किसानों के बीच पहुँचे कॉंग्रेस नेता श्याम लाल जोकचंद्र सरकार को बताया किसान विरोधी
मंदसोर:- शुक्रवार को किसान जब अपनी उपज लेकर मंदसोर मंडी पहुँचे और व्यापारियों द्वारा जब प्याज की फसल की बोली लगाई गई तो बोली 200 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 1000 रुपये प्रति क्विंटल पर जाकर रुक गई।जिससे किसान नाराज हो गए और नीलामी बंद करवारकर मंडी के बाहर रोड जाम कर धरने पर बैठ गए। किसानों की मांग है जिस भाव मे व्यापारी प्याज खरीद रहे है उससे अधिक तो प्याज की फसल में लागत है। किसानों की बात सुनने व धरना प्रदर्शन खत्म कराने के लिए तहसीलदार व स्थानीय पुलिस प्रशासन पहुचा समझा बुझाकर जैसे तैसे धरना खत्म हुआ उसके बाद फिर से नीलामी शुरू हुई।फिर से व्यापारियों ने 200 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल की बोली लगाई फिर से किसान नाराज हो गए और नीलामी बंद करवाकर धरने पर बैठ गए।
यह खबर जब कॉंग्रेस नेता श्याम लाल जोकचंद्र को पड़ी तो तुरंत श्याम लाल जोकचंद्र किसानों के बीच पहुँचे किसानों से बात की व मीडिया से रूबरू हुए।श्याम लाल जोकचंद्र ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि केवल मंदिर मस्जिदों में पैसे देकर जितने से कोई फायदा नही है हमारे अन्नदाता किसान परेशान है उनकी सुनना भी जरूरी है जब किसान नाराज होगा तो वो लोकसभा चुनाव में बता देगा के किसान क्या चीज है और किसान जब नाराज होता है तख्ता पलट करने की ताकत रखता है।
किसानों द्वारा बताया गया कि केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगाई उसके बाद ही प्याज के भाव कम हुए है केंद्र सरकार का यह निर्णय किसान विरोधी है हर बार सरकार ऐसे ही निर्णय लेकर किसानों को उझाड़ने का काम करती है।किसानों का कहना है निर्यात पर रोक पूरे देश मे लगी है तो फिर महाराष्ट्र में प्याज का भाव 2400 कैसे है।
किसानों द्वारा एक आवेदन टाइप कराकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की गई के केंद्र सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर रोक लगाई गई है जो कि पूरे देश मे लागू है फिर भी महाराष्ट्र की सरकार प्याज 2400 रुपये प्रति क्विंटल खरीद रही है तो हमारे मध्यप्रदेश में भी प्याज कम से कम 2400 रुपये प्रति क्विंटल बिकना चाहिए ताकि किसानों की लागत के अलावा कुछ मुनाफा भी मिल सके।
किसानों ने मंडी प्रशासन व व्यापारियों को तानाशाही बताते हुए कहा के सभी मंडियों में प्याज के भाव अच्छे है पर मंदसौर मंडी के व्यापारी कम भाव लगाकर किसानों का गला काटने का काम करता है जो कि बहुत गलत है।