कबीर मिशन समाचार
पवन सावले खलघाट
नर्मदा का पानी उन गांवों तक पहुंचा, जो अब तक थे डूब क्षेत्र से बाहर, कलेक्टर ने किया डूब प्रभावित क्षेत्रों का दौरा
धार. जिले में बारिश का दौर खत्म हो चुका है। नर्मदा पट्टी के इलाकों में अब धीरे-धीरे बारिश का पानी उतरने लगा है। लेकिन जैसे-जैसे नर्मदा का जलस्तर कम हो रहा है, वैसे-वैसे लोगों के उजड़ते आशीयानें देखने को मिल रहे है। गांव के गांव बर्बाद हो चुके है। गांव से लेकर घर तक में सिर्फ और सिर्फ कीचड़ पसरा नजर आ रहा है। ऐसे हालात में लोगों के सामने नया संकट खड़ा होता नजर आ रहा है। हालांकि प्रशासन सर्वे करवाकर मुआवजा देने की बात जरूर कह रहा है। लेकिन इस सर्वे तक लोगों को फिर से अपनी जिदंगी की गाड़ी पटरी पर लाने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
खलघाट और बलवाड़ा मोरगाड़ी से लगे क्षेत्र में हालात काफी दयनीय है। लगातार बारिश के कारण नर्मदा का पानी उन इलाकों तक पहली बार पहुंचा है, जो डूब क्षेत्र में शामिल ही नहीं थे। ऐसे गांवों में नर्मदा का पानी पहुंचने से लोग अपनी गृहस्थी तक बचा नहीं पाए। पानी इतनी तेजी से बढ़ा कि किसी को संभालने का मौका तक नहीं मिल पाया। ऐसे हालात में लोग सिर्फ अपनी जिदंगी की सलामती के लिए घर-बार सबकुछ छोड़कर निकल गए। अब पानी उतरने लगा तो लोग वापस लौट रहे है, लेकिन उनकी गृहस्थी पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है।
यह है हालात
ग्राम खलघाट में करीब 100 घरों में नर्मदा का बैकवाटर घरों में घुस गया। ग्राम पवन सावले का पूरा मकान पानी में डूब गया। खलघाट के पवन सावले ने बताया नदी का पानी कम से कम 1000 फ़ीट दूर था। 2 घंटे में ही गाव के घरों तक पानी पहुंच गया और इसके बाद घरों में भी घूसना शुरू हो गया। लोगों को अपना सामान तक उठाने का समय नहीं मिल पाया। खाद, सोयाबीन, डॉलर चने सबकुछ पीछे छुट गया। अब घर गिरने की हालात में हो गए है। पर्वत पिता विश्राम के यहां घर में पूरा पानी घुस गया। इससे घर में रखा सोफा, लॉकर, खाने-पीने का सामान सहित लाखों का नुकसान हुआ। इसी प्रकार निचली बस्तियों में भी पानी घुसा है। लोगों के पास रहने को छत नहीं बचीं, प्रशासन की ओर से किसी को कोई मदद नहीं है।
लोगों ने छतों पर बैठकर रात गुजारी
शनिवार-रविवार के 24 घंटे कभी न भूलने वाली यादें देकर गए है। ग्रामीणों ने बताया कि पूरी रात और दिन मंदिर की छत, आंगनवाड़ी, उपस्वास्थ्य केंद्रों और घर तक 5 फ़ीट तक पानी में डूब गए थे। ग्रामीणों ने ही प्रभावितों के खाने की व्यवस्था करवाई और मदद की। अब हालात यह है कि लोग जोखिम में जान डालकर रह रहे हैं। सरकारी रिकॉर्ड में इन सभी को डूब क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है। एनवीडीए द्वारा कोई सर्वे नहीं किया जा रहा है, न ही मुआवजा दिया जा रहा है।
वर्ष 2001 में बताया था डूब प्रभावित
ग्रामीणों के अनुसार 22 साल पहले गांव खलघाट डूब क्षेत्र में शामिल था। लेकिन इसके बाद इसे डूब क्षेत्र से बाहर कर दिया गया। वर्तमान में नर्मदा के बैकवॉटर के कारण डूब में गए ग्राम खलघाट में हालात यह है कि पशुओं और इंसानों की हालत बत्तर हो रही है। शासन का सर्वे फैल हो गया। किसानों की लाखों की फसल चौपट हो गई। नदी किनारे बसे होने से जान का हमेशा खतरा बना रहता है। पूरा गांव दहशत में है। गांव में लोगों के आशियाने उजड़ गए है। अचानक पानी आने से किसी को सामान तक समेटने का मौका नहीं मिला। अनाज, खाद, भूसा सहित सारा सामान पानी में बह गया। लोगों के सपने टूट गए, खेत बर्बाद हो गए। कई लोगों को डूब क्षेत्र से बाहर कर दिया। इससे लोगों ने गांव में पक्के मकान का निर्माण किया। लेकिन आज ऐसी परिस्थिति बन गई है कि सरकार न मुआवजा दे रही है और न ही डूब में बता रही है
अपर कलेक्टर ने किया डूब प्रभावित क्षेत्रों का दौरा
इधर नर्मदा का जलस्तर उतरने के बाद प्रभावित गांवों का दौरा करने के लिए पहुंचे। अधिकारियों के साथ उन्होंने डूब प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर हालात का जायजा लिया। साथ ही लोगों से भी मुलाकात कर उनकी समस्या सुनी। खलघाट के गाजीपुर मोरगाड़ी बलवाड़ा गांवों में पहुंचकर अपर कलेक्टर ने लोगों से मुलाकात की। इस दौरान ग्रामीणों का दर्द छलका तो उन्होंने ढांढस बंधाया। साथ ही अधिकारियों को मकान, पशुधन, सामग्री, फसल आदि की क्षति का सर्वे करने के लिए कहा।