का नाम तक नहीं सुना होगा। हम किसान जो फसलों को पैदा करते हैं और वहीं हम खाते है। इसका सीधा मतलब हमारी खेती बाड़ी से है। सबसे बड़ा कारण है रासायनिक खाद का अधिक मात्रा में उपयोग, न जाने कितने तरह के कैमिकल की दवाईयों का स्प्रे करते हैं और वहीं केमिकल का अंश पौधों और फलों में आ जाता है। फिर हम भी उसी का तेल, अनाज, मसाले, दाल, फल, सब्जी आदि खाते है।

उसमें प्रयुक्त केमिकल हमारे शरीर में प्रवेश करके हमारे हार्मोन्स अनबैलेंस करता है और बीमारी शुरू। वहीं अधिक मात्रा में रासायनिक खाद व दवाई डालने से जमीन में मौजूद सुक्ष्म पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, किसान मित्र किट मर जाते हैं, केंचुओं की कमी व गहराई चले जाते हैं। मिट्टी पानी सोखने कम कर देते हैं। जिससे फसलों में कई बीमारी आने लगती है और न चाहते हुए भी कैमिकल ही डालते हैं। उत्पादन भी एक निश्चित अवधि तक ही मिल रहा था।

जल्दी ही करना होगा इसका उपाय

इसका अब एक ही उपाय है जैविक खेती अपनाएं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल आता है कि उत्पादन कम होता है या महंगा पड़ता है तो मैं आपको बता दूं कि रासायनिक खाद व दवाई से जैविक खेती सस्ती और अच्छी पैदावार देता है। बस हमें सही तरीके है और नियमित करना होगा। सबसे पहले हम मिट्टी सुधार जैविक खाद का प्रयोग करें। इसके बाद जैविक उर्वरक का प्रयोग सफल के अनुसार करें और साथ में 50-50 की मात्रा में जैविक व रासायनिक प्रोडक्ट्स का प्रयोग करें। किट फंगस आदि के लिए भी जैविक दवाईयों का स्प्रे करें। जैविक उत्पादों की कंपनी जैसे नवभारत फर्टिलाइजर कंपनी के प्रतिनिधि 8462072516 से संपर्क करें जो आपको संतुष्ट व संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएंगे। हमें लगातार 3 वर्ष तक नियमित जैविक उत्पादों का प्रयोग करना पड़ेगा

और साथ ही पहले साल 50-50 की मात्रा में, दुसरे साल 75 (जैविक)-25 (रासायनिक) उत्पाद और तीसरे साल 90-10 के अनुसार फसलों में जैविक प्रोडक्ट्स यूज करना होगा तभी आपकी भूमि सुधार और उत्पादन में कोई कमी नहीं होगी साथ ही उसी बजट में काम बन जाएगा और अनेक शारीरिक बीमारी से दूर रहेंगे। यदि आप अपने परिवार को अच्छा जीवन देना चाहते हैं तो किसान भाईयों आज से शुरू करें जैविक खेती। वरना लाखों रू अस्पतालों लग ही रहें हैं। केवल एक ही उपाय है जैविक खेती करे और अपने जीवन को सुरक्षित रखें।

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