मंदसौर

मत करो अत्याचार हमारी भी सुन लो सरकार कह रहे संबल योजना के हितग्राही हमारी भी सुन लो पुकार कोरोना आया घर को उजाड़ कर चला गया। लगता था संबल योजना हमारा साथ देंगी ले किन हमें क्या पता था की संबल योजना में बिठा रखे अधिकारी नहीं सुनेंगे हमारी पुकार ।

संबल योजना में पात्र हितग्राहियों की सुनने वाला कोई नहीं जनपद पंचायत मल्हारगढ़ में दर-दर भटक रहे हितग्राही
मंदसौर।मल्हारगढ़ लगातार संबल योजना में पात्र हितग्राहियों को अपात्र बताकर संबल योजना से वंचित रखा जा रहा है ।कभी उम्र का हवाला देकर तो कभी जमीन का हवाला देकर लेकिन सबसे बड़ी बात यह है। कि हितग्राही के पास समस्त दस्तावेजों से यह साबित होता है ।कि व हितग्राही पूरी तरह पात्र हैं। उसके बावजूद भी उसे अपात्र आखिरकार किसने किया यह सबसे बड़ा सवाल प्रत्येक के मन में गूंज रहा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वपूर्ण योजना को फेल करने में लगे हैं। जनपद के कर्मचारी व अधिकारी जब भटकते हितग्राहियों के पास जाते हैं। तो सीईओ अपनी तरफ से मन गणत कहानी बता कर उन्हें टालम टोल कर दिया जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि सीईओ को श्रर्म विभाग के नियमों की कम ही जानकारी हैं। तभी तो हितग्राहियों को संतुष्ट पूर्ण जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। हाल ही में कई प्रकरण ऐसे आए जिन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है। कि मल्हारगढ़ जनपद पंचायत में भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार लेकिन इस भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कोई अधिकारी नहीं है। जिला पंचायत सीईओ से एक उम्मीद की किरण हितग्राहियों को जागी थी वह भी अब खत्म होती नजर आ रही हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री संबल योजना के कार्यक्रम के दौरान पात्र हितग्राही चंगेरी पंचायत के चंदवासा निवासी सुशीला बाई पति स्वर्गी बापू लाल तकरीबन 7 महीने से जनपद पंचायत के चक्कर लगा रहा है ।सुशीलाबाई के पास उम्र से लेकर सभी दस्तावेज है। उसके बाद भी उनकी उम्र 60 साल बता कर अपात्र कर दिया गया लेकिन उनके दस्तावेजों से यह प्रतीत होता है। कि वास्तविकता में उम्र उनकी 60 साल से कम है। उसके बावजूद भी उम्र का हवाला देकर जनपद पंचायत के कर्मचारियों द्वारा अपात्र घोषित कर दिया गया ऐसा ही मामला एक और चंदवासा का है। लाल सिंह पिता प्रकाश जिसके प्रकरण में 4 लाख रुपए की सुकृति हुई है ।जबकि उनके दस्तावेज देखे जाए तो वह लोग पूरी तरह अपात्र हैं ।क्योंकि एक हेक्टर से ज्यादा की भूमि उनके पास है। श्रम विभाग के नियम है। कि 1 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि वाले लोगों को लाभ नहीं मिलेगा तो सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि एक हेक्टर से ज्यादा भूमि वालों को लाभ केसे मिल रहा है। तो भला एक हेक्टर से कम वाले पात्र हितग्राहियों को लाभ क्यों न दिया जाए लेकिन जब अधिकारियों से चर्चा करी जाती है ।तो अधिकारी सिर्फ टालमटोल कर बात को खत्म कर दिया जाता है। जिससे गरीब मजदूर तबके के लोगों का हनन हो रहा है वह मालदार लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। यह सब खेल जनपद के कर्मचारियों द्वारा किया जाता है? हम इसलिए कह रहे हैं कि पात्र अपात्र घोषित करना जनपद के कर्मचारियों के दस्तावेजों के आधार पर होता है। जांच अधिकारी अगर अपनी जांच टेबल पर ना बैठते हुए ग्रामीण अंचलों में घूमकर सत्यता से जांच की जाए तो गरीब तबके के लोग इस योजना से वंचित नहीं रह पाएंगे। कंप्यूटर ऑपरेटरों को दे रखी है संभल जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं की शाखाएं हाई कोर्ट के विचाराधीन है यह कंप्यूटर ऑपरेटर जांच अधिकारी की तो बात ही छोड़ दो अब देखना यह होगा कि क्या कोई अधिकारी मल्हारगढ़ जनपद पंचायत के संबल योजना के दस्तावेज खंगाल कर जांच अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई करते हैं या फिर सिर्फ गरीब तबके लोगों का ही हनन होता रहेगा।

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