अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हूआ महिला सेमिनार।
सभी बहनों महिलाओं को बधाई एवं शुभकामनाएं।
1917 में महिला महिलाओं को रोटी कपड़े तक के लिए हड़ताल पर जाना पड़ा?
महिला जागरूकता, सम्मान, के लिऐ हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हूआ चितौडगढ में सेमिनार। किया सावित्रीबाई फूले फातिमा शेख, मदर टेरेसा, इन्दिरा गांधी, किरण बेदी आदि को किया याद, किया नमन।
समाज सेवी महिलाओ का किया सम्मान। हर आठ मार्च को राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश होने की गई मांग।
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चितौडगढ 8 मार्च जिस घर परिवार और समाज में नारी शिक्षित होकर जागरूक संस्कारित हो वह घर परिवार ,समाज चहुंमुखी प्रगति करता है ।नारी ही जीवन की आधारशिला होती है। आज भी हर तरफ महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार होना, घरेलू कामकाज की वस्तु समझना, सभी लोग अब सावधान हो जाएं ऐसा सोचना स्वयं के पतन का कारण निश्चित है। हर तरफ देखा गया कि जहां नारी का सम्मान नहीं होता वहां बर्बादी कलह तनाव ओर पतन निश्चित है। नहीं रमते ऐसे घरों में कोई देवता। आज भी अन्याय अत्याचार जुल्म होता देख देवता सोए रहते हैं। महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग, राज्य में राज्य महिला आयोग की स्थापना की गई।
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पुजा सुखवाल, बेबी चाची पठान, कैलाश रेगर, पूजा सुखवाल, पारस सुखवाल, कान्ता बिलोची, पारस सुखवाल, प्रेम सुखवाल, शबाना खान,जरीना खान, अफसाना खान, ज्योति मीणा, विद्या बिलोची, सुसनाह सालवी, अफरीन खान,अनन्या मीणा,कशिश सुखवाल आदि महिलाओ ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अपने विचार रखे। तथा कॅचन के निधन पर शोक सभा आयोजित कर श्रंदाजली दी। महिला उत्थान चिंतक पार्वती सालवी ओजस्वी ने बताया कि सास अपनी बहू पर हूकम चलाना छोडकर, बहू को बेटी समान समझकर अपना पन दें।
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बहू जो कि आज पढी लिखी होकर अपनी पढाई की उपयोगीता दिखाऐ। अपने व्यवहार काम, संस्कार से लगे कि हमारी बहू समझदार ओर जागरूक होकर संस्कारवान हों। इस अवसर पर सुसनाह सालवी ने महात्मा ज्योति बा फूले, सावित्रीबाई फूले, सॅविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर, मदर टरेसा आदि के योगदान तथा वर्तमान में महिलाओ के साथ होने वाले अन्याय सामाजिक प्रगति पर विकासमान विचार प्रकट किये। सुसनाह ने बताया कि आज हर क्षेत्र में महिलाओ को आगे बढने के समान अवसर प्रदान हों। संयोजन पार्वती सालवी ने महिला को प्रगतिशील सोच के साथ आगे बढने तथा बेटियो को खूब पढाने पर बल दिया। पढने के बाद बेटी बहिने पुरी जागरूकता ओर समझ रखते हूऐ हर परिसतिथी में रास्ता निकालने ,निराश हताश नहीं होने की समझ दी।
सभी बहिनो को इस अवसर पर बधाई एंव शुभकामनाऐ दी। सभी को उपरना पहना सम्मान किया। इस अवसर पर अनेकों बहिनो ने क्षेत्र की बेटी कॅचन के निधन पर शोक सभा कर दो मिनिट का मोन रखा व श्रद्धापूर्वक श्रंदाजली देते हूऐ, मृतक बेटी कॅचन को सेवाभावी मिलनसार होना बताया, असामयिक निधन पर सभी बहिनों ने पुष्पांजलि अर्पित कर सांत्वना प्रार्थना की।
इस अवसर पर अनेको बहिनो ने अपने विचार रखते हूऐ बताया कि आज नारी महिलाओं में सरपंच से लेकर राष्ट्रपति तक तथा चपरासी से लेकर मुख्य सचिव के पदों तक। वायु सेना, थल सेना , नभ सेना में पायलठ, बनकर आसमान को नाप रही है। आगे से आगे कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही है हमारे घर से बहन बेटियां। हम अपनी बहनों का उचित सम्मान करें, समानता का हक अदा करने में पीछे नहीं रहे। आज भी हमारा उत्थान और पतन का कारण अपने ही घर में मां , पत्नि, बहन , बेटी का सम्मान नहीं करना है। घरेलू हिंसा और नारी उत्पीड़न जिस घर में, जिस परिवार में हो, उस घर का विनाश विनाश निश्चित है।
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समान व्यवहार समान दृष्टिकोण अपने अधिकारों के लिए सजग करना जगह-जगह गोष्ठियों का आयोजन करते हुए महिलाओं में जागरूकता लाना ,उत्कृष्ट काम करने वाली बहिनो, बेटियो, महिलाओं का सम्मान का अवसर प्रदान करता है। महिला सेमीनार को सॅबोधित करते हूऐ पूजा सुखवाल ने बताया कि आज हर महिला को जागरूक व प्रगतिशील विचारक होना आवश्यक है।
कार्यक्रम सॅयोजक पार्वती सालवी ओजस्वी ने इस अवसर पर। महिला विकाश एव उत्थान में तन मन धन से न्योछावर रही सभी बहिनो के प्रति नमन कर उनका ऋणी होना बताया। क्षेत्र की जागरूक बहिन पारस सुखवाल ने बताया कि इस तरह के आयोजन गांव स्तर भी होते रहे तथा महिलाओ में जागरूकता लाया जाना आज भी बहूत आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसपर चाची बेबी, जरिया खान ने बताया कि महिलाओं को स्वावलंबी होने के साथ-साथ अपनी सुरक्षा आप कर सके इसके लिए तैयार होना होगा। महिला शक्ति को हर तरह से सशक्त बनाने की जरूरत है तथा इसमें हम सभी पुरा सहयोगात्मक भाव रखें।
अपनी मानसिकता में यदि महिलाओं के प्रति सोच बेहतरीन नहीं हो तो वह अपनी आदत को आज ही सुधार ले। अफसाना कुरेशी ने इस अवसर पर बालिकाओं महिलाओं को पढ़ने लिखने तथा आगे बढ़ने और विकसित होने की सोच को दबाने वाले हर एक, जो कोई भी हो अपनी सोच में आज ही बदलाव कर ले। नारी ग्रस्त जीवन का केंद्र बिंदु होती है तथा घर परिवार का आधार होती है। किसी भी नर का विकास नारी की ही देन है। चाहे वह मां के रूप में है या पत्नी के रूप में।
मध्यम काल में नारी को अबला समझा जाता था, अब नारी को अबला समझने वालों का बजेगा तबला। रहा हे कोई वक्त ऐसा तब तब नारी को भी अभिव्यक्ति की आजादी नहीं थी ,अब उस कहावत का दौर खत्म हुआ जाता है, जब कहा गया था कि अब नारी जीवन की यही कहानी– नारी जीवन की यही कहानी –आंचल में दूध– आंख में पानी । गया वह जमाना , नारी के प्रति गलत सोच रखना भूल जाना, वरना होली तो जली होगी ,जलादी होगी ,आप तिल तिल कर जलते रहोगे जीवन भर और आपका जीवन नर्क होकर व्यर्थ हो जाएगा।
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर तमाम बहनों एवं तमाम पुरूष वर्ग, तमाम भारतवासियों को इस अवसर पर को बधाई और शुभकामनाएं देते हूऐ इस दिवस पर सभी बहिनों का सम्मान आदरमान किया गया। आशा देवी ने बताया कि आज भी हर तरफ महिला अन्याय कम नही हूआ है। इसके लिऐ जागरुक महिला संगठन खडा करने तथा अन्याय के विरुद्ध लडने के लिए। महिलाओ की जागरूक टीम हर जगह तेयार होने पर बल दिया गया।पार्वती सालवी ओजस्वी महिला उत्थान, चिंतक चितौडगढ राजस्थान