लेख

“नाटक ” आज से हम सभी “मानव धर्म” को मानेंगे। एक दूसरे से नहीं लड़ेंगे

लेखिका_डॉक्टर सुमन धर्मवीरबंगला_२३एचपीसीएल कॉलोनी, वाल्टेयर पार्क, सीरीपुरम, विशाखापत्तनम_530003फोन.नंबर9873808508

एक मंदिर__ राम कृष्ण की मूर्ति। आरती हो रही थी। “राम भक्त ” __जय राम ,जय राम ,जय जय राम । हरे कृष्णा ,हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे राम ।पास में ही मस्जिद थी। वहां “अल्लाह इबादती” __ “अल्लाह हू अकबर” । “अल्लाह हू अकबर ” जोर जोर से चिल्ला रहे थे। नमाज हो रही थी। “राम भक्तों” को “अल्लाह इबादतियो “द्वारा “अल्लाह हू अकबर”, “अल्लाह हू अकबर ” जोर जोर से बोलने के कारण अपनी पूजा में, आरती में खलल हो रही थी। गुस्से में एक हिंदू भक्त “अल्लाह इबादतियों” को वहीं से जो…र से बोला । “अबे चुप हो जाओ। हम आरती कर रहे हैं। “”अल्लाह इबादती” लोग_ अपने “अल्लाह हू अकबर ” “अल्लाह हू अकबर ” में इतने मग्न कि उन्हें किसी की आवाज सुनाई नहीं दे रही। “राम भक्तों” की भी नहीं।

दूसरे “राम भक्त” को गुस्सा आया। वह मस्जिद में जाकर “अल्लाह इबादती ” को (जिसे वह जानता था) बोला _”चुप हो जा बे । दिखता नहीं हमारी पूजा चल रही है। हमारी आरती चल रही है।” “अल्लाह इबादती” “अल्लाह हु अकबर ” “अल्लाह हू अकबर ” करने में पूरी तरह से मग्न । वह किसी की बात नहीं सुन रहा। तीसरा “रामभक्त” अत्यधिक गुस्से में आया । आंखें लाल,कमर पर दोनों हाथ रखते हुए “अल्लाह इबादतियों” को ऑर्डर देने लगा।_”सब लोग चुप हो जाओ। चुप… बिल्कुल चुप….।””अल्लाह इबादतियों” ने उसकी बात सुनकर भी अनसुनी करते हुए और ज्यादा ऊंचे स्वर में ताल से ताल मिलाते हुए बड़ी तन्मयता से “अल्लाह ऊ अकबर” ,”अल्लाह ऊ अकबर” बोलना शुरू कर दिया।अब तो एक “रामभक्त” का पारा हाई हो गया। वह एक “अल्लाह इबादती ” को झिंझोड़ते हुए बोला _” तुझे.. सुनाई नहीं.. देता..? हम सभी कब से तुम सभी को चुप होने को कह रहे हैं।

“”अल्लाह इबादती” गुस्से में लाल होते हुए_” तू..ने मुझे छुआ कैसे…? तू.. मुझे.. झिनझोडेगा….?? मुझे….? ?? तुझे समझ कम है क्या ?”दूसरा “अल्लाह इबादाती”_” तुझे दिखता नहीं हम भी “अल्लाह हू अकबर” “अल्लाह हू अकबर” कर रहे हैं। अपने अल्लाह की इबादत कर रहे हैं। यह हमारी पूजा है। जब हम तुम्हारे आरती से ,ढोल, मंजीरे से परेशान होते हुए भी अपने “अल्लाह हू अकबर ” में मग्न हैं। तो तू भी मग्न रह अपनी आरती में ।

“दूसरा “राम भक्त”_” साले तू हमें मग्न होंने तो नहीं दे रहा।” तीसरा “अल्लाह इबादती” _”मग्न तो तुम भी हमें नहीं होने दे रहे। फिर भी हम मग्न हो रहे हैं ना।” तीसरा राम भक्त_” (“अल्लाह इबादतियों ” को लगभग मारते हुए )”साले… चुप हो जा । चुप..।समझा।” चौथा “अल्लाह इबादती “_”(राम भक्त को लगभग धकेलता हुआ ) तू चुप हो जा । बड़ा आया चुप कराने हमें।

हमें चुप कराएगा। निकल यहां से।” पांचवा राम भक्त_” अबे तूने भाई को हाथ कैसे लगाया ? “उसे मारने लगा ।पांचवा “अल्लाह इबादती ” भक्त_” (हटाते हुए) अबे झगड़ा मत करो । नमाज का टाइम है।”छटा राम भक्त_” अबे चुप । बड़ा आया नमाज का टाइम बताने वाला। हमारी भी तो आरती चल रही है।” अब सभी “अल्लाह इबादती” अत्यधिक क्रोध में एक सुर में चिल्लाए_” चुप हो जाओ । नहीं तो यही जमींदोज कर देंगे ।

……हमारी मस्जिद में तुम सब आए कैसे ?”सभी “रामभक्त” आग बबूला हो गए और जोर से धमकी देते हुए एक साथ एक सुर में चिल्लाए _”अबे चुप ..हो ..जा… । नहीं तो कल तेरी.. “मॉब लिंचिंग” होगी”। समझा। “मॉब लिंचिंग”। और उन्होंने आंखें लाल करते हुए “अल्लाह इबादतियों” की नमाज की पुस्तक उठा कर फेंक दी। सभी “अल्लाह इबादती ” बोले__”ओ.. भा ..ई इन्होंने हमारी पवित्र पुस्तक फेंकी।”

अब “अल्लाह इबादती” अत्यधिक गुस्से में ,आंखों से अंगारे बरसाते हुए मंदिर में जाकर घुस गए। और राम ,कृष्ण की मूर्ति तोड़ दी। मूर्ति तोड़ते ही “राम भक्तों ” ने उन्हें मारना शुरू कर दिया।अब तो सारे “अल्लाह इबादती” “रामभक्तों ” पर टूट पड़े । खूब झगड़ा फसाद हुआ ।

“राम भक्तों” और “अल्लाह इबाद तियों ” के बीच खूब गाली गलौज हुई।एक दूसरे ने जम कर लात घूसे चलाए। एक दूसरे की जी भर कर पिटाई की। “अल्लाह इबादतियों” और “राम भक्तों “ने एक दूसरे की खूब कुटाई तो की ही साथ ही एक दूसरे को मां ,बहन ,बेटी , प्रेमिका,पत्नी की यानी “नारी सूचक” गन्दी गन्दी गालियां भी दीं। विडंबना देखो झगड़े में एक भी स्त्री शामिल नही थी ।

फिर भी सभी पुरुषों के मुंह में गालियां मां ,बहन की यानी “नारी सूचक” ही थीं।जैसे की यह झगड़ा स्त्रियों ने किया हो। या करवाया हो। सभी पुरुषों की स्त्रियों के प्रति गंदे व्यवहार की ,गंदी सोच उजागर हो रही थी। चोट खाने वाले पुरुष भी, और चोट मारने वाले पुरुष भी (सभी पुरुष,) “नारीसूचक ” गालियां रूपी गोलियों से स्त्रियों को चोटिल कर रहे थे। यही है “पुरुषसत्तात्मक” समाज की “स्त्री समाज” के प्रति गंदी सोच। जबकि ज्यादातर “स्त्रियां ” निर्माण का कार्य करती हैं। रचनात्मक काम करती हैं। विध्वंस का काम नहीं।विनाश का काम नहीं।

उन सभी ने एक दूसरे को खूब मारा। खूब हाय तौबा की। बहुत मारधाड़ हुई।बहुत खून खराबा किया। कई हिंदू मुस्लिम घायल हो गए। कई बेहोश हो गए। कइयों की जान चली गई। पर्दा गिरा।फिर पर्दा उठा ।एक लेडी डॉक्टर (साध्वी वेश में) ने फटी हुई “नमाज” की पुस्तक और टूटी हुई “राम ,कृष्ण” की मूर्तियां उठाकर साइड में एक जगह पर में रख दीं। वहीं एक और आयुर्वेदिक लेडी डॉक्टर (साध्वी ड्रेस में ) ने हर्बल वाटर सभी मूर्छित लोगों के ऊपर छिड़का। मूर्छित लोग उठने लगे। फिर लेडी डॉक्टर ने एक एक घायल आदमी पर लेप किया। किसी को दवाई (काढ़ा) पिलाया ।

किसी को पट्टी बांधी । लोग धीरे-धीरे ठीक होने लगे। फिर भी कुछ लोगों की सांसें जा चुकी थीं । दूसरी लेडी डॉक्टर शांति ..शांति… शांति …कहते हुए सभी मृत लोगों को पहचानने लगी ।और सभी मृत लोगों पर कफ़न डालने लगी। पहली लेडी डॉक्टर घायल लोगों की सेवा करती रही। उन्हें कुछ जड़ी बूटियां सुंघाती रही। धीरे धीरे लोग होश में आने लगे। इस तरह से उसने कइयों को दोबारा जिंदगी दे दी। यह सब देखते हुए “राम भक्त “और “अल्लाह इबादती” दोनों अब उस लेडी डॉक्टर के पीछे पीछे चलने लगे।

उसे अपना जीवन दाता मानने लगे।कुछ “हिंदू भक्त” ठीक होने के बाद लेडी डॉक्टर से पूछने लगे । _”आप कौन हैं “?आयुर्वेदिक लेडी डॉक्टर (धीमे से मुस्कुराकर ) बोली _”एक औरत । एक आयुर्वेदिक डॉक्टर।” “राम भक्त” एक स्वर में बोले _”हमारा मतलब हिंदू या मुसलमान?” लेडी डॉक्टर _”मैं न हिंदू हूं न मुसलमान हूं।””अल्लाह इबादती” एक स्वर में बोले _”तो क्या क्रिश्चियन हो?” लेडी डॉक्टर _”नहीं “सभी “राम भक्त” और “अल्लाह इबादती” आश्चर्य से पूछने लगे ।

फिर कौन हैं आप! आपने हम सभी को ठीक किया। आप कितनी अच्छी हैं ! आपका धर्म कौन सा है?” लेडी डॉक्टर _”मानव धर्म “सभी “रामभक्त” और “अल्लाह इबादती” (दोनों) एक दूसरे को आश्चर्य से देखने लगे । मानो कह रहे हो “मानव धर्म” कौन सा धर्म है?” लेडी डॉक्टर ( इन सभी की मनोदशा जानते हुए ) बोली _”मैं पूरे मानव समाज का एक अंग हूं । “मानव कृत ” किसी एक धर्म का अंग नहीं “सभी भक्त (दोनों) चुप ….। फिर एक “अल्लाह इबादती” बोला _”फिर भी आप कितनी अच्छी हैं!” दूसरा “रामभक्त” बोला_” एक बात पूछूं आपसे?” लेडी डॉक्टर_” हां जरूर ।”भक्त _”मानव धर्म” में भगवान की क्या परिभाषा है ?”लेडी डॉक्टर_” “भगवान ” का अर्थ है “भगग ” यानी भगन करना या नष्ट करना या खत्म करना । “वान ” मतलब “इच्छा” ।

अर्थात “वानो” (इच्छाओं ) को नियंत्रित करने वाला। “आवेश “( काम, लस्टी एंगर,गुस्सा)। पर काबू पा लिया है जिसने।”आसक्ति” (मोह माया, अटैचमेंट) को खत्म कर दिया है जिसने। मतलब अपनी “तृष्णाओ” (इच्छाओ) को वश में कर लिया है जिसने। अर्थात जिस व्यक्ति ने अपने क्रोध को,अपने आवेश को, लोभ लालच को,आसक्ति को,मोह माया आदि त्रष्णाओं को नष्ट कर दिया ।

वही व्यक्ति भगवान है।”सभी भक्तों के मुंह आश्चर्य से खुले रह गए!! वो सब सोचने लगे की क्या हम भी भगवान बन सकते हैं??सभी ने बहुत शांत होकर पूछा _”मानव धर्म में भगवान की पूजा कैसे होती है ?”लेडी डॉक्टर _”मानव धर्म में भगवान की नहीं, “निराकार शक्ति” की पूजा होती है। “प्रकृति” की पूजा होती है । इस “धरती” और “अंबर” की पूजा होती है।” सभी भक्त_”कैसे?” लेडी डॉक्टर _”ऐसे। आप सभी मेरे पीछे पीछे दोहराना।” “रामभक्त” और “अल्लाह इबादती” बोले_”जरूर” लेडी डॉक्टर _”हे निराकार ।

सबसे पहले उनकी भलाई करो ।भक्त और इबादती दोहराते हैं। सबसे पहले उनकी इच्छा पूरी करो। भक्त और इबादती दोहराते हैं। सबसे पहले उन्हें खुशी दो ।भक्त और इबादती दोहराते हैं। सबसे पहले उनकी रक्षा करो ।भक्त और इबादती दोहराते हैं। सबसे बाद में मेरी भलाई करो ।भक्त और इबादती दोहराते हैं। सबसे बाद में मेरी इच्छा पूरी करो। भक्त और इबादती दोहराते हैं। सबसे बाद में मुझे खुशी दो। भक्त और इबादती दोहराते हैं। सब की रक्षा करने के बाद मेरी रक्षा करो ।

सब (“रामभक्त” और “अल्लाह इबादती”) खुशी-खुशी दोहराते हैं। फिर एक “अल्लाह इबादती” कौतूहल वश बोला_” आप की मस्जिद कहां है?” लेडी डॉक्टर_” मेरे ये दो पैर मंदिर या मस्जिद के खंभे हैं। मेरा बदन (बॉडी) मंदिर या मस्जिद है। मेरा सिर् गुंबद है। मैं एक चलती फिरती ( मूवेबल) मंदिर या मस्जिद हूं। कहीं भी किसी भी वक्त निराकार की पूजा कर सकती हूं। शांति शांति शांति”( मन ही मन खुश होते हुए ) सभी “अल्लाह इबादती” और “राम भक्त” गण बोले_”इसका मतलब हम सब चलते फिरते मंदिर हैं ?”लेडी डॉक्टर_” हां अब आप बिल्कुल सही समझे ।

“भक्त बोला_” फिर भी आपको डर नहीं लगता कि आप किसी भी मंदिर ,मस्जिद, गुरुद्वारा ,चर्च में नहीं जाती या बौद्ध विहार में भी नहीं जाती ।”लेडी डॉक्टर की साध्वी वाली छवि को देखते हुए कौतु हल वश बोल पड़े।लेडी डॉक्टर _”नहीं ये सब मनुष्य द्वारा बनाए हुए हैं ।ये सब स्थिर हैं। इनमें मूर्तियां बस्ती हैं ।.…इनमें भगवान की पूजा करने के लिए तामझाम, ढोंग, आडंबर ,करते हैं लोग ।फिर बाहर निकल कर चोरी ,हत्या, झगड़ा ,बलात्कार फसाद ,फरेब, धोखा, षड्यंत्र करते हैं । झूठ बोलते हैं।मैं कभी गंदे शब्द नहीं बोलती ।दूसरों पर आरोप नहीं लगाती।

खुद को गौरवमई नहीं बनाती । मैं आध्यात्मिक जीवन जीती हूं। ध्यान लगाती हूं। सादा जीवन उच्च विचार मेरे जीवन का लक्ष्य है ।हर सामाजिक बुराई के विरुद्ध विद्रोह करना मेरा स्वभाव है। हर कमजोर आदमी की सेवा करना मेरा कर्तव्य है।”इधर “रामभक्तों” और “अल्लाह इबादतियों” से लेडी डॉक्टर का वार्तालाप चल रहा था, उधर कोने में एक लड़की फूल और जड़ी बूटियां वनस्पति से तोड़ रही थी । तोड़ते तोड़ते वह डॉक्टर के पास पहुंच गई। उन्हें (आयुर्वेदिक लेडी डॉक्टर )यहां देखकर उनके सामने सिर झुका कर _”हेलो” मैडम बोली ।

आयुर्वेदिक लेडी डॉक्टर _”अरे! सुजाता तुम !यहां? कैसे ?”लड़की सुजाता_” मैडम मैं यहां जड़ी बूटियां इकट्ठा करने आई थी ।जड़ी बूटियां इकट्ठी करते-करते आपके पास पहुंच गई है। आयुर्वेदिक लेडी डॉक्टर ने सभी “रामभक्तों ” से और “अल्लाह इबादतियों” से “सुजाता” का परिचय कराया ।_”ये मेरी शिष्या सुजाता “सुजाता ने उन्हें हेलो बोला ।सभी “रामभक्तों “ने और “अल्लाह इबादतियों “ने एक साथ सुजाता को हेलो बोलने के बाद एक स्वर में उससे पूछा_” आपको अपनी “गुरु मां” की बातों से डर नहीं लगता ? कल से डर नहीं लगता? भाग्य दुर्भाग्य से डर नहीं लगता? भगवान से डर नहीं लगता ?”सुजाता _”नहीं।

भगवान आप में हैं। भगवान उनमें हैं। भगवान मुझ में हैं। भाग्य और दुर्भाग्य जीवन के दो चक्र हैं ।जब ये दोनों चक्र बारी-बारी घूमते हैं तब जीवन चलता है ।जीवन निखरता है। मैं निर्भय हूं ।मैं निडर हूं ।जो कल होना है। आज हो जाए ।जो आज होना है। वह इसी क्षण हो जाए ।”सभी “राम भक्त” हिंदुओं और “अल्लाह इबादती” मुस्लिमों ने उसके विचारों से अत्यधिक प्रभावित होते हुए मन ही मन उसके विचारों को स्वी कारा ।

और सब एक स्वर में बोले_”आज से हम सभी “मानव धर्म” को मानेंगे ।एक दूसरे से लड़ेंगे नहीं। बल्कि एक दूसरे की सेवा करेंगे ।कहते हुए एक दूसरे को गले लगाने लगे । साथ ही सभी एक स्वर में बोलने लगे।”गुरु मां की जय”। “जय मानव धर्म” “जय मानव धर्म।” समाप्त

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