देश-विदेश धार समाज

वाह रे हिंदुस्तान। ज़िन्दा आदमी को मन्दिर और मुर्दे को श्मशान नसीब नहीं, परम्पराओं में संविधान नहीं?

कबीर मिशन समाचार। धार जिले के थाना सादलपुर के अंतर्गत ग्राम एकलारा में दलित के शव को दबंगों ने जलाने नहीं दिया। मृतक परिजनों ने डायल 100 को सूचना दी। तब पुलिस की मौजूदगी में दलित के शव का दाह संस्कार किया गया। इस दौरान गांव के दबंगों ने मृतक परिजनों को जातिसूचक गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी पुलिस के सामने दे डाली। इसका वीडियो भी वायरल हुआ।

इससे यह स्पष्ट पता चलता है कि आज गांव देहात की सामाजिक स्थिति का तानाबाना पुरानी जातिवादी परम्परा पर ही क़ायम है क्योंकि ऐसे स्थानों पर संविधान का कोई औचित्य नज़र नहीं आता? क्योंकि जातिवादी गुंडे पुलिस के सामने ही दलितों को मारने पीटने और गालीयां देने की बात करते हैं तो इससे पता चलता है कि ऐसे क्षेत्रों में कानून नहीं परम्परा लागू हैं वो भी अगड़ी जातियों की। साथ ही दबंगों ने मृतक परिजनों को कहा चमारों तीसरे दिन राख सोरने आओगे तो गोली मार देगें। भयभीत मृतक परिजनों ने पुलिस को और अखिल भारतीय बलाई महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज परमार को सूचना दी।

एकलारा आप भी पहुंचे स्वाभिमान की लड़ाई में न्योता नहीं भेजा जाता जिसका खून खोलता वो खुद दौड़ा चला आता है। ऐसे में हम देखते हैं कि मनोज परमार मप्र में कहीं भी दलित आदिवासी के साथ घटना घटित होती है तो पहुंचते हैं। यथासंभव प्रयास करते हैं कि हमारे समाज को संवैधानिक अधिकार मिले। कब तक वे पुरानी परंपराओं को झेलते रहेंगे?

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