राजगढ़ मध्यप्रदेश। कबीर मिशन समाचार पवन मेहरा
ब्यावरा। राजगढ़ कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी हर्ष दीक्षित के निर्देशानुसार श्री रामलला मंदिर ट्रस्ट ब्यावरा की जांच कमेटी गठित की गई थी। गठित कमेटी द्वारा ट्रस्ट की जांच की गई। जिसमें कमेटी द्वारा जांच उपरांत पाया गया कि आनावेदक महेश अग्रवाल पिता आनंदीलाल अग्रवाल द्वारा मंदिर की चल-अचल संपत्ति पर की गई अवैधानिक कार्यवाही को शून्य घोषित किया जाना एवं सर्वे नंबर 915, 916, 922, 925, 926 में भी अन्य सर्वे क्रमांक 916,917, 918,919,923,924 की भाँति कलेक्टर को श्री रामलला मंदिर ब्यावरा ट्रस्ट के व्यवस्थापक दर्ज किए जाने की अनुशंसा गठित कमेटी द्वारा की गई है।
वर्षों से अवैध ट्रस्ट बनाकर शहर की बेशकीमती रामलला ट्रस्ट पर काबिज महेश अग्रवाल बेदखल किए गए।
मंदिर के जिन सर्वे नंबर पर इनका नाम था, वह अब जिला प्रशासन के नाम पर होगा। मंदिर ट्रस्ट के व्यवस्थापक कलेक्टर होंगे। संपत्ति पर जो भी काबिज होंगे, चाहे वह भवन, बिल्डिंग किसी भी हाल में हे, और खुद का अधिकार जता रहे है,
उन्हें हटना होगा। प्र.प्र. पब्लिक ट्रस्ट 1951 के तहत जांच कमेटी एवं सीईओ जिला पंचायत राजगढ़ को ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि यह ट्रस्ट है साथ ही इसके निजी ट्रस्ट होने के प्रमाण मिले हैं। ऐसे में मंदिर से जुड़े तमाम जमीन व अचल संपत्ति पर काबिज निजी लोगों का स्वता ही बेदखल किया जाता है।
जांच में सामने आया है कि मंदिर ट्रस्ट की जमीन सर्वे नंबर 915, 916, 922, 925, 926 आयल महेश पिता आनंदीलाल अग्रवाल का नाम है जो कि अब हटकर कलेक्टर का ही होगा। बाकी के सर्वे नंबर 916, 917, 918, 919, 923, 924 पर प्रशासन कलेक्टर पहले से ही व्यवस्थापक दर्ज है। शासन के रिकॉर्ड में उक्त सभी सर्वे नंबर पर कलेक्टर का ही नाम दर्ज होगा।
प्रशासन ने यतीम की थी घटित
गठित टीम में सीईओ जिला पंचायत राजगढ़ अक्षय तेम्रवाल, डिप्टी कलेक्टर रोशनी बर्धमान, रेसिंग और पचोर सौरभ वर्मा शामिल थे। उन्हीं की टीम ने अनुशंसा की और उसकी रिपोर्ट में पाया है ऐसा कोई ट्रस्ट है ही नहीं है।