भोपाल- डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे इस्तीफा मंजूर होने के बाद बैतूल से लड़ेंगी कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव.. हाईकोर्ट ने जीएडी को त्यागपत्र मामले में दिए निर्देश मध्यप्रदेश की 230 सीटो मे से 229 की सीटो की घोषणा कर दी गई थी एक सीट बैतुल की होल्ड पर रखी गई थी.
निशा जी को इस्तीफा स्वीकार होने का आदेश अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार निशा जी की विभागीय जांच एवं इस्तीफा पर आज शाम तक निर्णय लेना है। GAD PS द्वारा तय समय सीमा में निर्णय ले लिए जाने का आश्वासन दिया गया है।
यदि इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया तो अमला आरक्षित सीट बीजेपी की झोली से निशा बांगरे ,कांग्रेस की झोली में चली जाएगी ॽ बस इतनी बात से मध्य प्रदेश का आरएसएस बीजेपी शिवराज सरकार ,,मनुवाद, भयभीत है ॽ यदि ऐसी बात नहीं है, तो कोई वैधानिक, न्यायोचित कारण बताएं। निशा बांगरे का आखिर इस्तीफा स्वीकार क्यों नहीं किया जा रहा हैॽ यदि कोई वैधानिक अड़चन नहीं है। यदि कोई अधिकारी कर्मचारी अपने पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना चाहता है। तो वह उसका संवैधानिक अधिकार है। उसका इस्तीफा सरकार को स्वीकार करना चाहिए।
निशा बांगरे के मामले को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) में भी उथल-पुथल मची है। निशा की विभागीय जांच और इस्तीफे को लेकर अफसरों के कार्य विभाजन को लेकर बड़ा फेरबदल किया गया है। हाई कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के बाद इस काम में तेजी आ गई है। इसकी वजह यह है कि जीएडी को सोमवार शाम तक इस मामले में निर्णय लेना है। आज हो सकता फैसला फिर डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे इस्तीफा मंजूर होने के बाद बैतूल से लड़ेंगी कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव.
आखिर निशा बांगरे डिप्टी कलेक्टर का इस्तीफा स्वीकार करने में सरकार को किस बात का है डर ॽ
आमला से पैदल न्याय यात्रा लेकर अपनी इस्तीफा की मांग को लेकर भारत का संविधान और संविधान निर्माता डॉक्टर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की फोटो लेकर निकाली थी। उस पर मुख्यमंत्री शिवराज सरकार आरएसएस के पुलिसिया गुंडे टूट पड़े। उसके कपड़े फाड़ दिए गए उसे बेइज्जत किए जाने की कोशिश की गई। यह निशा बांगरे के साथ अन्याय नहीं, बल्कि उसके समाज और समूचे अनुसूचित जाति वर्ग के साथ अन्याय और अत्याचार है। भोपाल में प्रदर्शन के दौरान डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के कपड़े फट गए। बाबासाहब भीमराव अंबेडकर की फोटो को भी नुकसान हुआ। निशा बैतूल के आमला से पदयात्रा करते हुए भोपाल पहुंची थीं। वे सीएम हाउस जाना चाहती थीं। इसी दौरान पुलिस ने उन्हें रोक लिया। महिला पुलिसकर्मियों से बचने की कोशिश में खींचतान हुई।
निशा बांगरे सोमवार को बैतूल जिले के आमला आरक्षित चुनाव क्षेत्र से अपनी स्वयं की इस्तीफा की मांग को लेकर एमपी नगर डॉ अंबेडकर चौराहा डॉक्टर अंबेडकर मूर्ति के पास पहुंचकर वहां से मुख्यमंत्री निवास जाने के लिए निकली, इतने में उसे और उसके समर्थन में कांग्रेस विधायक पूर्व मंत्री पीपी शर्मा सहित कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता एवं अंबेडकरवादी विचारधारा के लोगों एवं महिलाओं को गिरफ्तार कर जेल में ठूस दिया गया है। न्याय यात्रा निकलने वाले प्रदर्शनकारी कोई अपराधी प्रवृत्ति के नहीं थे।
22 जून को लेटर लिखकर की थी इस्तीफे की जानकारी
मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में जन्मीं निशा बांगरे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद गुरुग्राम स्थित एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी की। 2016 में उनका चयन एमपी में डीएसपी के पद पर हुआ। 2017 में वे डिप्टी कलेक्टर चुनी गईं। उनकी पहली पोस्टिंग बैतूल के आमला क्षेत्र में थी। उनके पति मल्टी नेशनल कंपनी में अधिकारी हैं। 3 साल का एक बेटा भी है। बांगरे ने 25 जून को आमला में अपने घर के उद्घाटन समारोह के दौरान सर्व धर्म प्रार्थना और धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए छुट्टी मांगी थी। उन्हें छुट्टी नहीं दी गई। इस पर बांगरे ने 22 जून को अपने विभाग को एक लेटर लिखकर इस्तीफे की जानकारी दी थी।
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