बिहार राजनीति

ग्राम रक्षादल त्रस्त, जिला प्रशासन मस्तसरकार और जिला प्रशासन में दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी

प्रदीप कुमार नायक । भारतीय इतिहास में स्वतंत्रता के पूर्व राजतंत्र के मूबों में विभाजित और प्रशासनिक विकेंद्रीकरण के अंतर्गत एक शक्तिशाली केन्द्र के रूप में राजाओं का राज रहा हैं।

इसकी आधार श्रीखंला का जीता जागता नमूना सरकार और प्रशासन हैं, जो अतीत और वर्तमान के बीच उपजी खाइयों को दर्शा रहा हैं। मधुबनी समाहरणालय के ठीक सामने बाबा भीमराव अंबेडकर प्रतिमा के बगल में लोकतंत्र बचाओ आंदोलन आज 40 में दिन भी जारी रहा और मांग पूरी होने तक जारी रहेगा l

25 मई को बाइक रैली, 30 मई को सड़क जाम, 01 मई को मजदूर दिवस l लोकतंत्र बचाओ आंदोलन स्थल से नहीं हटेंगे, राम प्रसाद राऊत। कांग्रेस और भाकपा माले ने लोकतंत्र बचाओ आंदोलन का किया समर्थन l

दल के प्रदेश अध्यक्ष राम प्रसाद राऊत ने संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र बचाओ आंदोलन का आज 40 वा दिन होने जा रहा है l सरकार, प्रशासन के द्वारा संज्ञान नहीं लिया जा रहा है,सिर्फ फॉर्मेलिटी ही पूरा किया जा रहा है जो बहुत ही दुख की बात है, मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि बिहार सरकार एवं प्रशासन क्यों लोकतंत्र को कमजोर कर रही है l

लोकतंत्र में आस्थावान व्यक्तियों के लिए बड़ा ही शर्म की बात है l बिहार सरकार ग्राम रक्षा दल की मांगे पूरा करें, या इस संस्था को रद्द करें l लोकतंत्र बचाओ आंदोलन के 40 में दिन कांग्रेस और भाकपा माले के साथियों ने आंदोलन को समर्थन किया l

साथ ही बिहार सरकार से अभिलंब मांग को पूरा करने का भी आग्रह किया है, अन्यथा कांग्रेस और भाकपा माले के साथी उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे जिसकी सारी जवाबदेही सरकार एवं प्रशासन की होगी l

इस कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष शीतलामबर झा, बिहार प्रदेश किसान कांग्रेस के चेयरमैन हिमांशु कुमार, भाकपा माले के जिला सचिव अनिल कुमार सिंह, अखिल भारतीय महासभा के जिला सचिव प्रेम कुमार झा, खेग्रामस के जिला सचिव बेचन राम, सुमन पासवान, गणेश यादव, देवेंद्र कुमार, हृदय साफी, राम कुमार साह, चंदन मिश्रा, पवन कुमार यादव, राजकुमार पासवान, श्याम कुमार गुप्ता, रामबाबू ठाकुर, समीर कुमार ठाकुर, विनोद कुमार, अंचल पासवान, शशि भूषण सिंह, विश्वनाथ यादव सहित दर्जनों की संख्या में कांग्रेस और भाकपा माले के साथी उपस्थित होकर लोकतंत्र बचाओ आंदोलन का समर्थन करते हुए अविलंब सरकार से मांग को पूरा करने का आग्रह किया है, अन्यथा उग्र आंदोलन की भी चेतावनी दी है l.

कुल मिलाकर यह कहाँ जा सकता हैं कि यह इतनी बड़ी समस्या नहीं हैं।जिसका निदान संभव नहीं हैं।बस,जरूरत हैं तो सरकार और जिला प्रशासन की दृढ़ इच्छाशक्ति की और इस समस्या को सुलझाने की प्रतिबद्धता की। लेकिन सवाल यही आकर अटक जाता हैं कि सरकार और जिला प्रशासन में दृढ़ इच्छाशक्ति जगाएगा कौन ?

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