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कांग्रेस आज पुनः 1950 के दौर से गुज़र रही है आजादी के बाद भी कांग्रेस का तारणहार दलित था और आज भी दलित ही हैं।

कबीर मिशन समाचार । लेख राजनीति

एक बार फिर आजादी मिलेगी? देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत एक खोज किताब लिखी है। उसके मैं दो चार पेज ही पढ़ पाया था लेकिन इसमें एक ऐसी बात थी जो किसी को शायद ही किसी पता होगा। उस शख्स का नाम ही हटा दिया गया है। मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं कि किसी ने कहा था कि इतिहास दोहराता है और अब इतिहास पुनः दोहराने लग रहा है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की अपनी किताब में वहां कौन सी बात है जानें। जब देश आज़ाद हुआ था और सभी रियासतों को मिलाया जा रहा था तो कई समस्याओं का सामना करना पड़ा और बहुत समय बीतता गया।

इसी बीच कामराज नाम का व्यक्ति को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई। यह कामराज एक दलित (अनुसूचित जाति) वर्ग का व्यक्ति था। कामराज ने जी तोड़ मेहनत करके सभी को एकजुट करने में सफल हो गया और देश चलने लगा और कई रियासतें बदल भी जाती थी। कामराज के कारण ही देश के बड़े नेता एकजुट हो पाए हैं। जो दौर आज से 50-60 साल पहले था वहीं दौर आज पुनः बन गया है। जातिवाद चरम पर था, आज भी है, पुंजीवाद चरम पर था आज भी है, दल बदलू भी पहले जैसें है। पहले सरकारी नौकर नहीं थे आज नौकरी नहीं है। सब कुछ डबल डबल हो रहा है बस पहले अखबार से परिवर्तन होता था आज इंटरनेट से।

खैर मैंने जो बात कही है कि कांग्रेस पुनः इतिहास दौहरा रही है। सब कुछ उथल-पुथल जाने के बाद कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जो दलित ( अनुसूचित जाति) वर्ग है। जिम्मेदारी सौंपी, वहीं गठबंधन एलायंस बनाया, श्री खरगे ने सबको एकजुट किया जो उस समय कामराज ने किया था। सिंधिया ने भी वहीं किया जो उनके पुर्वज करते आएं है। इस समय भी कांग्रेस ने एससी एसटी वर्ग के प्रति सहानुभूति रखी और आज भी सहानुभूति ही रख रही हैं। कामराज का नाम नहीं सुना जाता है और वही राहुल गांधी के ही खरगे का नाम आता है। पुरा दौर वहीं हैं। बस इतना कहना है कि पहले भी कांग्रेस का तारणहार दलित था और आज भी दलित ही हैं।
रामेश्वर मालवीय पत्रकार

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