कबीर मिशन समाचार पत्र
सुरेश मैहर संवाददाता गरोठ जिला मंदसौर
सब से बड़ी सम्पत्ति भगवान का नाम होता है —-।
श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस श्री कृष्ण रूक्मणी विवाह की कथा पंडित तिलकराज शास्त्री जी महाराज द्वारा श्रवण करवाई गई ।
जिसके बाद पूज्य महाराज जी ने भक्तों को ” मिठे रस से भरियोनी राधारानी लागे भजन का श्रवण कराया।
मनुष्य उन लोगों को कभी याद नहीं करता जिसने उसे चलना सिखाया है, बल्कि उन्हें याद रखता है, जो बस गलत काम करना सिखाते हैं। जो मनुष्य अपने माँ-बाप की इज़्ज़त नहीं करता वो व्यक्ति कभी किसी की इज़्ज़त नहीं करता है। शास्त्र कहते हैं, कि अगर मनुष्य किसी बड़े व्यक्ति के सामने आने से उनका आदर नहीं करते, तो वह मनुष्य सजा का भोगी होता है।
मनुष्य अपने कर्मों से बड़ा बनता हैं, ना की अपने धन से, मनुष्य चाहे कितना भी बड़ा हो जाये, लेकिन कभी भी उस इंसान में अहंकार नहीं आना चाहिए।
संस्कारों से मनुष्य बड़ा होता है, पैसे से कोई बड़ा नहीं होता, क्योंकि पैसा तो एक वैश्या भी कमा लेती है, इसलिए मनुष्य को अपने संस्कार बड़े रखना चाहिए, क्योंकि जिसके जितने बड़े विचार होंगे, मनुष्य उतना ही महान होता है।
ऐसा कहते हैं, मनुष्य अपने विचार ,संस्कार ,कर्म उदारता , दया भाव ,स्वभाव से ही बड़ा बनता है, और इन सब से ही मनुष्य की पहचान होती है।
एक सनातनी को सब की सेवा करनी चाहिए, और इतनी सेवा करो जो कोई भी आकर यह नहीं कह पाए, की सनातन धर्म अच्छा नहीं है, और कोई सनातनी को धर्म परिवर्तन करने के लिए ना कह सके, और ना ही कोई सनातन धर्म पर उंगली उठा पाए।
परोपकार करना ही मनुष्य का धर्म होता है, और जो व्यक्ति जितने बुरे कर्म करता है वह व्यक्ति उतना ही सजा का हक़दार होता है।
सनातन धर्म में गाय को माता माना गया है। गाय में 33 कोटि देवी-देवता माने जाते हैं, इसलिए हर सनातनी को गाय का पालन करना चाहिए।
सब से बड़ी सम्पत्ति भगवान का नाम होता है, क्योंकि जो मनुष्य अपने अंतिम समय भगवान का नाम लेता है, तो सारे देवी-देवता उस मनुष्य के ऊपर फूलों की वर्षा करते हैं, और मनुष्य जीवन में भगवान का नाम हर दिन जपना चाहिए।
जिसकी जुबान पर भगवान का नाम नहीं है, उससे गरीब इंसान कोई नहीं होता है, और जो व्यक्ति गले में तुलसी या हाथ में कलावा नहीं पहनता है वह सच्चा सनातनी नहीं होता।
मनुष्य को कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा, जो ये कहे की तू अपने माँ-बाप का सम्मान है। मनुष्य को एक सच्चा सनातनी होना चाहिए, और अपने धर्म के प्रति जागृत रहना है, और अपने आने वाली पीढ़ी को बचाना है।
जो काम सनातन के हित में हो वह काम मनुष्य को करना चाहिए, और एक अच्छा सनातनी बनो, लेकिन किसी भी मनुष्य को दुःख मत दो।