नीमच

आखिर सरकारी तंत्र में बैठे भ्रष्टाचारी रावणों का अंत कब होगा….

(पवन शर्मा)
दशहरा मैदान में बुराई के प्रतीक रावण का दहन तो हो चुका लेकिन सरकारी तंत्र में बैठे भ्रष्टाचारी रावणों का अंत कब होगा… आम जन को कब तक अपने ही काम के लिए इन रावणों को भ्रष्टाचार की भेंट देनी होगी। भले ही लाख दावे किए जाए मगर सच्चाई तो यही है कि अभी भी सरकारी सेवक की जब तक सेवा ना करो तब तक कोई भी फ़ाइल हो ठस से मस नही होती। ग्राम पंचायत हो, नगरपालिका या नगर परिषद हो या फिर जिले का कोई सरकारी कार्यालय हर जगह कोई ना कोई भ्रष्टाचारी रावण अपने दसों मुख खोलकर बस पेट भरने में लगा है। किसी को फ़ाइल बढ़ाने के लिए माल चाहिए तो किसी को साहब को देने के लिए।
केंद्र और राज्य सरकारें तो जनता को लाभ दिलाने के उद्देश्यों के साथ अनेकों योजनाएं ले कर आती है, लेकिन उन सभी योजनाओं को ये रावण आसानी से सार्थक नही होने देते। रोजाना कोई ना कोई भ्रष्टाचार की खबर सामने आ ही जाती है। लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू, ईडी जैसी एजेंसिया रोजाना कहीं न कहीं इन रावणों पर शिकंजा कसते नजर आती है।
लोकल स्तर पर गरीबों के आवास की योजना हो, राशन हो, नामांतरण हो, निर्माण कार्य हो, स्वच्छता अभियान हो सब जगह ये लुटेरे बस माल समेटने में लगे है। हर किसी को बस उसका हिस्सा चाहिए, हर बिल में हिस्सा चाहिए। उन्हें कोई लेना देना नही।
हां, कुछ हद तक सरकार ने अधिकांश मामलों में हितग्राही योजनाओं में सीधे हितग्राही के खाते में राशि भुगतान की व्यवस्था कर दी है, लेकिन इन मोटी चमड़ी वालों ने उसमे भी रास्ते निकाल के रख डाले है।
गत 14वे, वित्त में आवंटित राशि का ग्रामपंचायतों में जमकर खेल खेला गया। कोरोना काल मे लोगों की जान के नाम पर लाखों-करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ। आरटीओ, खाद्य विभाग, खनिज, पेंशन कार्यालय, आदि जगह खुले तौर पर भ्रष्टाचार देखने को मिलता है। जनप्रतिनिधि भी मूकदर्शक बनकर बैठे रहते है।
ये काले कारनामे करने वाले सबके सामने ऐसे साहूकार और स्वच्छ बने रहते है जैसे इन्होंने कुछ किया ही नही है।
ऐसे भ्रष्टाचारियों के लिए यह कहावत है “जब तक पकड़े ना जाओ तब तक सब चोर साहूकार होते है।”
इन भ्रष्टाचारी रावणों का जब तक पूर्णतया अंत नही होगा तब तक रामराज्य कैसे आएगा।

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