शिक्षा सीहोर

आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में है बड़ी विसंगतियां, निजी स्कूल में कुल 3 बच्चों को मिलेगा प्रवेश जिले के अशासकीय विद्यालयों के संचालकों ने दिया ज्ञापन।

कबीर मिशन समाचार जिला सीहोर
सिहोर से संजय सोलंकी कि रीपोर्ट।

सीहोर। आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में इस वर्ष काफी विसंगतियां है,जिस कारण आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले छात्र छात्राओं को तो नुकसान उठाना पड़ेगा ही अशासकीय विद्यालयों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। विसंगतियां को दूर करने और छात्र छात्राओं के हित में शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर सोसायटी फार प्रायवेट स्कूल के जिलाध्यक्ष हेमेन्द्र सिंह तोमर के नेतृत्व में अशासकीय विद्यालयों के संचालकों ने संचालक राज्य शिक्षा केंद्र मध्य प्रदेश के नाम का ज्ञापन डिप्टी कलेक्टर सतीष राय को दिया।

सोसायटी फार प्रायवेट स्कूल के जिलाध्यक्ष हेमेन्द्र सिंह तोमर ने बताया की आरटीई प्रवेश प्रक्रिया 2024-25 एवं सीट आवंटन से प्राइवेट स्कूल संचालकों का तो नुकसान हो ही रहा है। उससे भी अधिक नुकसान उन पात्र छात्र छात्राओं को भी उठाना पड़ेगा जो प्राइवेट स्कूलों में प्रतिवर्ष की तरह नि:शुल्क प्रवेश लेते है। जिस प्रकार से प्राइवेट स्कूलों को इस सत्र में सीटों का आवंटन किया गया है उससे यह अनुमान है कि पिछले सत्र में जिले में जितने छात्र छात्राओं को आरटीई में निशुल्क प्रवेश मिला था उसकी अपेक्षा इस सत्र में लगभग 30 प्रतिशत छात्र छात्राओं को ही प्रवेश मिल पाएगा क्योंकि प्रति स्कूल औसत सीट आवंटन लगभग 3 छात्र प्रति स्कूल किया गया है। जबकी पिछले सत्रों में औसत 10 छात्र प्रति स्कूल के लगभग था इस को घटाकर मात्र 3 बच्चों तक समित कर दिया गया है।

तोमर ने बताया की प्रवेश प्रक्रिया में सीट निर्धारण का पिछले सत्र की यूडाईस फीडिंग से निर्णय करना भी अनुचित है यदि पिछले सत्र में किसी स्कूल की प्रारंभिक कक्षा में कम छात्र थे यह कोई कारण नहीं हो सकता है कि आगे के सत्रों में भी छात्र संख्या कम या उतनी ही रहेगी। आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में पहले ही स्पष्ट किया गया है कि प्राइवेट स्कूल आरटीई में प्रारंभिक कक्षा में कम से कम 25 या इससे अधिक निशुल्क प्रवेश ले सकते हैं फिर इसमें परिवर्तन क्यों? एक ओर तो वंचित और गरीब छात्रों के लिए यह योजना चलाई गई कि उन्हें लाभ मिल सके और दूसरी तरफ इस प्रकार की प्रवेश प्रक्रिया द्वारा उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। साथ ही इसमें खेल शुल्क का बिना अशासकीय विद्यालयों के संज्ञान के बड़ौत्री कर देना गलत प्रक्रिया है।

About The Author

Related posts