राजनीति

क्या है राजनीति का सर्वोच्च भेद के साथ जानिए चुनावी विश्लेषण

कबीर मिशन समाचार
विजय सिंह बोड़ाना मध्य प्रदेश संवाददाता

साम का अर्थ होता है सुझाव देना या किसी कार्य को करने के लिए कहना। दाम यानी किसी कार्य के बदले मूल्य चुकाने की पेशकश करना। दंड अर्थात सजा देकर कार्य करने के लिए मजबूर करना और भेद का मतलब संबंधित व्यक्ति के रहस्योंं का इस्तेमाल करके या उसके हितैषियों के साथ उसका बैर कराकर अपने कार्य के लिए मजबूर करना।

पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के चुनावी नतीजे हम सभी के सामने आ चुके हैं। इन पांच राज्यों में चुनाव लड़ने वाले दलों ने प्रमुखता से अपनी-अपनी पार्टी और प्रत्याशियों के लिए लगातार प्रचार किया गया। जिसमें कई रैली और रोड शो शामिल थे। रैलियों में तमाम तरह के भाषण शामिल थे इसमें अलग-अलग पार्टियों के नेताओं ने जिसे जैसा अच्छा लगा वैसी बातें कही। लेकिन चुनाव परिणाम के नतीजों ने सबको आश्चर्यचकित किया।


सबसे पहले बात करते हैं देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की जहां चुनावी माहौल नेताओं के बयान में तो गरमा गरम रहा लेकिन चुनाव परिणाम के बारे में टीवी डिबेट या सोशल मीडिया पर चुनावी विश्लेषक पूर्वानुमान लगाते हुए नहीं कहा पा रहे थे, कि किसकी सरकार बनेगी। शुरू शुरू में इस तरह की बातें होने लगी थी कि पहले और दूसरे चरण का मतदान का रुख जिस तरफ रहेगा अन्य चरणों का रुख भी उसी तरफ रहेगा। लेकिन यह अनुमान भी फैल रहा।


योगी दोबारा सत्ता में लौटना चाह रहे थे तो अखिलेश 2017 मे खोई हुई कुर्सी चाह रहे थे। कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी ने खूब चुनाव प्रचार किया। रोड शो में लोग भी बहुत आए, लेकिन चुनाव परिणाम में सीट मात्र दो। इस संबंध में भी बहुत सारे लोग कह रहे थे, कि प्रियंका गांधी आगे की तैयारी के लिए आई हुई है संगठन को मजबूत करने के लिए। मायावती जी की बहुजन समाज पार्टी की बात करें तो उनकी स्थिति 2017 से भी बहुत नीचे चली गई। इस बार मायावती जी ज्यादा चुनाव प्रचार भी नहीं किया। चुनाव शुरू होने के पहले चुनाव आयोग ने डिजिटल माध्यम से चुनाव प्रचार की अनुमति दी थी। अधिकतर मायावती चुनाव शुरू होने पर ही प्रचार करती है। लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने नई शर्तों के साथ चुनाव प्रचार की अनुमति दी थी। बहुजन समाजवादी पार्टी की मात्र एक सीट आई। बहुत सारे छोटे छोटे दल भी गठबंधन करके चुनाव लड़े थे। उनका एक क्षेत्र होता है जहां उनका वर्चस्व होता है और वहां चुनाव जीतने भी हैं।

अब बात पंजाब की करें तो कांग्रेस दोबारा सत्ता की वापसी के लिए प्रयास कर रही थी लेकिन आम आदमी पार्टी ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया। जहां आम आदमी पार्टी बहुमत से भी ज्यादा सीटें लेकर सत्ता में आई। अरविंद केजरीवाल पहले ही भगवंत मान को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया था वहीं कांग्रेस ने भी दलित चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया था। चरणजीत सिंह चन्नी, नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर जैसे बड़े नेता चुनाव हार गए। भगवंत मान 16 मार्च को शहीदे आजम भगत सिंह के पैतृक गांव से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।


उत्तराखंड जहां बीजेपी ने एक ही सरकार में तीन तीन मुख्यमंत्री दे दिए। लेकिन फिर भी सरकार अपने दम पर बहुमत हासिल करके लौट आई। हरीश रावत उत्तराखंड में फिर से वापसी कर सकते थे। लेकिन जब हरीश रावत को उत्तराखंड में रहना था कांग्रेस पार्टी ने उन्हें पंजाब की जिम्मेदारी दे दी। लेकिन कह सकते हैं कि पंजाब को संभालते संभालते उत्तराखंड चला गया। गोवा में बीजेपी फिर से सरकार बना लेगी। मणिपुर में भी बीजेपी बहुमत तक पहुंच गई है वहां भी सरकार बीजेपी की होगी।


लेकिन पांच राज्यों के चुनाव नतीजे क्षेत्रीय दलों और खासकर कांग्रेस पार्टी के लिए बेहद निराशाजनक है। जो प्रत्याशी चुनाव जीत जाता है या जो पार्टी सरकार बना लेती है। उसी के लिए कहा जाता है, कि साम, दाम, दंड, भेद यही है राजनीति का सर्वोच्च भेद

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