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ओले गिरने से किसान के सामने रोटी का संकट

भीम प्रकाश बौद्ध
कबीर मिशन समाचार दमोह

किसान के सामने बहुत भारी संकट पैदा हो गया है वह अपनी फसल को बड़ी मेहनत से और लगन से खाद पानी की व्यवस्था करके फसल को उगता है जब वही फसल कुदरत की मार से जब आसमान से पानी की बूंदे गिरने लगते हैं तो किसान का कलेजा रो पड़ता है वहीं भिंड जिले के क्षेत्र में असवार जेतपुरा लहर और भी कई गांव है जहां पर ओले गिरने से किसान की फसल बर्बाद हो चुकी है जब यह बात सरकार तक पहुंचती है तो सरकार घोषणाओं का पुलिंदा बांध देती है और शीघ्र फसल का निरीक्षण भी करवा देती है लेकिन किसान के सामने रोटी का संकट पैदा हो जाता है उसका परिवार भूखे मरने की कगार पर खड़ा हो जाता है

वह कैसे अपने बच्चों का भरण पोषण करेगा कैसे अपनी बिटिया का विवाह करेगा जैसे विचार करके वह घबरा जाता है और मौत को गले लगा लेता है जब तक सरकार मुआवजा देने की सोचती है तब तक उसकी मौत हो जाती है और मुआवजा मिलता भी है तो ऊंट के मुंह में जीरो जैसे कहावत चरितार्थ होती है क्योंकि किसान को उचित मुआवजा न मिलने से वह दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर हो जाता है क्योंकि सरकार दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाती है क्योंकि जो बिचौलिए होते हैं वह बीच में ही मुआवजा डकार जाते हैं जिससे वह है किसानों का हक वह बिचौलिए हड़प जाते हैं फिर भी सरकार चुपचाप तमाशा देखती रहती है क्योंकि देश का अन्नदाता आज बेहद परेशान है एक तरफ महंगाई का दौर वहीं दूसरी तरफ कुदरत की मार से मारा जाता है इस प्रकार सरकार तो बस घोषणा करती है सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे जिससे कि किसानों का मुआवजा उसके हाथ में पहुंच सके क्योंकि जो अधिकारी होते हैं वह बीच में ही अपना कमीशन खाने के चक्कर में वह मुआवजा किसानों तक नहीं पहुंच पाता है

यदि सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं करी तो इसी तरीके से देश का अन्य किसान यूं ही मरता रहेगाभारी वर्षा से किसान के सामने रोटी का संकट गत दिनों भारी वर्षा से किसानों की खड़ी फसल नष्ट हो गई अब किसान के सामने रोटी का संकट पैदा हो गया है आखिर वह कहां जाए क्या करें सरकार तो घोषणाओं का पुलिंदा बांध देती है कई किसान तो ऐसे जिन का सहारा फसल थी अब वह कहां जाए किस से विनती करें सरकार तो कुंभकरण की नींद में डूबी रहती है घोषणाओं पर घोषणा करती रहती है क्या गरीब का पेट भर जाएगा घोषणाओं से कुछ होने वाला नहीं है सरकार महंगाई काबू करें जिससे वह पनप सकें किसान बड़ी उम्मीद के साथ खेत में उड़द सोयाबीन मूंगफली तेली पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है फिर भी फिर भी सरकार चुपचाप तमाशा देख रही है चारों तरफ से महंगाई की मार से गरीब आदमी दब गया है चारों तरफ भ्रष्टाचार फैला हुआ है

कोई किसी की नहीं सुन रहा है जितने भी बड़े पदों पर बैठे हुए हैं आपने नियम कायदा कानून सब छोटे पड़ गए हैं देश का अन्नदाता आज दुखी है बिना मौसम के बरसात होने से उसके ऊपर वज्रपात गिर गया है पथराई आंखों से सरकार की ओर देख रहा है कि अब तो शायद सरकार मदद देगी लेकिन बिचौलिए बीच में सारा पैसा खा जाएंगे सरकार को चाहिए कि जो दोषी है उनके ऊपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें तभी किसान को उसकी राशि मुआवजा मिल पाएगा नहीं तो नहीं तो वह भूखों मर जाएगा हमारे देश के अंदर सरकार के पास लाखों गोदाम है जो अनाज से भरे पड़े हैं फिर भी हमारे देश में गरीब सरकार के पास लाखों रुपए का अनाज सड़ जाता है आखिर ऐसा क्यों क्या वह अनाज गरीबों में नहीं बट सकता था सरकार ने इतनी महंगाई कर दी है कि गरीब आदमी बहुत परेशान है मैं अपना और अपने बच्चों का भरण पोषण भी नहीं कर पा रहा है अब वह क्या करें एक तरफ की मौसम की मार तो दूसरी तरफ सरकार की की मार से दुखी है और दूसरी तरफ कुदरत के कहर से किसान परेशान हो चुका है शिवराज मामा कहते हैं कोई दुखी नहीं रहेगा

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