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क्या कांग्रेस के विधायक और सांसद, भगवान राम के साथ होंगे या पार्टी के साथ ? आखिर में जनता के सामने तो इन्हीं विधायक और सांसदों को जाना पड़ेगा।

कबीर मिशन समाचार
नई दिल्ली

22 जनवरी का दिन निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक दिन होगा। जहां पूरे भारतवर्ष में फिर से एक उमंग और उत्साह के साथ भगवान श्री राम की मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा। एक तरह से पूरे भारत में एक और दीपावली मनाई जाएगी। इसकी तैयारी एक अप्रतिम आनंद के साथ चल रही है गांव गांव शहर अक्षत कलश यात्रा निकल जा रही है। आम जनमानस इस यात्रा में शामिल होकर अपने आप को अद्भुत पलों में महसूस कर रहा है। राम मंदिर उद्घाटन में प्रमुख लोगों को निमंत्रण भेजे जा रहे हैं। यही निमंत्रण कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, अभिरंजन चौधरी को भेजे गए हैं।

लेकिन कल कांग्रेस पार्टी के महासचिव जय राम रमेश ने एक पत्र जारी किया। जिसमें उन्होंने साफ-साफ बता दिया कि कांग्रेस पार्टी के यह तीनों नेता राम मंदिर उद्घाटन के निमंत्रण को अस्वीकार करते हैं। पत्र में जयराम रमेश ने लिखा था, कि ‘पिछले महीने, कांग्रेस अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी एवं लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता श्री अधीर रंजन चौधरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का निमंत्रण मिला। भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं। धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय होता आया है, लेकिन भाजपा और आरएसएस ने वर्षों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है। स्पष्ट है कि एक अर्द्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए ही किया जा रहा है। 2019 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को स्वीकार करते हुए एवं लोगों की आस्था के सम्मान में श्री मल्लिकार्जुन खरगे, श्रीमती सोनिया गांधी एवं श्री अधीर रंजन चौधरी भाजपा और आरएसएस के इस आयोजन के निमंत्रण को ससम्मान अस्वीकार करते हैं।

आखिर क्या कारण हो सकता है वर्षों बाद होने वाले इस ऐतिहासिक दिन पर नहीं जाना। निश्चित रूप से इस निर्णय का असर आने वाले लोकसभा चुनाव में जा सकता है। किंतु सबसे बड़ा प्रश्न यहां यह है, कि कांग्रेस पार्टी के जो चुने हुए विधायक और सांसद हैं क्या वह पार्टी के इस निर्णय के साथ है या नहीं। निश्चित तौर पर आम जनमानस को उनके चुने हुए जनप्रतिनिधियों की इस विषय पर राय जानना जरूरी है। और यदि वें पार्टी के इस निर्णय के साथ है, तो उन्हें भी पत्र जारी करके बताना चाहिए और यदि नहीं है तब भी बताया जाना चाहिए। क्योंकि जनता के सामने तो आज नहीं तो कल जाना तो इन्हीं को होगा।

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