ग्वालियर मध्यप्रदेश

निजीकरण के चलते बेरोजगारी से परेशान हैं युवा प्रदेश में नहीं भरे जा रहे हैं अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के बैकलॉग के रिक्त पद, नई संसद भवन का नाम डॉ अम्बेडकर हो


मूलचन्द मेधोनिया
पत्रकार एवं प्रदेश अध्यक्ष मध्यप्रदेश असंगठित कामगार प्रकोष्ठ परिसंघ भोपाल


ग्वालियर 27 अक्टूबर
देश में निजीकरण के चलते देश के युवा अपने भविष्य के लिए बेहद चिंतित हैं, हमारा युवा वर्ग चाहे वह अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग का या अनारक्षित वर्ग का हो बेरोजगारी के डँस से मानसिक अवसाद में है, जहां लाखों रुपए खर्च कर महंगी महंगी डिग्रियां इंजीनियरिंग एमबीए आदि प्रोफेशनल डिग्रियां हासिल कर ठेकेदारों के यहाँ मजदूरी कर शोषण का शिकार हो रहे हैं रोजगार की तलाश में दरबदर भटक रहे हैं ,युवाओं में वेरोजगार को लेकर इतनी अधिक हताशा है कि वह गलत रास्तों पर चलने के लिए भी जरा भी संकोच नहीं करतेl निजीकरण और बेरोजगारी तथा अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग की सामाजिक और कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ पूरे देश में जिला, संभाग और प्रदेश की राजधानियों में विचार-विमर्श, सम्मेलन के माध्यम से लोगों के बीच में जाकर उनके हक और अधिकारों तथा वैचारिक बदलाव के लिए कार्यशाला, सम्मेलनों का आयोजन कर रहा है, अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के अनेकों मुद्दे हैं जिन पर हमारा वर्ग भविष्य के लिए चिंतित है।

परिसंघ का संघर्ष वर्ष 1997 से जारी है 1997 में केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग भारत सरकार द्वारा आरक्षण के विरोध में जारी आदेशों के खिलाफ हुआ था परिसंघ के आंदोलन के कारण तत्कालीन सरकार ने तीन संविधानिक संशोधन 81,82,और 85 कर नियुक्तियां पद्धतियों में आरक्षण संबंधी प्रावधान पुनः स्थापित किए गए जिसके कारण ही आज हमारे वर्ग के लोग सरकारी सेवाओं में नजर आते हैं,इन संवैधानिक संशोधनों से लाखों कर्मचारी लाभान्वित हुए विभागीय परीक्षा में ग्रेस मार्क, बैकलॉग की भर्ती और अनुसूचित जाति जनजाति के व्यक्तियों की नौकरियों में भागीदारी का रास्ता साफ हो सका है, परिसंघ के राष्ट्रीय चेयरमैन डॉ उदित राज (एक्स आई आर एस एवं पूर्व सांसद के अथक प्रयासों से अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लोगों के छिने हुए अधिकार प्राप्त हो सके। डॉ उदित राज सांसद रहते हुए निजी क्षेत्र में आरक्षण का प्रावधान करने हेतु संसद में पेश किया गया था लेकिन संसद में यह बिल पास नहीं हो पाया इसके पीछे संसद में आरक्षित पदों से चुनकर जाने वाले सांसदों की उदासीनता से यह बिल पास नहीं हो सका, निजीकरण के दौर के चलते सरकारी उपक्रम निजी हाथों में सौंपे जाने से बेरोजगारी अपनी सारी मर्यादा सीमाएं तोड़कर चरम सीमा पर है, परिसंघ एक गैर राजनेतिक कर्मचारियों और सामाजिक संगठनों का संगठन है जो उनके हक और अधिकारों को बचाने के लिए निरंतर संघर्षरत है, जब जब भी देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के हितों पर प्रहार किया है परिसंघ द्वारा इसका समय-समय पर संविधानिक तरीके से विरोध प्रकट करता रहा है।


मध्यप्रदेश में
परिसंघ कर्मचारियों और सामाजिक मुद्दों को लेकर 30 अक्टूबर को ग्वालियर के मानस भवन फूल बाग में एक संभागीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है जिसमें ग्वालियर चंबल संभाग के सैकड़ों नागरिक, कर्मचारी बुद्धिजीवी, बैंक, बीमा, रेलवे एलआईसी, शिक्षा, स्वास्थ्य विभागों के कर्मचारी पेंशनर भाग लेंगे इस संबंध में परिसंघ द्वारा 13 सूत्री मांगों के समर्थन में प्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्री जी के नाम कलेक्टर ग्वालियर के माध्यम से ज्ञापन भी देगा, सम्मेलन के प्रमुख बिंदु जिनमें जिन पर विचार मंथन किया जाएगा उनमें से हैं मध्यप्रदेश शासन में बैकलॉग के रिक्त पदों को एक समय सीमा में भरा जाना, एवं जिन अधिकारियों द्वारा बैकलॉग के पद नहीं भरे जाते हैं ऐसे दोषी अधिकारियों के खिलाफ आरक्षण अधिनियम 1994 के तहत कार्रवाई की जाना, पुरानी पेंशन बहाल की जाना,निजी करण पर तुरंत रोक लगाई जाना, जातिगत जनसंख्या की गणना कराई जाना, पूरे प्रदेश में बंद किए गए अनुसूचित जाति जनजाति के आश्रम छात्रावास चालू किया जाना, उच्च न्यायपालिका में शासन शासन की ओर से जजों की नियुक्ति में अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के वकीलों को नियुक्त करने की सिफारिश की जाना, प्रदेश के अनुसूचित जाति कल्याण थानों में अनुसूचित जाति जनजाति के कर्मचारियों को ही पदस्थ किया जाना, प्रदेश में 6 वर्ष से रुकी हुई कर्मचारियों की पदोन्नतियों के लिए सरकार उच्चतम न्यायालय में आरक्षण के पक्ष में मजबूती से पैरवी करें और शीघ्र निर्णय कराया जाना,2 अप्रैल 18 को अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों पर दर्ज प्रकरण बिना शर्त वापस लिए जाना,प्रदेश के नगर निगम नगर पालिका सहित शासन के समस्त विभागों निगम मंडलों में ठेका आधारित कर्मचारियों की जगह नियमित पदों पर नियुक्तियां की जाना,शासन के सभी विभागों निगम मंडलों में प्रत्येक पद का रोस्टर संधारित कराने के बाद बैकलॉग के पदों की गणना की जाकर भर्ती की जाना, अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ को प्रदेश के सभी जिलों में कार्यालय हेतु निशुल्क जमीन अथवा शासकीय आवास आवंटन किए जाना,शासन के विभागों निगम मंडलों में रोस्टर संधारित कमेटियों में पर संघ के पदाधिकारियों को शामिल किया जाना आदि मुद्दों को लेकर 30 अक्टूबर को परिसंघ का संभागीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।

इस सम्मेलन में परिसंघ के राष्ट्रीय चेयरमैन डॉ उदित राज, राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर ओम सुधा, वरिष्ठ पत्रकार शंभू सिंह, परिसंघ के प्रदेश संयोजक इंजीनियर ए आर सिंह, प्रदेश महासचिव ओ पी अहिरवार,बसंत खरे अजय झारिया, डॉक्टर के के बच्चन, लक्ष्मण सिंह सिलौटी, जे के मालवीय, ब्रह्मा दास सूर्यवंशी, डॉ.गिरीश इंडोलिया आर एल पिप्पल, इंजीनियर केबी दोहरे विभिन्न सामाजिक संगठनों ओबीसी महासभा के एडवोकेट धर्मेंद्र सिंह कुशवाह खटीक समाज सनकी अध्यक्ष रमेश चक, डॉ सुरेश भदकारिया, भारतीय sc-st महासभा के महेश आर्य, कोली कोरी के जिलाध्यक्ष डॉक्टर ऑडी दत्ता जाटव महासभा के आरके कुंवर, राजेंद्र पक्षबार, दलित समाज परिषद के प्रांत अध्यक्ष दारा सिंह कटारे अजाक विकास संघ के प्रांतीय कार्यवाहक अध्यक्ष डॉक्टर जबर सिंह अग्र, सहरिया विकास समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह मानव आदि तमाम सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी कार्यकर्ता, पेंशनर, डॉक्टर,वकील, बुद्धिजीवी वर्ग के सैकड़ों नागरिक सम्मेलन में शिरकत करेंगेl

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