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त्रिगुणी पावन पूर्णिमा :भोपाल के सिटी विस्तार कैंपस में पर्यावरण को समर्पित रहीं करुणा के सागर भगवान बुद्ध की जयंती मनाई

त्रिगुणी पावन पूर्णिमा :भोपाल के सिटी विस्तार कैंपस में  पर्यावरण को समर्पित रहीं करुणा के सागर भगवान बुद्ध की जयंती मनाई

भोपाल :सम्पूर्ण विश्व आज भगवान बुद्ध की 2568 वीं त्रिगुणी पावन पूर्णिमा मना रहा हैं। इस अवसर पर बुद्ध के सूत्र शांति, प्रेम, करुणा और सत्य का संदेश दिया गया। ऐसी ही बुद्ध पूर्णिमा राजधानी भोपाल के सिटी विस्तार कैम्पस में मनायी गई। जिसमें कैम्पस में उपस्थित जनसमूह ने सर्वप्रथम बुद्ध वंदना ली तत्पश्चात खीर वितरण का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर लता लवात्रे ने बताया कि वैशाखी पूर्णिमा के दिन ईसा से 528 वर्ष पहले सुजाता नाम की ग्वाल कन्या को पुत्ररत्न की प्राप्ति होने पर । उसने बेटे के लिए एक वटवृक्ष की मनौती मानी थी। वह मनौती पूरी होने पर सोने के थाल में गाय के दूध की खीर भरकर पहुंची। सिद्धार्थ वहां बैठा ध्यान कर रहा था। उसे लगा कि वृक्ष देवता ही मानो दर्शन देने के लिए शरीर धारण कर बैठे हैं।

सुजाता ने बड़े आदर से सिद्धार्थ को खीर भेंट की और कहा- ‘जैसे मेरी मनोकामना पूरी हुई, उसी तरह आपकी भी पूर्ण हो।’ उसी रात को ध्यान लगाने पर सिद्धार्थ की साधना सफल हुई। उसे सच्चा बोध हुआ, तभी से वे ‘बुद्ध’ कहलाए। जिस वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को बोध प्राप्त हुआ, उसका नाम है बोधिवृक्ष हैं । जिस स्थान की यह घटना है, वह है बोधगया हैं। कार्यक्रम में अगली वक्ता संगीता निम्बालकर ने बताया किविश्व में बुद्ध ऐसे महामानव हुए जिनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ। ज्ञान प्राप्ति भी ईसा से 528 साल पूर्व बुद्ध गया में हुई और 80 वर्ष की उम्र में भगवान बुद्ध ने ईसा पूर्व 483 में कुशीनगर में अपनी देह त्याग दी थी इस घटना को महापरिनिर्वाण के नाम से जाना जाता हैं।

बुद्ध ने अपने धर्म को उस समय की सीधी-सरल लोकभाषा में पाली में प्रचार-प्रसार किया। उनकी सच्ची-सीधी बातें जनमानस को स्पर्श करती थीं। लोग आकर उनके भिक्षु संघ में शामिल होने लगे। वरिष्ठ समाज सेवी हरिदास गोलाईत ने बताया कि बौद्ध धर्म में जात-पांत, ऊंच-नीच का कोई भेदभाव नहीं हैं उनके यहां मानव -मानव एक समान हैं।बुद्ध ने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग के सिद्धांत को बताया जिसे आज भी सम्पूर्ण संसार मानता हैं।

वहीं धम्मज्योति बोथे ने बताया कि मैथ्यू रिकार्ड, एक तिब्बती बौद्ध भिक्षु हैं जिन्हें दुनिया का सबसे खुश आदमी कहा जाता है। जिन्हें पिछले 26 वर्षो से गुस्सा नहीं आया। यहीं बुद्ध के सिद्धांत हैं जिन्हें प्रत्येक मानव को जीवन में आत्मसात करना चाहिए।इस अवसर पर सिटी विस्तार कैम्पस में पर्यावरण जागरूकता को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति ने दो पेड़ लगाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में पंकज शेंडे, कुणाल लावात्रे, समीक्षा लावात्रे, शैलेन्द्र रामटेके, प्रवीण बौद्ध, प्रवीण जोशी, राकेश जैन, रजनी पुण्यशील, मायाराम यादव, सायमा खान, रोशन सोनटक्के, सुषमा शेंडे, अनिल अवथरे, करुणा अवथरे, अंशु निम्बालकर उपस्थित रहे।

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